Friday, 19 September 2025
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एनजीटी के आदेशों के बावजूद हो रहे नियमों के विरूद्ध निर्माण

शिमला/शैल। हिमाचल सरकार ने 7.12.2000 को एक अधिसूचना जारी करके शिमला के 17 क्षेत्रों को ग्रीन एरिया घोषित किया था। इससे पहले 11 अगस्त 2000 को भी एक अधिसूचना जारी की गयी थी इसमें कहा गया था All  Private  as well as Government  constructions are totally banned within the core area of Shimla Planning Area. Only reconstruction on old lines shall be permitted in this area with the prior approval of the State Government. The core area shall comprise of the following: "Central Shimla bounded by the circular cart road starting from victory Tunnel and ending at Victory tunnel via Chhota Shimla and Sanjaui and the area bounded by Mall Road starting from Railway Board Building to Ambedkar Chowk, covering  Museum, Hill  by a road starting from Ambedkar Chowk, on the north side, joining the chowk of Indian Institute of Advance Studies and following the road joining Summer Hill post office and via upper road to Boileauganj Chowk and then joining the cart Road, along Cart Road to Victory Tunnel." सरकार की इन अधिसूचनाओं की अवहेलना करते हुए जब शिमला में निर्माण होते चले गये तब इस संद्धर्भ में अन्ततः 2014 में एनजीटी में एक याचिका दायर हुई और इस पर मई 2014 में एनजीटी ने भी एक अन्तरिम आदेश पारित करते हुए सरकार की 2000 की अधिसूचना की तर्ज पर निर्माणों पर रोक लगा दी थी।
लेकिन सरकार की अधिसूचना और एनजीटी के अन्तरिम आदेशों के बावजूद भी इन निर्माणों पर रोक नही लगी बल्कि जाखू रोपवे के निर्माण के लिये 11 मंजिले स्वीकृत थी परन्तु इसमें 13 मंजिलों का निर्माण कर दिया गया। स्वीकृति के बिना बनी दो मंजिलों को 60,68,491 रूपये का जुर्माना लगाकर नियमित कर दिया गया। एनजीअी ने जाखू रोपवे के निर्माण का कड़ा संज्ञान लिया है। यही नही सरकार की अधिसूचनाओं और एनजीटी के निर्देशों के बावजूद ऐसे निर्माण जारी है। जिनकी नियमों के अनुसार अनुमति मिलना संभव नही है। चर्चा है कि टूटी कंडी क्षेत्रा में ऐसा निर्माण बेरोकटोक जारी है जिसमें शायद 90 डिग्री तक की कंटिग कर दी गयी है जबकि 35 डिग्री से अधिक की स्लोप की कटिंग ही नियमों के मुताबिक की जा सकती है। ऐसेे चल रहे निर्माणों से एक बार फिर यह सवाल उठना शुरू हो गया है कि क्या एनजीटी के आदेशों की अनुपालना हो पायेगी।

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