शिमला/शैल। क्या अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा और पुलिस की जांच स्व. विमल नेगी की मौत के लिये जिम्मेदार लोगों को सजा दिला पायेगी। यह सवाल इंजीनियर सुनील ग्रोवर के उसे ब्यान के बाद चर्चा में आया है जो उन्होंने अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा को सौंपा है। इंजीनियर सुनील ग्रोवर एचपीएस एलडीसी के एम डी रह चुके हैं और अखिल भारतीय पावर इंजीनियरिंग फैडरेशन के संरक्षक भी हैं। इस नाते उनके तकनीकी ज्ञान और अनुभव पर संदेह नहीं किया जा सकता। सुनील ग्रोवर ने अपने ब्यान में पावर कॉरपोरेशन में व्यापक भ्रष्टाचार की तथ्यों के साथ जो कहानी सामने रखी है उसके मुताबिक सौर ऊर्जा परियोजनाओं पेखूबेला में ही सौ करोड़ से अधिक का घपला हुआ है और शोंग-टोंग जल विद्युत परियोजना में तो कई सौ करोड़ का घपला है। इन घपलों का आकार देखकर कोई भी व्यक्ति यह मानने को तैयार नहीं होगा कि एक दो अधिकारी ही अपने स्तर पर इतना बड़ा कारनामा कर गये होंगे। क्योंकि हर बोर्ड कॉरपोरेशन के प्रबंधन में वित्त विभाग का प्रतिनिधि होता है। फिर विभाग का प्रभारी सचिव भी होता है जो पूरे विभाग पर नजर रखता है। पावर कॉरपोरेशन में तो अध्यक्ष भी नियुक्त है। विद्युत विभाग का प्रभार तो स्वयं मुख्यमंत्री के पास है। फिर जिस तरह के नीतिगत फैसले शांग-टांग परियोजना में लिये गये हैं संभव है कि वह विषय मंत्री परिषद तक भी पहुंचे हों। इंजीनियर सुनील ग्रोवर के ब्यान से स्पष्ट है कि पावर कॉरपोरेशन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। इतना बड़ा भ्रष्टाचार अपने में ही एक बड़ा मुद्दा बन जाता है। इस भ्रष्टाचार के कारण विमल नेगी के लिये जीवन समाप्त कर देने की परिस्थितियों निर्मित हुई या नहीं यह पुलिस की जांच का विषय है। लेकिन कार्पाेरेशन में भ्रष्टाचार हुआ है यह खुलासा इंजीनियर सुनील ग्रोवर का सत्यापित बयान कर रहा है। इतने बड़े पैमाने पर हुआ भ्रष्टाचार कॉरपोरेशन के प्रबंधन के अतिरिक्त अध्यक्ष ऊर्जा सचिव और प्रभारी मंत्री तक को कटघरे में खड़ा कर देता है। इस मामले की प्रशासनिक जांच अतिरिक्त मुख्य सचिव कर रहे हैं। लेकिन कॉरपोरेशन के अध्यक्ष तो शायद मुख्य सचिव स्वयं हैं। इसलिये अतिरिक्त मुख्य सचिव मुख्य सचिव से बतौर कॉरपोरेशन अध्यक्ष कितने और क्या सवाल जवाब कर पायेंगे यह आम समझ का विषय है।
वित्तीय संकट से जूझ रहे प्रदेश में इस आकार का भ्रष्टाचार घट जाये तो यह पूरी व्यवस्था पर एक गंभीर सवाल हो जाता है। इंजीनियर ग्रोवर ने अपने बयान के हर पन्ने पर हस्ताक्षर किये हैं और इसका अर्थ यह हो जाता है कि वह इस बयान में दर्ज तथ्यों को प्रमाणित करने के लिए तैयार हैं।
इंजीनियर ग्रोवर के बयान के अंश यह हैं
बयान में दर्ज तथ्यों से यह स्पष्ट हो जाता है कि कॉर्पाेरेशन में सैकड़ो करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ है। इस भ्रष्टाचार पर बहुत पहले वायरल हुये पत्र में भी कई संकेत दर्ज थे। लेकिन तब इस भ्रष्टाचार की जांच को रोकने के लिये पत्रकारों के खिलाफ ही एफआईआर दर्ज करवा दी गयी थी। यदि उस समय पत्र में दर्ज तथ्यों को गंभीरता से लिया होता तो शायद विमल नेगी को अपना जीवन समाप्त करने की स्थितियां ना बनती ।
शिमला/शैल। पावर कॉरपोरेशन के चीफ इंजीनियर स्व. विमल नेगी की मौत के कारणों की जांच कर रही पुलिस को अभी कोई बड़ी सफलता हाथ नहीं लगी है। क्योंकि इस मामले में एफ.आई.आर पुलिस ने कॉरपोरेशन के निदेशक देशराज के अतिरिक्त और किसी को नामतः नामजद नहीं किया है। जबकि नेगी की पत्नी ने अपनी शिकायत कॉरपोरेशन के दो और अधिकारियों पर नामतः आरोप लगाये हैं। देशराज उच्च न्यायालय द्वारा उनकी अग्रिम जमानत की याचिका खारिज किये जाने के बाद पुलिस के हाथ नहीं आये हैं। पुलिस उनकी तलाश में सभी संभव ठिकानों पर दबिस दे रही है। कुछ हलकों में यह चर्चा है कि देशराज सर्वाेच्च न्यायालय में भी अग्रिम जमानत के लिये प्रयास करेंगे और सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक पुलिस के हाथ नहीं आयेंगे। प्रदेश उच्च न्यायालय ने देशराज की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुये यह कहा है कि As discussed here in above, the applicant is a senior officer of the HPPCL, and, the deceased was working in the same Department, under the direct control of the applicant. Therefore, certainly, the Investigating Agency would inquire the subordinate staff of the applicant, to verify the allegations, which, according to the complainant, had compelled the deceased to take the extreme step to end his life.
