Thursday, 18 September 2025
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क्या मण्डी का चुनाव मुद्दों पर आ पायेगा?

  • जयराम के ब्यानों से उभरी आशंका
  • जयराम के ब्यानों पर कांग्रेस की खामोशी सवालों में

शिमला/शैल। कांग्रेस ने भाजपा की कंगणा रणौत के मुकाबले लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह को मण्डी से लोकसभा प्रत्याशी बनाया है। कंगणा एक स्थापित सिने तारिका है और मण्डी से ही आती है। कंगणा का परिवार भी राजनीतिक पृष्ठभूमि वाला है लेकिन विक्रमादित्य सिंह की राजनीतिक विरासत कंगणा ही नहीं बल्कि प्रदेश के अन्य राजनेताओं से भी भारी है। विक्रमादित्य प्रदेश के छः बार मुख्यमंत्री रहे और स्व वीरभद्र सिंह और मण्डी की वर्तमान सांसद प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्षा प्रतिभा सिंह के बेटे हैं। कंगणा पहली बार राजनीति में प्रवेश ले रही है जबकि विक्रमादित्य सिंह दूसरी बार विधायक बनकर इस बार मंत्री भी बन गये हैं। शैक्षणिक योग्यता में भी विक्रमादित्य कंगणा पर भारी है। क्योंकि कंगणा ज्यादातर तारिकाओं की तरह स्कूल से आगे नहीं गयी है। कंगणा का सारा ज्ञान सिने पाठशाला में पढ़े और भोगे पाठों पर आधारित है और उसी के आधार पर वह सफलता के मुकाम पर पहुंची है। जबकि विक्रमादित्य सिंह की शिक्षा दीक्षा विश्वविद्यालय के प्रांगण से बाहर राजनीति की व्यवहारिक जमीन पर भी हुई है। इसलिये व्यावहारिक तौर पर विक्रमादित्य सिंह चुनावी प्रांगण में निश्चित रूप से अपने प्रतिद्वन्दीयों से कहीं भारी है। लेकिन क्या चुनाव राजनीतिक और आर्थिक समझ के मानकों पर लड़ा जायेगा? शायद नहीं। यह चुनाव शह और मात की विरासत पर लड़ा जायेगा क्योंकि यह कोई धर्म युद्ध नहीं है। विक्रमादित्य भविष्य के नेता है और यह चुनाव जीतने के बाद वह स्थापित भी हो जायेंगे । यह स्थापित होना ही उन्हें कई अपनों और प्ररायों के लिये प्रतिद्वन्दी बना देगा। इस समय भाजपा ने इस चुनाव की जिम्मेदारी पूर्व मुख्यमंत्री नेता प्रतिपक्ष जयराम को सौंप रखी है। इसलिये मण्डी में नाराज चल रहे नेताओं को मनाने जयराम उनके घरों तक दस्तक दे रहे है। इसी के साथ जयराम ने प्रतिभा सिंह और विक्रमादित्य को लेकर बागी विधायकों के सन्द्धर्भ में जो यह ब्यान दिया था कि पहले इन लोगों ने बागीयों को ब्यान देकर उकसाया और बाद में पलट गये । जयराम के अतिरिक्त भाजपा के और नेताओं ने भी इस ब्यान को दोहराया है। कंगणा रणौत ने भी यह दोहराया है कि विक्रमादित्य भाजपा मुख्यालय के चक्कर लगाते रहे है। जयराम ने यह भी कहा है कि विक्रमादित्य के चुनाव लड़ने पर वह और भी खुलासा करेंगे। जयराम और भाजपा के इन संकेतों से स्पष्ट हो जाता है कि वह इस चुनाव में प्रतिभा और विक्रमादित्य को खलनायक प्रमाणित करना चाहते है। यह शुरू से ही माना जा रहा था की मण्डी लोस चुनाव लड़ने की जिम्मेदारी अन्ततः हॉलीलॉज पर ही आयेगी। राज्यसभा प्रकरण पर भी पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट में कांग्रेस के संकट के लिये जिस तरह से प्रतिभा - विक्रमादित्य को जिम्मेदार ठहराने को प्रचारित और प्रसारित किया गया था उसके पीछे भी विश्लेष्कांे को एक तय एजैन्डा नजर आया था। अब उस एजैन्डे को जयराम और भाजपा के माध्यम से आगे बढ़ाये जाने की पूरी पूरी संभावना है। क्योंकि जयराम के ब्यानों का अभी तक किसी भी कांग्रेस नेता ने कोई जवाब नहीं दिया है। ऐसे में इस चुनाव में विक्रमादित्य सिंह स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के संपर्कों को कितना और कैसे भुना पाते हैं यह देखना दिलचस्प होगा। क्योंकि भाजपा और जयराम की यह राजनीतिक आवश्यकता बनती जा रही है कि वह इन्हीं चुनाव के दौरान सरकार को गिराने में सफल हो जाये। मण्डी का चुनाव भाजपा बनाम कांग्रेस होने के स्थान पर अपरोक्ष में जयराम के माध्यम से कांग्रेस का आपसी स्कोर सैटल करने का मैदान बनता नजर आ रहा है क्योंकि सरकार के पक्ष में उपलब्धियों के नाम पर धरातल पर कुछ नहीं है।

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