शिमला/शैल। कृषि हिमाचल प्रदेश के लोगों का प्रमुख व्यवसाय है और प्रदेश की अर्थव्यवस्था में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। हिमाचल प्रदेश देश का अकेला ऐसा राज्य है जहां 89.96 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। इसलिए कृषि व बागवानी पर प्रदेश के लोगों की निर्भरता अधिक है और कृषि से राज्य के कुल कामगारों में से लगभग 62 प्रतिशत को रोज़गार उपलब्ध होता है। कृषि राज्य आय का प्रमुख स्त्रोत है तथा राज्य के कुल घरेलू उत्पाद का लगभग 10 प्रतिशत कृषि तथा इससे सम्बन्धित क्षेत्रों से प्राप्त होता है।
सरकार द्वारा प्रदेश में कृषि क्षेत्र को नई दिशा प्रदान करने के लिए कई योजनाएं चलाई गई हैं तथा अनेक नई योजनाएं चलाई जानी
किसानों-बागवानों कि आय तभी बढ़ेगी जब उनके उत्पाद में वृद्धि होगी। कृषि व बागवानी उत्पाद में वृद्धि के लिए पर्याप्त सिचाई सुविधाओं का होना आवश्यक है। सिचाई सुविधाओं में वृद्धि के उद्देश्य से इस वर्ष तीन नई सिचाई योजनाएं-‘जल से कृषि को बल’, ‘बहाव सिचाई योजना’ व ‘सौर सिचाई योजना’ आरम्भ की जा रही हैं जिसके तहत क्रमशः 250, 150 व 200 करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे। प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना के तहत 338 करोड़ रुपये की लागत से 111 लघु सिचाई योजनाओं के लिए एक नई इकाई मंजूर की गई है जिसके अंतर्गत केन्द्रीय सहायता के रूप में 49 करोड़ रुपये की पहली किस्त प्राप्त हो गई है। इसके साथ ही प्रदेश में लघु सिचाई योजनाओं के विकास के लिए 277 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है। किसानों को सिचाई सुविधा प्रदान करने के लिए ही प्रदेश की पुरानी पेयजल व सिचाई योजनाओं को दुरुस्त किया जाएगा जिसके लिए केन्द्र सरकार को 800 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा जा रहा है। इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा कृषकों को सिचाई के लिए बिजली की वर्तमान दर 1 रुपये प्रति यूनिट से घटाकर 75 पैसे प्रति यूनिट की जा रही है जिससे प्रदेश के लाखों किसान लाभान्वित होंगे।
प्रदेश के किसानों की आय बढ़ाने के दृष्टिगत मंत्रिमंडल की गत बैठक में शून्य लागत प्राकृतिक कृषि के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने तथा कृषि लागत कम करने के लिए प्रदेश में ‘प्राकृतिक खेती-खुशहाल किसान’ योजना के कार्यान्वयन के दिशा-निर्देशों को मंजूरी प्रदान कर दी गई है। इस योजना के लिए 25 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। योजना से प्राकृतिक कृषि को नई दिशा मिलेगी तथा किसानों द्वारा खेतों में रासायनिक खादों के उपयोग में कमी आएगी। प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा इस योजना के कार्यान्वयन के लिए पैकेज ऑफ प्रैक्टिसिज तैयार किया जाएगा।
कृषकों की आय बढ़ाने के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में फल एवं सब्जी उत्पादन के अंतर्गत अतिरिक्त क्षेत्र को लाया जाएगा। वर्तमान में प्रदेश के 5 जिलों में 300 करोड़ रुपये की जीका (JICA) फसल विविधिकरण योजना लागू की गई है। अब इस योजना के द्वितीय चरण को 1000 करोड़ रुपये की लागत से सभी जिलों में लागू किया जाएगा। इससे प्रदेश में कृषि क्षेत्र को नई दिशा मिलेगी।
प्रदेश में सुरक्षित खेती को बढ़ावा देने के लिए ‘वाई.एस.परमार किसान स्वरोज़गार योजना’ के तहत पॉली हाऊस के निर्माण के लिए वर्ष 2018-19 में दौरान 23 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है। किसानों की फसलों को बन्दरों, जंगली जानवरों व आवारा पशुओं से बचाने के लिए ‘मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना’ के तहत सामूहिक तौर पर सोलर बाड़ लगाने के लिए इस वर्ष 85 प्रतिशत अनुदान के प्रावधान के साथ 35 करोड़ के बजट का प्रावधान किया गया है।
इसके साथ-साथ कृषि से सम्बन्धित अन्य क्षेत्रों जैसे फूलों की खेती, मौन पालन, मत्स्य पालन, डेयरी उत्पादन जैसी गतिविधियों को विस्तार देकर भी किसानों की आय को दोगुना करने के लिए प्रदेश सरकार प्रयासरत है।
मजदूरों की कमी के कारण कृषि का यन्त्रीकरण समय की मांग है। ऊँचे दाम के कारण बहुत से कृषक ट्रैक्टर, पॉपर वीडर, पॉवर टिल्लर जैसे उपकरण नहीं खरीद पा रहे हैं। इसके लिए प्रदेश में ‘कृषि उपकरण सुविधा केन्द्र’ स्थापित किए जाएंगे, जिनमें किसान-बागवान किराए पर उपकरण प्राप्त कर सकेंगे। इन केन्द्रों की स्थापना के लिए प्रदेश के किसानों एवं युवा उद्यमियों को 25 लाख रुपये की राशि तक की मशीनरी पर सरकार 40 प्रतिशत उपदान प्रदान करेगी। कृषकों व बागवानों को पॉवर वीडर, पॉवर टिल्लर तथा अन्य उपकरणों पर उपदान के लिए 32 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है।
उत्पादन लागत कम करने के उपायों के तहत वर्ष 2018-19 में सभी कृषकों को पोषकों के संतुलित उपयोग के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के अंतर्गत लाया जाएगा। प्रदेश की जलवायु गैर-मौसमी सब्जियों के लिए उपयुक्त है। प्रदेश सरकार किसानों को उच्च उत्पादकता वाले बीज वितरित करेगी। अच्छी किस्म वाले अनाज के बीज भी उपदान पर वितरित किए जाएंगे। जैविक कीटनाशक संयन्त्र की स्थापना के लिए 50 प्रतिशत निवेश उपदान देने का प्रावधान किया जा रहा है।
राज्य में 13 अनुसंधान केन्द्रों तथा आठ विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से किसानों तथा बागवानों को कृषि तथा बागवानी की उन्नत तथा नवीनतम जानकारियां प्रदान की जा रही हैं। सरकार ने सभी विज्ञान केन्द्रों के साथ अपनी-अपनी परिधि के किसानों-बागवानों को वाट्सएप्प के साथ जोड़ कर एक नवीन पहल की है। इससे जहां किसानों की समस्याओं के शीघ्र समाधान का मार्ग प्रसस्त हुआ है वहीं उन्हें ऋतृवार फसलों से संबंधित जानकारियां भी प्राप्त हो रही हैं। किसानों की समस्याओं व मांगों को प्राथमिकता के आधार पर निपटाने के लिए किसान कृषि विभाग की टोल फ्र्री हेल्पलाईन सेवा 1550 आरम्भ की गई है।
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