Sunday, 14 December 2025
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क्या प्रदेश के तकनीकी कॉलेज सरकार की जिम्मेदारी नहीं है?

शिमला/शैल। हिमाचल प्रदेश में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में करीब पांच हजार बच्चे पढ़ रहे हैं। यह सारे बच्चे मतदाता हो चुके हैं और प्रदेश के विभिन्न हिस्सों के पांच हजार परिवारों से आते हैं। लेकिन उनकी शिक्षा के प्रति सरकार कितनी सजग और चिन्तित है इसका अन्दाजा इन कॉलेजों के हालात देखकर लगाया जा सकता है। इन कॉलेजों का प्रबंधन सरकार के हाथों में है। इन्हीं कॉलेज के आधार पर सरकार ने तकनीकी विश्वविद्यालय हमीरपुर में स्थापित कर रखा है। बिलासपुर के बन्दला में देश का दूसरा हाइड्रो इंजीनियरिंग कालेज स्थापित जिसके वित्त पोषण का एक बड़ा हिस्सा हाइड्रो परियोजनाओं से आता है। लेकिन जिस तरह का प्रबंधन सरकार का इन कॉलेजों के प्रति व्यवहारिक रूप से देखने को मिल रहा है उससे लगता है कि यह संस्थान सरकार के एजेण्डे से ही बाहर है। विश्वविद्यालय परिसर सहित कई कॉलेजों में बच्चों को छात्रावास तक की सुविधा नहीं है और सरकार का इस ओर शायद ध्यान ही नहीं है। बन्दला हाइड्रो कॉलेज में छात्रावास की सुविधा है और यहां पर स्टाफ सहित करीब एक हजार बच्चे और अध्यापक है। जो इसी छात्रावास में भोजन ग्रहण करते हैं। लेकिन पिछले दिनों इस छात्रावास में परोसे जा रहे हैं खाने में कीड़े पाये जाने के वीडियो बड़ी मात्रा में वायरल हुये थे। खाने में कीड़े पाये जाने की शिकायतें तकनीकी शिक्षा मंत्री से लेकर अध्यक्ष फूड कमिश्न तक भी पहुंची। परन्तु किसी पर कोई असर नहीं हुआ। कॉलेज में अध्यापकों की कमी इस कदर है कि छात्रों को इसके लिये धरना प्रदर्शन तक करना पड़ा। क्योंकि कुछ विषय में पूरे शैक्षणिक सत्र में कोई अध्यापक ही नहीं था। इस धरने प्रदर्शन का संज्ञान लेने पर शीर्ष प्रशासन ने सुन्दरनगर से तकनीकी निदेशालय से इसकी रिपोर्ट तलब की और तब जाकर एक ही दिन में दूसरे कॉलेज से तीन अध्यापकों को एक सप्ताह में पूरे वर्ष का पाठयक्रम पूरा करवाने के लिये यहां तैनात किया। इससे अन्दाजा लगाया जा सकता है कि जिस कॉलेज में वित्त पोषण का बड़ा हिस्सा हाइड्रो परियोजनाओं से आ रहा है यदि उस कॉलेज में भी शिक्षकों की इस कदर कमी और छात्रावास के खाने में कीड़े पाये जाये तो प्रदेश के अन्य संस्थाओं की स्थिति क्या होगी। हाइड्रो परियोजनाओं से इस कॉलेज के वित्त पोषण की जानकारी राज्यसभा सांसद इन्दु गोस्वामी को एक प्रश्न के जवाब में मिली। इस स्थिति को देखकर सरकार के दावों पर कैसे और कितना विश्वास किया जा सकता है इसका अन्दाजा लगाया जा सकता है।
 
यह है एक ही दिन में तीन शिक्षकों की तैनाती के आदेश
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

सुक्खू के दावों का जवाब देने के लिये भाजपा ने प्रदेश के बड़े नेताओं को बिहार क्यों नहीं भेजा?

