Thursday, 18 September 2025
Blue Red Green
Home देश

ShareThis for Joomla!

क्या वीरभद्र इसी वर्ष विधानसभा चुनाव करवाने की तैयारी कर रहे हैं?

शिमला/शैल। क्या प्रदेश विधान सभा के चुनाव इसी वर्ष करवाये जा रहे हैं? यह सवाल पिछले दिनों आम आदमी पार्टी के संयोजक डा0 राजन सुशांत के इस आश्य के आये ब्यान के बाद राजनीतिक हल्कों में चर्चा का विषय बन गया है। क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल तो एक अरसे से सरकार गिरने और समय से पहले चुनावों की संभावना जताते आ रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ अरसे में जो कुछ सरकार और कांग्रेस संगठन के अन्दर घटा है यदि उसका राजनीतिक आकलन किया जाये तो समय पूर्व चुनावों की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
इस समय सरकार की आर्थिक स्थिति ठीक नही है। यह कितनी गंभीर है और इसके परिणाम क्या हो सकते हैं इसका संकेत प्रधान महालेखाकार विधान में कैग रिपोर्ट रखने के बाद हुई अपनी पत्राकार वार्ता में पूरी स्पष्टता से दे चुके हैं। जी.डी.पी. का 40% और राज्य की राजस्व आय से 214% अधिक का कर्जभार होना अच्छे सूचक नहीं हैं। यदि केन्द्र राज्य के कर्जभार को एक मुश्त माफ नही करता है तो कभी भी वेतन अदायगी तक का संकट आ सकता है। वीरभद्र बतौर मुख्यमंत्राी और वित्त मंत्राी इस हकीकत से पूरी तरह परिचित हैं। लेकिन इस सबकी जानकारी होते हुए भी मुख्यमंत्री प्रदेश में जहां कहीं भी जा रहे हंै दिल खोलकर घोषणाएं कर रहे हैं जिनसे प्रदेश का राजस्व व्यय लगातार बढ़ता जा रहा है। इस परिदृश्य में जानकार जानते है कि इन घोषणाओं के 5% को भी व्यवहारिक शक्ल दे पाना संभव नही होगा। अगले वर्ष के अन्त में वैसे ही चुनाव होने है। लोग इन घोषणाओं पर अमल की अपेक्षा इसी वर्ष के अन्त तक करना शुरू कर देंगे। अमल में एक-एक दिन की देरी से सरकार की विश्वसनीयता और अपेक्षित राजनीतिक लाभ पर प्रतिकूल असर पडे़गा। ऐसे में राजनीतिक पंडितों की राय में ऐसी घोषणाओं का लाभ उनके अमल की नौबत आने से पहले ही लिया जा सकता है।
संगठन में भी कांग्रेस के भीतरे की खींचतान बाहर आना शुरू हो गयी है। वीरभद्र ब्रिगेड का गठन और विघटन अपने में एक बड़ा राजनीतिक कदम था। एन जी ओ का नाम लेकर पार्टी के समानान्तर संगठन घोषित करना जिसमें प्रदेश के हर भाग से प्रतिनिधित्व था ऐसा कदम कुछ क्षेणों के सोच का परिणाम नहीं माना जा सकता। फिर जब ब्रिगेड से जुडे़ नेताओ के खिलाफ सुक्खु ने कारवाई का कदम उठाया तो उस कदम को आगे बढ़ने से पहले ही जिस तरह से रोका गया उसके संकेत भी कुछ इसी दिशा की ओर इंगित करते हैं । ब्रिगेड के बाद विक्रमादित्य का विधायकों के रिपोर्ट कार्ड तैयार करने के ब्यान पर वीरभद्र सिंह का यह कहना है कि चुनाव में विधायकों के टिकट भी काटे जा सकते हैं इसका अर्थ भी कुछ इसी तरह का संकेत है। इसके बाद प्रतिभा सिंह का भी यह कहना कि विक्रमादित्य अगला चुनाव लड़ सकते हैं और यदि जनता चाहेगी तो मुख्यमंत्री भी बन सकते हैं। राजनीतिक विश्लेष्कों की राय में ऐसे ब्यानों से संगठन और जनता की प्रतिक्रियाओं का विश्लेष्ण किया जाता है। विक्रमादित्य को प्रदेश की राजनीति में स्थापित करना वीरभद्र की आश्वयकता और विवशता दोनों ही हैं और इसके लिये वह किसी भी हद तक जा सकते हैं। विश्लेष्कों का मानना है कि जब विक्रमादित्य की सिफारिश पर तीन दर्जन से ज्यादा विधान सभा क्षेत्रों में समानान्तर सत्ता केन्द्र तैयार किये गये थे तो उसके पीछे यही धारणा बलवती थी और अब इसको फलीभूत करने का समय आ गया है।
इन सबसे ऊपर वीरभद्र पर सीबीआई और ईडी की जांच का दबाव है। कानून के जानकार जानते हैं कि इन मामलों का खत्म होना संभव नहीं है इसी वर्ष इन मामलों के चालान अदालत में पहुंच जायेंगे। इनमें गिरफ्रतारी के लिये ‘‘ डीम्ड अरैस्ट ’’ की अवधारणा के तहत कभी भी चालान अदालत में आ जायेंगे। अदालत में चार्ज लगने की प्रकिया में ज्यादा से ज्यादा दो महीने का समय लग सकता है। लेकिन अन्त में चार्ज लगना तय है और इसके बाद राजनीतिक हल्को में पद छोड़ने की मांग उठ जायेगी। ऐसी मांग पर विपक्ष के साथ अपरोक्ष में अपने भी स्वर मिला सकते है। यह स्थिति आयेगी ही यह तय है। ऐसी स्थिति से बचने के लिये इसी वर्ष के अन्त तक चुनाव करवा लिये जाने को बेहतर विकल्प माना जा रहा है और इसके लिये वीरभद्र ने अपने विश्वस्तो से चर्चा करना भी शुरू कर दिया है।

