Friday, 19 September 2025
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क्या चुनाव जीतने के लिये कुछ भी करना सही है

पांच राज्यों में चुनावों चल रहे हैं असम और बंगाल में दो चरणों का मतदान हो चुका है। इस मतदान के बाद केवल भाजपा ने यह दावा किया है कि वह दोनों राज्यों में सरकार बनाने जा रही है। बंगाल में पहले चरण के मतदान के बाद गृह मन्त्री अमितशाह ने यह दावा किया है कि भाजपा इसमें 30 में से 26 सीटें जीत रही है। दूसरे चरण के बाद भाजपा के कैलाश विजयवर्गीय ने दावा किया है कि भाजपा 30 में से 30 सीटें जीत रही है। दूसरे चरण के मतदान में यह भी देखने को मिला है कि मुख्यमन्त्री ममता को एक पोलिंग बूथ पर जा कर बैठना पड़ा क्योंकि वहां लोगों को वोट देने से रोके जाने की खबरें आ रही थी। ममता ने पोलिंग बूथ से प्रदेश के राज्यपाल से इसकी शिकायत की। चुनाव आयोग से भी इसकी शिकायत की गयी। बंगाल में एक भाजपा नेता का आडियो वायरल हुआ है जिसमें वह चुनाव आयोग को प्रभावित करने की बात कर रहे हैं। जब यह दूसरे चरण का मतदान हो रहा था तब प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी एक चुनावी रैली में ब्यान दे रहे थे कि ममता नन्दीग्राम से चुनाव हार गयी हैं उन्होंने अपनी हार स्वीकार कर ली और वह अब किसी दूसरे क्षेत्र से भी चुनाव लड़ने की सोच रही हैं। प्रधानमन्त्री यह ब्यान उस समय दे रहे थे जब नन्दीग्राम में मतदान चल रहा था। क्या एक प्रधानमन्त्री को इस तरह का ब्यान देना चाहिये? यह इस चुनाव के बाद सार्वजनिक बहस के लिये एक बड़ा सवाल बनना चाहिये।
असम के पहले चरण के मतदान के बाद भी ऐसे ही दावे किये गये हैं। वहां के सारे छोटे बड़े समाचार पत्रों ने पहले पन्ने पर भाजपा के दावों के आंकड़े ऐसे छापे हैं जैसे की वह उनकी खबर हो। लेकिन वास्तव में यह खबर के रूप में भाजपा का विज्ञापन था। कांग्रेस ने चुनाव आयोग से इसकी शिकायत करते हुए असम के मुख्यमन्त्री, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किये जाने की मांग की है। चुनाव आयोग ने वहां के समाचार पत्रों को इस संबंध में पत्र भी भेजा है। यहां पर दूसरे चरण के बाद ईवीएम मशीन भाजपा उम्मीदवार की पत्नी की गाड़ी में पकड़ी गयी है। इसके लिये संबंधित चुनाव अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। एक अन्य स्थान पर ईवीएम मशीने एक ट्रक में मिलने की बात भी सामने आयी है। प्रधानमन्त्री जब इन्हीं चुनावों के दौरान जब बंग्लादेश गये थे तब वहां ब्यान दिया कि बंग्लादेश की आजा़दी में उनका भी योगदान रहा है। वह भी इसके लिये जेल गये थे। इस जेल जाने पर आप सांसद संजय सिंह ने प्रधानमन्त्री से सवाल पूछा है कि भारत तो बांग्लादेश के साथ था और युद्ध पाकिस्तान के साथ हो रहा था तो आपको किसने जेल भेजा था भारत ने या पाकिस्तान ने। स्वभाविक है कि प्रधानमन्त्री ने यह ब्यान भी इन चुनावों को सामने रख कर ही दिया है। अन्यथा शायद वह ऐसा कुछ न कहते।
इन चुनावों के लिये भाजपा का सीएए पर स्टैण्ड हर राज्य में अलग अलग हो गया है। बंगाल में मन्त्रीमण्डल की पहली बैठक में इसे लागू करने की बात करते हैं तो असम में इस पर पुनर्विचार करने की। तमिलनाडु में इसका कोई जिक्र नहीं है। भाजपा ने जब बंगाल में दो सौ सीटें जीतकर सरकार बनाने का दावा किया था तब चुनाव रणनीतिकार प्रशान्त किशोर ने कहा था कि भाजपा सौ के आंकड़े से पीछे रहेगी। इस पर इण्डिया टूडे के राहुल कंवर ने किशोर से पूछा था कि भाजपा सौ से पार कैसे जा पायेगी। तब किशोर ने कहा था कि यदि केन्द्रिय बलों पर कहीं कोई हमला हो जाता है तो भाजपा सौ से पार जा सकती है। इण्डिया टूडे में किशोर का यह इन्टरव्यू करीब एक माह पहले का है। अब छत्तीसगढ़ में नक्सलीयों का केन्द्रिय बलों पर हमला हो गया है। इस हमले को प्रशांत किशोर के वक्तव्य के आईने में देखते हुए बंगाल चुनावों से जोड़ कर देखा जा रहा है। क्योंकि इन्ही चुनावों में गृह मन्त्री अमितशाह ने यह कहा है कि बंगाल में भाजपा की हार राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये एक बड़ा खतरा होगी।
इस तरह इन चुनावों में अब तक जो कुछ घट चुका है उसको सामने रखते हुए यह स्पष्ट हो जाता है कि आने वाला समय देश के लिये बहुत कठिन होने वाला है। अभी छोटी बचतो पर ब्याज दरें कम करने का फैसला यह कहकर वापिस लिया गया कि गलती से ऐसा जारी हो गया। स्वभाविक है कि जब बड़े उद्योग घरानों को दिया हुआ कर्ज वापिस नहीं आया है तो बैंकों के पास निश्चित रूप से पैसे की कमी है। ऐसे में नया कर्ज देने के लिये यह ब्याज दरें ही कम की जायेंगी। हो सकता है कि पैन्शन में भी कटौती करने की हालत आ जाये। इस तरह इन चुनावों के साथ भविष्य के लिये जो संकेत ईवीएम से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा और छोटी बचतों पर ब्याज दरों को कम करने तक के सामने आये हैं उन्हें गंभीरता से लेना होगा। इसके प्राथमिकता के आधार पर इन मुद्दों पर एक-एक करके राष्ट्रीय बहस उठानी होगी।

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