In case, the relief, as claimed in the application, is granted to the applicant, it will certainly cause an adverse impact upon his subordinates not to speak against their superior officer. Mere transfer of the applicant, from the said place, is not sufficient to create a sense of security amongst the persons, who will be inquired by the Investigating Agency.
Even otherwise, the custodial interrogation is more result-oriented than the investigation from a person, who is having the protection, under Section 482 of the BNS, in his favour.
इससे यह स्पष्ट हो जाता है की जमानत खारिज होने के बाद देशराज तक पुलिस का न पहुंच पाना और कई सवालों को जन्म दे जाता है। स्व. विमल के कंट्रोलिंग अधिकारी देशराज थे। यदि कॉरपोरेशन के वरिष्ठ अधिकारियों का आचरण नेगी को मानसिक प्रताड़ना की और ले जा रहा था तो यह आचरण स्वभाविक रूप से किसी पारिवारिक कारण के लिए तो रहा नहीं होगा। सरकारी कामकाज में प्रताड़ना तभी हो सकती है यदि संबंधित कर्मी/अधिकारी को काम न आता हो या उसे उसकी इच्छा के विरुद्ध कोई नाजायज काम करने के लिये कहा जाता रहा हो। इसका खुलासा कॉरपोरेशन द्वारा अंजाम दिये जा रहे कार्यों की गहन समीक्षा से ही संभव है। जब कॉरपोरेशन के खिलाफ एक पत्र बम वायरल हुआ था उसमें कॉरपोरेशन द्वारा निष्पादित करवायी जा रही शोंग टांेग जल विद्युत परियोजना के कामकाज को लेकर गंभीर आरोप लगे थे। स्मरणीय है कि इस परियोजना का कार्य 2012 में आवंटित हुआ था और यह 2017-18 में पूरा होना था। लेकिन पूरा हुआ नहीं। मुख्यमंत्री सुक्खू ने मार्च 2023 इस परियोजना के काम की एक समीक्षा बैठक में इस काम को जुलाई 2025 तक पूरा करने के निर्देश दिये थे। इस समीक्षा बैठक में यह भी निर्देश दिये थे कि इसमें आ रही बाधाओं को एक माह के भीतर निपटाया जाये।
इस तरह परियोजना के निर्माण में देरी क्यों हुई और उस देरी के लिए निर्माता कंपनी कितनी जिम्मेदार रही है और कॉरपोरेशन का प्रबंधन कितना जिम्मेदार रहा है। इस देरी से कितना नुकसान प्रदेश को हुआ है। क्योंकि इस परियोजना का निर्माण एशियन विकास बैंक के कर्ज से हो रहा है। इसी तरह पेखूबला की सौर ऊर्जा परियोजना पर उठते सवाल हैं। इस विषय में निश्चित रूप से एक गहन जांच से ही सारे तथ्य सामने आ सकते हैं। बिजली विभाग के मंत्री स्वयं मुख्यमंत्री हैं। ऐसे में यह जांच और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। स्वभाविक है कि यदि कॉरपोरेशन का एक मुख्य अभियंता मानसिक प्रताड़ना का शिकार होकर अपना जीवन ही समाप्त करने के कगार पर पहुंच जाये तो कामकाज के वातावरण की स्थितियां निश्चित रूप से गंभीर रही होंगी।
इस प्रकरण में जब तक नामित अधिकारियों को हिरासत में लेकर पूछताछ नहीं हो जाती है तब तक सही तथ्य सामने नहीं आयेंगे। देशराज के गिरफ्तारी में लग रहे समय के कारण पुलिस की जांच पर आशंकाएं आने की संभावना प्रबल हो जाएगी। क्योंकि देशराज की गिरफ्तारी के बाद अन्य नामित की बारी आयेगी। ऐसे में इस प्रकरण के सीबीआई में पहुंचने की संभावनाएं प्रबल हो जायेगी।
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