ज्यादतीयों के शिकार वीरभद्र और धूमल

शिमला। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और पूर्व मुख्यमन्त्री प्रेम कुमार धूमल दोनों अपने अपने खिलाफ चल रहे मामलों को लगातार राजनीतिक प्रतिशोध और ज्यादती करार देेते आ रहे हैं। वैसे जितने ऊंचे स्वर में यह शीर्ष नेता अपनी व्यथा कथा जनता के सामनेे रखते आ रहे हैं उससे जांच ऐजैन्सीयों से लेकर अदालत तक का मन इनके आंसूओ से पसीजता जा रहा है। दोनों के खिलाफ एक बराबर के मामले हैं और दोनों के खिलाफ ही जांच ऐजैन्सीयों को हिरासत जैसा कदम उठाने का साहस नही हो पाया है। धूमल के खिलाफ वीरभद्र ज्यादती कर रहे हैं तो वीरभद्र के खिलाफ भाजपा की मोदी सरकार। लेकिन अब तक किसी के भी खिलाफ कुछ निर्णायक हुआ नही है। जनता दोनों के ब्यानों का मजा ले रही है वह जानती है कि कैसे दोनों जनता को मूर्ख मानकर चल रहे हैं।
दोनों के ब्यानों पर स्कैण्डल प्वाईंट तक पहुंची चर्चा में लोग एस एम कटवाल, स्व. वी एस थिंड और सुभाष आहलूवालिया का जिक्र करने लग जाते हैं। एस एम टवाल को वीरभद्र सरकार ने कैसे परेशान किया यह सब जानते है। यह भी सब जानते है कि आज तक कटवाल पर रिश्वत लेने का कोई आरोप नहीं लग पाया है। कटवाल के बाद धूमल शासन में स्व. वी एस थिंड और सुभाष आहलूवालिया की बारी आयी। वी एस थिंड के मामले में तो सीबीआई की क्लीन चिट को भी उनकी मौत के 15 दिन बाद उजागर किया गया था। लोकायुक्त की रिपोर्ट भी उनकी मौत के बाद सामने आयी थी। सुभाष आहलूवालिया के मामलों में तो आयकर विभाग की रिपोर्ट को भी अधिमान नही दिया गया था। आज भी बहुत सारे ऐसे मामलें है जिनमें इन्साफ की इंतजार है लेकिन तन्त्रा इन्साफ देने का साहस नही जुटा पा रहा है।
आज सचिवालय के गलियारों से लेकर स्कैण्डल तक हर आदमी यह सवाल उठा रहा है कि क्या कटवाल, थिंड और सुभाष के खिलाफ ज्यादती नही थी? क्या इनके गुनाहोें से इन राजनेताओं के गुनाह छोटे हैं? जनता सबके गुनाहों को याद रखती है। इन नेताओं से यही जानना चहा रही जिस चक्की में यह लोग पीसे है उससे होकर इन नेताओे को नही गुजरना चाहिये। काश इन नेताओं को यह अहसास हो पाये की ज्यादती क्या होती है और उसकी पीड़ा कितनी होती है।