शिमला/शैल। बिहार विधानसभा चुनावों के लिये कांग्रेस ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को अपने स्टार प्रचारकों में शामिल किया है। क्योंकि कांग्रेस के पास केवल तीन ही राज्यों हिमाचल, कर्नाटक और तेलंगाना में सरकारें हैं। इसलिए इन राज्यों में कांग्रेस की सरकारें कैसा काम कर रही हैं और कैसे अपने चुनावी वायदों को अमली शक्ल दे रही हैं इसका खुलासा यहां के मुख्यमंत्रीयों से ज्यादा अच्छा कौन कर सकता है। इस उद्देश्य से मुख्यमंत्री सुक्खू को कांग्रेस ने बिहार में चुनाव प्रचार में भेजा। हिमाचल में कांग्रेस ने चुनावों में दस गारंटियां प्रदेश की जनता को दी थी। इन गारंटीयों की हिमाचल में क्या स्थिति है यह हिमाचल की जनता और यहां के नेताओं से बेहतर कोई नहीं जान सकता। परन्तु संयोगवश भाजपा ने यहां के प्रदेश नेताओं को बिहार में चुनाव प्रचार के लिये नहीं भेजा। इसलिये मुख्यमंत्री सुक्खू जो कुछ बिहार में कांग्रेस के वायदों को लेकर बोल आये हैं उसका जवाब देने के लिये प्रदेश भाजपा का कोई नेता वहां मौजूद नहीं रहा है। जबकि हरियाणा और महाराष्ट्र तक में चुनावों के दौरान हिमाचल सरकार के कई फैसले चर्चा का विषय रहे हैं और यह माना गया कि इन राज्यों में कांग्रेस की हार के लिये हिमाचल की सुक्खू सरकार भी बहुत हद तक जिम्मेदार रही है। अपने चुनावी वायदों को यह सरकार पूरा करने में बुरी तरह असफल रही है। क्योंकि यह सरकार पहले दिन से ही प्रदेश की खराब वित्तीय स्थिति के नैरेटिव में घिर गयी और उसका दोष पूर्व की भाजपा सरकार पर डालने लग गयी। आज तक प्रदेश की खराब वित्तीय स्थिति का दोष पूर्व सरकार पर डालने और केन्द्र सरकार पर प्रदेश की वित्तीय सहायता न करने के विमर्श से बाहर नहीं निकल पायी है।
लेकिन मुख्यमंत्री सुक्खू द्वारा बिहार में प्रदेश सरकार द्वारा सारी गारंटियां पूरी करने के दावे की पोल खोलने के लिये भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर को यह जिम्मेदारी शायद अब दी है। इस जिम्मेदारी का निर्वहन करने के लिये जयराम ठाकुर ने चंडीगढ़ प्रैस क्लब द्वारा आयोजित ‘मीट द प्रैस’ कार्यक्रम में प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री सुक्खू पर जबरदस्त हमला बोला है। जयराम ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने लोगों को झूठी गारंटीयां देकर जनादेश चोरी किया है। अब इसी तरह के हथकण्डे बिहार में भी अपनाने के प्रयास कर रहे हैं। सुक्खू बिहार में गारंटीयों के ब्रांड एम्बेसडर बनकर गये थे लेकिन बिहार के लोगों ने जो उनके झूठ का फैक्ट चेक किया तो वह देखने लायक था। अब कांग्रेस के झूठ की ही हांडी बिहार में दोबारा नहीं चढ़ेगी। जयराम ने कहा की सेवा के लिये, विकास के लिये मन्दिरों में जाकर कसमें खाने की जरूरत नहीं होती। झूठी गारंटियां देने की जरूरत नहीं होती है। पांच साल हमने भी सरकार चलाई। हमने गृहिणी सुविधा योजना, 125 यूनिट फ्री बिजली, महिलाओं को बसों में आधा किराया, ग्रामीण क्षेत्रों में फ्री पानी, हिम केयर, सहारा योजना, शगुन योजना, 60 साल से अधिक की उम्र के बाद बिना किसी आय सीमा के वृद्धा पेंशन देना स्वावलंबन योजना, बेटी है अनमोल योजना, कन्यादान योजना, पुष्प क्रांति, खुंब विकास, बागवानी विकास, सीएम सोलर फेंसिंग, सिंचाई, जैसी दर्जनों जनहित की योजनाओं की कोई गारंटी नहीं दी थी। प्रदेशवासियों के लिए जो जरूरी था वो किया। पिछली सरकार पर कोई दोष नहीं मढ़ा। हमने कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी का सामना किया। जब पूरी दुनिया में बड़ी-बड़ी सरकारों ने हाथ खड़े कर दिए, बड़ी से बड़ी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को बिना नोटिस के नौकरी से निकाल दिया, उस समय भी हमने नए कर्मचारियों की भर्ती की, एक भी कर्मचारी के एक दिन का भी वेतन नहीं काटा। सुक्खू सरकार ने कोविड के समय में अपनी जान की परवाह न किए बिना लोगों की मदद करने वाले लोगों को भी एक झटके में बेरोजगार कर दिया। सरकार अच्छी नीयत से चलती है गारंटियों से नहीं। दुर्भाग्य इस बात का है की सरकार की नीयत में ही खोट है।
