क्या प्रदेश के तकनीकी कॉलेज सरकार की जिम्मेदारी नहीं है?
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Created on Tuesday, 09 December 2025 17:27
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Written by Shail Samachar
शिमला/शैल। हिमाचल प्रदेश में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में करीब पांच हजार बच्चे पढ़ रहे हैं। यह सारे बच्चे मतदाता हो चुके हैं और प्रदेश के विभिन्न हिस्सों के पांच हजार परिवारों से आते हैं। लेकिन उनकी शिक्षा के प्रति सरकार कितनी सजग और चिन्तित है इसका अन्दाजा इन कॉलेजों के हालात देखकर लगाया जा सकता है। इन कॉलेजों का प्रबंधन सरकार के हाथों में है। इन्हीं कॉलेज के आधार पर सरकार ने तकनीकी विश्वविद्यालय हमीरपुर में स्थापित कर रखा है। बिलासपुर के बन्दला में देश का दूसरा हाइड्रो इंजीनियरिंग कालेज स्थापित जिसके वित्त पोषण का एक बड़ा हिस्सा हाइड्रो परियोजनाओं से आता है। लेकिन जिस तरह का प्रबंधन सरकार का इन कॉलेजों के प्रति व्यवहारिक रूप से देखने को मिल रहा है उससे लगता है कि यह संस्थान सरकार के एजेण्डे से ही बाहर है। विश्वविद्यालय परिसर सहित कई कॉलेजों में बच्चों को छात्रावास तक की सुविधा नहीं है और सरकार का इस ओर शायद ध्यान ही नहीं है। बन्दला हाइड्रो कॉलेज में छात्रावास की सुविधा है और यहां पर स्टाफ सहित करीब एक हजार बच्चे और अध्यापक है। जो इसी छात्रावास में भोजन ग्रहण करते हैं। लेकिन पिछले दिनों इस छात्रावास में परोसे जा रहे हैं खाने में कीड़े पाये जाने के वीडियो बड़ी मात्रा में वायरल हुये थे। खाने में कीड़े पाये जाने की शिकायतें तकनीकी शिक्षा मंत्री से लेकर अध्यक्ष फूड कमिश्न तक भी पहुंची। परन्तु किसी पर कोई असर नहीं हुआ। कॉलेज में अध्यापकों की कमी इस कदर है कि छात्रों को इसके लिये धरना प्रदर्शन तक करना पड़ा। क्योंकि कुछ विषय में पूरे शैक्षणिक सत्र में कोई अध्यापक ही नहीं था। इस धरने प्रदर्शन का संज्ञान लेने पर शीर्ष प्रशासन ने सुन्दरनगर से तकनीकी निदेशालय से इसकी रिपोर्ट तलब की और तब जाकर एक ही दिन में दूसरे कॉलेज से तीन अध्यापकों को एक सप्ताह में पूरे वर्ष का पाठयक्रम पूरा करवाने के लिये यहां तैनात किया। इससे अन्दाजा लगाया जा सकता है कि जिस कॉलेज में वित्त पोषण का बड़ा हिस्सा हाइड्रो परियोजनाओं से आ रहा है यदि उस कॉलेज में भी शिक्षकों की इस कदर कमी और छात्रावास के खाने में कीड़े पाये जाये तो प्रदेश के अन्य संस्थाओं की स्थिति क्या होगी। हाइड्रो परियोजनाओं से इस कॉलेज के वित्त पोषण की जानकारी राज्यसभा सांसद इन्दु गोस्वामी को एक प्रश्न के जवाब में मिली। इस स्थिति को देखकर सरकार के दावों पर कैसे और कितना विश्वास किया जा सकता है इसका अन्दाजा लगाया जा सकता है।
यह है एक ही दिन में तीन शिक्षकों की तैनाती के आदेश
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