Thursday, 18 September 2025
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क्या विमल नेगी की मौत दूसरा गुड़िया कांड बनेगा?

  • पावर कारपोरेशन के भ्रष्टाचार पर जांच से क्यों डर रही है सरकार
  • क्या तकनीकी आरोपों का जवाब राजनेता दे सकते हैं

शिमला/शैल। पावर कारपोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की मौत के कारणों की जांच पुलिस के साथ ही सरकार ने प्रशासनिक स्तर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा को भी सौंप दी थी। पुलिस ने स्व. नेगी के परिजनों की शिकायत पर एफ.आई.आर. दर्ज की है। परिजनों की शिकायत रही है कि स्व. नेगी को कॉरपोरेशन में उनके वरिष्ठों प्रबंधन निदेशक हरिकेश मीणा और निदेशक देशराज ने एक ऐसी मानसिक प्रताड़ना का शिकार बना दिया था जिसके कारण उन्हें अपने जीवन से ही हाथ धोना पड़ा। परिजनों ने मानसिक प्रताड़ना का आरोप देशराज और हरिकेश मीणा पर लगाया था। परन्तु पुलिस ने केवल देशराज का नाम एफ. आई.आर. में शामिल किया मीणा का नहीं। मीणा की जगह प्रबन्ध निदेशक पदेन किया। एफ.आई.आर. में नाम आते ही देशराज ने अग्रिम जमानत के लिये उच्च न्यायालय में दस्तक दे दी। उच्च न्यायालय ने देशराज के आवेदन को अस्वीकार कर दिया। देशराज सुप्रीम कोर्ट पहुंच गये वहां पर उनकी जमानत याचिका का विरोध करने के लिये सरकार की ओर से कोई वकील पेश नहीं हुआ और देशराज को जमानत मिल गयी। देशराज को जमानत मिलने के बाद मीणा ने भी जमानत के लिये उच्च न्यायालय का रुख किया और उन्हें जमानत मिल गयी। मीणा ने अपने आवेदन में यह कहा है कि वह स्व. नेगी को व्यक्तिगत रूप से जानते ही नहीं है। पुलिस अभी तक इस मामले में किसी को गिरफ्तार नहीं कर पायी है। देशराज और मीणा से हिरासत में लेकर पूछताछ करने के लिये पहले उनकी जमानतें रद्द करवानी पड़ेगी और अब तक के आचरण के सामने इसकी संभावना नहीं के बराबर है।
प्रशासनिक जांच की रिपोर्ट सरकार के पास पहुंच गयी है। इस जांच में क्या कारपोरेशन के पूरे निदेशक मण्डल से सवाल जवाब हुये हैं या नहीं? कॉरपोरेशन के अध्यक्ष से कोई सवाल जवाब हुये है या नहीं इस बारे में अभी तक कुछ भी सामने नहीं आ पाया है। प्रशासनिक जांच कर रहे अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा को इंजीनियर सुनील ग्रोवर ने जो हस्ताक्षरित ब्यान सौंपा है उसमें पावर कॉरपोरेशन में व्याप्त भ्रष्टाचार पर जो तथ्य रखे गये हैं उन तथ्यों को सामने रखते हुये कॉरपोरेशन के पूरे निदेशक मण्डल से अध्यक्ष सहित जवाब किये जाने आवश्यक माने जा रहे हैं। पूर्व उद्योग मंत्री विधायक विक्रम ठाकुर और नेता प्रतिपक्ष पूर्व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने भी अलग-अलग पत्रकार वार्ताओं में कॉरपोरेशन अध्यक्ष की नियामक भूमिका को लेकर सवाल उठाये हैं। इन सवालों के जवाब जिस तरह से सरकार के मंत्री और सलाहकार दे रहे हैं उससे स्पष्ट हो जाता है कि कुछ छिपाने का प्रयास किया जा रहा है।
कॉरपोरेशन में व्याप्त भ्रष्टाचार को इंजीनियर सुनील ग्रोवर ने बेनकाब किया है। इंजीनियर ग्रोवर हिमाचल सरकार में भी एमडी रह चुके हैं। ऑल इण्डिया फैडरेशन के संरक्षक हैं। जो तथ्य ग्रोवर के ब्यान में उजागर हुये हैं उनका जवाब उसी स्तर के इंजीनियर से आना चाहिये जो विषय का ज्ञाता हो। जब तकनीकी सवालों का जवाब राजनेता देने का प्रयास करते हैं तो स्वतः ही यह सन्देश चला जाता है कि कुछ ‘खास’ छिपाने का प्रयास किया जा रहा है। क्योंकि यह तो आम आदमी भी समझ जाता है कि आधा काम ही होने पर पूरे के पैसे नहीं दिये जाते। कम्पनी को ब्याज मुक्त ऋण देने का प्रावधान कैसे किया गया। यह आरोप शोंग टोंग परियोजना को लेकर है। पेखुबेला में डीपीआर से लेकर आगे तक सब कुछ सवालों में है। कॉरपोरेशन अपनी बैंक की सी.सी. लिमट से ही परियोजना का वित्त पोषण कर रही थी। यह कैसा प्रबन्धन है? विपक्ष इस परियोजना में फॉर्च्यूनर और इनोवा गाडी़यां के तोहफे बांटे जाने के आरोप लगा रहा है। हिमाचल सरकार का वित्तीय संकट आज उस मोड पर पहुंच गया है कि सरकार को वित्त वर्ष के पहले ही दिन कर्ज लेना पड़ा है। ऐसी स्थिति में जब इस तरह के भ्रष्टाचार को दबाने के प्रयास आम आदमी के सामने आयेंगे तो इसके परिणाम दूरगामी होंगे। विपक्ष ने मुख्य सचिव के सेवा विस्तार को भी इस कॉरपोरेशन के साथ जोड़ दिया है।

 

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