‘मीट द प्रेस’ कार्यक्रम में मीडिया के सवालों के जवाब देते हुए कहा कि यह सरकार पत्रकारों पर मुकद्दमे करने के मामले में सारे रिकॉर्ड तोड़ चुकी है। जंगली मुर्गा सीएम के कार्यक्रम में खाया जाता है। जंगली मुर्गा मारना अपराध है, इसके लिए कारवाई मुर्ग़ा मारने, बनाने और खाने वालों पर होना चाहिए थी लेकिन कारवाई हुई खबर लगाने वाले पत्रकारों पर। इसी तरह से सरकार की अराजकता के खिलाफ़ लिखने वाले लोगों पर तत्काल कारवाई करती है। यह तानशाही का दौर है। बीजेपी इसकी निंदा करती है। एक सवाल के जवाब में कहा कि हिमाचल में आपदा से नुकासन का लेवल लगातार बढ़ता जा रहा है। इसलिए सरकारों को दीर्घकालीन पर्यावरणीय संरक्षण योजनाओं पर काम करना चाहिए। क्योंकि कुछ पल की त्रासदी हमारे सालों की मेहनत पर पानी फेर देती है और हमें अपने प्रियजनों को भी खोना पड़ता है। इसके लिए हमने प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात कर हिमाचल की त्रासदी पर व्यापक पैमाने पर अध्ययन होना चाहिए। हमारे आग्रह को स्वीकार कर उन्होंने मल्टी सेक्टोरल टीम का गठन कर अध्ययन के लिए भेजा आगे भी अध्ययन होगा। जिससे एक प्रभावशाली योजना तैयार की जा सके।
धारा 118 में ढील को लेकर पूछे सवाल को लेकर कहा कि सरकार हिमाचल के हितों को बेचने पर अमादा है। धारा 118 में ढील दिलाने वाला एक रैकेट सक्रिय है। जो लोगों से सरेआम इसके लिए लोगों से उगाही कर रहा है। इसके बाद सरकार जिस तरह से धारा 118 में ढील देने की बात कर रही है, उससे यह साफ़ है कि यह ‘सत्ता संरक्षित कार्यक्रम’ है। प्रदेश में अवैध खनन से प्रदेश की इकोलॉजी प्रभावित हो रही है। प्रदेश में माफिया का एक नया तंत्र खड़ा हो रहा है। जो बिना बात दिन दहाड़े गोली चलाने में हिचकता नहीं है। माफिया वर्चस्व के लिए, आतंक फैलाने के लिए गोलियां चला रहे हैं। दुर्भाग्य इस बात का है हिमाचल की संस्कृति के विपरीत यह माफिया राज सत्ता संरक्षित है। जो लोग पुलिस और सरकारी मुलाजिमों पर हाथ उठाने से नहीं हिचक रहे हैं। प्रदेश में नशे के प्रसार को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जो चिट्टा प्रदेश के बॉर्डर एरिया में थोड़ा बहुत था। आज जहां सड़क नहीं हैं, बाज़ार नहीं हैं वहां भी चिट्टा आतंक मचा रहा है। हमारी सरकार में नार्थ ज़ोन के राज्यों के साथ काम करने के लिए काम किया। उसके बहुत सकारात्मक परिणाम आये। लेकिन सरकार बदलने के साथ चीजें बदली हैं। इंटर स्टेट फोर्सेज के साथ काम करने से बेहतर परिणाम आएंगे इसकी सलाह भी हमने हिमाचल प्रदेश सरकार को दी है।
लेकिन जयराम के इस वक्तव्य के बाद यह प्रश्न उठा है कि भाजपा ने सुक्खू के स्टार प्रचारक घोषित होने के बाद उनके काउंटर के लिये हिमाचल भाजपा के किसी भी वरिष्ठ नेता को बिहार प्रचार के लिये क्यों नहीं भेजा? जबकि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा तो स्वयं हिमाचल से ताल्लुक रखते हैं। क्योंकि सामान्यत हर पार्टी दूसरी पार्टी के स्टार प्रचारकों को काउंटर करने के लिये उसी प्रदेश के अपनी पार्टी के बड़े नेताओं को तैनात करती है। परंतु भाजपा ने ऐसा नहीं किया।