विधायकों का रिपोर्ट कार्ड


शिमला । प्रदेश मंत्रीमंडल में एक अरसे से फेरबदल की अटकलें खबरें बनती आ रही है। लेकिन कुछ देर तक अटकलों को चलने देने के बाद मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह इन खबरों को खारिज करते रहे हैं। वैसे अब तक फेरबदल हुआ भी नहीं है । अब 2017 में प्रदेश विधानसभा के चुनाव होने ही हैं। वैसे तो नेता प्रतिपक्ष पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल भी कई बार प्रदेश में समय से पहले ही चुनाव हो जाने, सरकार के गिर जाने का भविष्य कथन कर चुके हैं जो अब तक तो फलित नहीं हो पाये हैं। पर यह कोई नही कह सकता कि कब उनके मुख में देवी सरस्वती का वास हो जाये और उनका कथन सत्य सिद्ध हो जाये।
लेकिन अब मुख्यमंन्त्री के बेटे और प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह ने मन्त्रीमण्डल में फेरबदल करके उसमें युवा चेहरों को शामिल करने की बात करके पूरे राजनीतिक परिदृश्य को ही बदल कर रख दिया है। उन्होने साफ कहा है कि युवा कांग्रेस विधायकों का रिपोर्ट कार्ड तैयार करेगी। उनकी बात में दम नजर आ रहा है क्योंकि युवा कांग्रेस के अध्यक्ष होने के साथ-साथ मुख्यमन्त्री का सपुत्रा होने के नाते उनकी ताकत दोगुनी हो जाती है। फिर अगला समय तो वैसे ही युवाओं का है।
परन्तु कुछ हल्कों में यह चर्चा चल पड़ी है कि पिछले कुछ दिनों से जब से परिवार सी.बी.आई. और ई.डी.की जांच के घेरे में चल रहा है तब से वह स्वयं भी इस चक्की का एक हिस्सा बन गये हैं। फिर यह हर घर की स्वभाविक कहानी है कि अक्सर ही घर के बडोें के हर परेशानी वाले मामलों में आसानी से छोटों पर दोषारोपण शुरू कर दिया जाता है। भले ही किसी नुकसान में घर के बच्चों और औरतों की कोई भूमिका न रही हो परन्तु चर्चा उन तक पहुचां दी जाती है। यहां भी इस बड़े घर की खबर रखने वाले इसके बच्चों और औरतों को कोसने लग पडे़ है।
अब जब कोई अनचाहे ही ऐसी चर्चाओं का पात्रा बना दिया और उसके सिर पर ताज भी हो तो उसे ताज और चर्चाओं दोनो को संभालने के लिये कोई बड़ी ही लकीर खींचनी पडे़गी। कहते हैं कि विक्रमादित्य ने भी यह ब्यान देकर यही बड़ी लकीर खीचने का प्रयास किया है। क्योंकि विधायकों के रिपोर्ट कार्ड रखने का जो काम मुख्यमन्त्री या प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को करना चाहिये था उस काम को जब युवा कांग्रेस का अध्यक्ष अंजाम देने की बात करेगा तो निश्चित तौर पर यही पूछा जायेगा कि अब किसकी चलेगी बाप की या बेटे की

More Articles...

  1. माल रोड़ स्थित होटल विलो बैंक में करोड़ों का पानी घोटाला लेकिन नगर निगम कारवाई से रही कतरा
  2. क्या प्रदेश वित्तिय आपात स्थिति की और बढ़ रहा है?
  3. अरूण धूमल कौन है - बहुत कमजोर प्रतिक्रिया है वीरभद्र की
  4. केजरीवाल बनाम भाजपा-कांग्रेस
  5. अरूण धूमल ने फिर खोला मोर्चा, वीरमद्र पर लगाये आरोप
  6. जहर था मौत का कारण,जांच के आदेश!
  7. अरविंद समर्थको ने सुरक्षा घेरा तोड़ा, लाठी चार्ज
  8. कैग का बिजली वितरण कंपनियों में दौरा!
  9. केंद्र की मनमानी पर, केजरीवाल का धरना
  10. दवा का ‘ओवरडोज़’ सुनंदा की मौत का कारण!
  11. अति आत्मविश्वास से बचे बीजेपी:आडवाणी
  12. मधु दंडवते की पुत्र आप में
  13. BJP के सुर अलाप रहे थे बिन्नी:आप
  14. बिन्नी की प्रेस वार्ता में केजरीवाल पर निशाना
  15. कानून मंत्री का छापा, पुलिस ने की अनसुनी!
  16. आप की बढ़ी मुश्किले, बिन्नी फिर नाराज
  17. लॉ इंटर्न ने देरी से क्यों लगाये आरोप: SC
  18. कोलगेट: सुप्रीम कोर्ट पर सुनवाई आज
  19. हरीश रावत के विरुद्ध 18 विधायक अड़े!
  20. दिल्ली-मुंबई में “आप” की लहर:सर्वे

Subcategories

  • लीगल
  • सोशल मूवमेंट
  • आपदा
  • पोलिटिकल

    The Joomla! content management system lets you create webpages of various types using extensions. There are 5 basic types of extensions: components, modules, templates, languages, and plugins. Your website includes the extensions you need to create a basic website in English, but thousands of additional extensions of all types are available. The Joomla! Extensions Directory is the largest directory of Joomla! extensions.

  • शिक्षा

    We search the whole countryside for the best fruit growers.

    You can let each supplier have a page that he or she can edit. To see this in action you will need to create a users who is in the suppliers group.  
    Create one page in the growers category for that user and make that supplier the author of the page.  That user will be able to edit his or her page.

    This illustrates the use of the Edit Own permission.

  • पर्यावरण

Facebook



  Search