क्या चुनावी बॉण्ड में हुआ खुलासा चुनावी मुद्दा बन पायेगा? यह सवाल इसलिये प्रसांगिक और महत्वपूर्ण है कि इसमें हुए खुलासे के बाद नैतिकता के आधार पर स्वतःही बहुत कुछ घट जाना चाहिये था। क्योंकि इस माध्यम से चुनावी चन्दा देने वाली अधिकांश कम्पनियों के खिलाफ केन्द्रीय जांच एजेंसियों की कारवाई सवालों के घेरे में आ गयी है। दिल्ली सरकार के खिलाफ जिस कथित शराब घोटाले को लेकर हुई कारवाई में मनीष सिसोदिया, अरविन्द केजरीवाल गिरफ्तार हुये हैं उस शराब कम्पनी के ठेकेदार ने चुनावी बॉण्ड के माध्यम से केन्द्र में सतारूढ़ भाजपा को करीब साठ करोड़ चन्दा दिया है। जबकि इस काण्ड की जांच के दौरान आप नेताओं के यहां मनी लॉंडरिंग के कोई बड़े साक्ष्य सामने नहीं आये हैं। सर्वाेच्च न्यायालय तक यह प्रश्न कर चुका है की मनिट्रेल कहां है। अब जब इसी शराब कम्पनी के मालिक द्वारा भाजपा को चुनावी चन्दा देने का साक्ष्य बाहर आ गया है तो स्वतः ही सारा परिदृश्य बदल जाता है। इसी तरह कांग्रेस के बैंक खातों का सीज किया जाना और चुनावों के दौरान आयकर का नोटिस आना यह प्रमाणित करता है कि कांग्रेस को चुनावों के दौरान साधनहीन करने की एक सुनियोजित बड़ी योजना पर काम किया जा रहा है।























वित्तीय मुहाने पर अन्तरराष्ट्रीय मुद्राकोष की चेतावनी ने और डरा दिया है। आई एम एफ के मुताबिक भारत का कर्ज जी डी पी का 100% होने जा रहा है। आर्थिकी को समझने वाले जानते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था के लिये यह सबसे बड़ा काला पक्ष है। आने वाले चुनाव में युवाओं की भागीदारी सबसे ज्यादा होगी। हर तीसरा वोटर युवा होगा। सरकार की अपनी रिपोर्ट के मुताबिक तीन युवाओं में से हर दूसरा बेरोजगार है। रिपोर्ट के अनुसार केन्द्र सरकार के विभागों में ही 90 लाख पद खाली हैं और सरकार इन्हें भरने की स्थिति में नहीं है। यही स्थिति सार्वजनिक उपक्रमों की है। कॉर्पोरेट घरानों में भी रोजगार कम होता जा रहा है कुल मिलाकर देश एक गंभीर दौर से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री इन मुद्दों को चुनावी मुद्दा नहीं बनने देना चाहते। इसलिये वह धार्मिक ध्रुवीकरण करने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। विपक्षीय एकता को तोड़ने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं और इसके लिये अगले कुछ दिनों में ई डी, सी बी आई और आयकर जैसी ऐजैन्सीयों की गतिविधियां बढ़ सकती हैं। जिस तरह से आयकर विभाग ने कांग्रेस के खातों से 65 करोड़ से अधिक की रकम आयकर के नाम पर निकाल ली है उससे यह स्पष्ट संकेत उभरता है कि कांग्रेस की राज्य सरकारों को भी अस्थिर करने का पूरा प्रयास किया जायेगा। जहां जो सरकारें अपने ही कारणों से कमजोर हो रही हैं उन पर अस्थिरता का प्रयोग किये जाने की बड़ी संभावना है।