ए.एस.आई. पंकज को जमानत मिलने के बाद विमल नेगी मौत प्रकरण की जांच पर उठने लगे सवाल

शिमला/शैल। स्वर्गीय विमल नेगी मौत प्रकरण में गिरफ्तार हुये ए.एस.आई. पंकज शर्मा को प्रदेश उच्च न्यायालय से जमानत मिल गयी है। पंकज शर्मा को सीबीआई ने 14 सितम्बर को गिरफ्तार किया था और यह जांच उच्च न्यायालय ने 23 मई को सीबीआई को सौंपी थी। पंकज शर्मा की हिरासत बढ़ाये जाने के सीबीआई के आग्रह को अदालत ने अस्वीकार कर दिया था और सीबीआई ने अदालत के इस आदेश को कोई चुनौती नहीं दी थी। यह चुनौती न दिया जाना ही उच्च न्यायालय में पंकज को जमानत मिलने का एक बड़ा आधार बना है। वैसे सीबीआई ने अदालत के संज्ञान में यह अवश्य लाया है की पंकज शर्मा ने जांच के दौरान उसका नार्काे और पॉलीग्राफ टेस्ट करवाये जाने को सहमति व्यक्त की थी परन्तु जब उसे इसके लिये अदालत में पेश किया गया तो उसने इससे इन्कार कर दिया। यह टेस्ट अभियुक्त की सहमति के बिना नहीं करवाये जा सकते हैं यह नियमों में प्रावधान है। पंकज शर्मा को जमानत मिलने से यह मामला फिर उसी स्टेज पर आ पहुंचा है जहां से यह शुरू हुआ था। स्मरणीय है कि पंकज शर्मा इस मामले का एक केन्द्रीय पात्र बन चुका है क्योंकि जब विमल नेगी का शव बरामद हुआ था तब घटनास्थल पर पहुंचने वालों में पंकज ही पहला पुलिस अधिकारी था। पंकज ने ही विमल नेगी की तलाशी में मिले सामान को लिया था और उसमें से पैन ड्राइव को उसने अपने ही पास रख लिया और बाद में उसे सदर थाना शिमला में फारमैट कर दिया। यह सब थाने के सीसीटीवी कैमरा में दर्ज है। यह सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में उच्च न्यायालय में कहा है।
विमल नेगी प्रकरण में पुलिस ने दो एसआईटी गठित की थी और पंकज शर्मा किसी भी एसआईटी का सदस्य नहीं था ऐसे में वह घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंचने और शव की तलाशी लेने वाला कैसे तथा किसके निर्देश पर बना? पैन ड्राइव को किसके निर्देश पर फारमैट किया? यह प्रश्न अभी तक अनुतरित हैं। सीबीआई इन सवालों का जवाब नहीं खोज पायी है। नेगी के परिजनों का आरोप है कि नेगी को पावर कारपोरेशन में प्रबन्ध निदेशक मीणा और निर्देशक देशराज प्रताड़ित करते थे और इसी प्रताड़ना का परिणाम है विमल नेगी की मौत। देशराज सुप्रीम कोर्ट से अग्रिम जमानत पर हैं और हरिकेश मीणा उच्च न्यायालय से अग्रिम जमानत पर हैं। ऐसे में पंकज की जमानत के बाद यह संभावना भी व्यक्त की जाने लगी है कि इन लोगों को भी नियमित जमानत मिल जाएगी। प्रदेश सरकार भी इस मामले में एक पक्ष बनने का प्रयास कर रही है। एसपी शिमला सीबीआई जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठा चुके है। पावर कारपोरेशन द्वारा निष्पादित की जा रही परियोजनाओं में भ्रष्टाचार होने के आरोप लगे हैं। यह भी आरोप है कि स्व. नेगी पर भी इस भ्रष्टाचार में सहभागी बनने के लिये दबाव डाला जा रहा था। सीबीआई इस मामले की जांच पिछले पांच माह से कर रही है। पंकज शर्मा की गिरफ्तारी इस प्रकरण में अब तक पहली गिरफ्तारी रही है और उसमें भी अब जमानत मिल जाने के बाद सीबीआई का अगला सफर इस मामले में स्वतः ही प्रश्नित होता जा रहा है। क्योंकि सीबीआई अभी तक कथित भ्रष्टाचार के मामलों पर प्रकाश नहीं डाल पायी है। इस वस्तुस्थिति में स्व. नेगी के परिजनों को कब न्याय मिलेगा यह सवाल एक बार फिर अनिश्चितता के साये में आ खड़ा हुआ है।

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