शिमला/शैल। कांग्रेस ने जनता को जो दस गारंटीयां दी है उनमें से एक प्रदेश में प्रति वर्ष एक लाख रोजगार उपलब्ध करवाना भी एक है। इस गारंटी को कैसे पूरा किया जाये इसके लिए उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान की अध्यक्षता में एक उप समिति का गठन किया गया था। इस कमेटी की जो रिपोर्ट आयी है उसके मुताबिक सरकार में कर्मचारियों के कुल तीन लाख पद स्वीकृत हैं और इनमें से 70,000 पद खाली चल रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा प्रभावित शिक्षा विभाग है जिसमें 1,20,989 स्वीकृत पदों में से 22,974 पद खाली है। प्रदेश के लोक निर्माण, स्वास्थ्य, परिवहन, पुलिस, ग्रामीण विकास, कृषि और बिजली बोर्ड जैसे महत्वपूर्ण विभाग इसमें बुरी तरह प्रभावित हैं। इतने खाली पदों से यह सवाल उठता है कि एक ओर तो इतने खाली पद चल रहे हैं और दूसरी ओर आउटसोर्स के माध्यम से भर्तियां की जाती रही हैं। आउटसोर्स के माध्यम से हजारों कर्मचारी भर्ती किये गये हैं और हर बार इनके नियमितीकरण की मांग उठती है। हर बार नीति बनाने का आश्वासन दिया जाता है। आउटसोर्स उपलब्ध करवाने वाली कंपनियां कर्मचारी हितों का कितना ध्यान रखती है यह बजट सत्र में क्लीनवेज कंपनी पर उठी बहस से स्पष्ट हो गया है। इस कंपनी को 40 करोड़ दिये गये हैं और इस पर जांच करवाने की बात सदन में की गयी है जिस पर अभी तक कुछ भी सामने नहीं आया है। तीन लाख स्वीकृत पदों में से 70,000 का खाली होना यह स्पष्ट करता है कि इससे सरकार का कामकाज कितना प्रभावित हो रहा है और उसका जनता पर कितना प्रभाव पड़ रहा है। इस स्थिति से यह सवाल भी उठता है कि प्रदेश में रोजगार और निवेश लाने के लिए इन्वैस्टर मीट किये गये थे। उनके व्यवहारिक परिणाम शायद दावों के अनुसार नहीं रहे हैं। इसलिये सरकार को यह फैसला लेना होगा कि इतने खाली पदों को भरने के लिये क्या प्रक्रिया अपनाई जाये। क्योंकि प्रदेश में कर्मचारियों की भर्ती प्रदेश लोक सेवा आयोग और अधीनस्थ कर्मचारी सेवा चयन आयोग के माध्यम से की जाती है। लेकिन लोक सेवा आयोग ने 2018 से 2020 तक केवल 2375 पदों पर भर्ती की है। कर्मचारी चयन आयोग ने 5 वर्ष में 15,706 पदों पर भर्ती की है। अब कर्मचारी चयन आयोग भंग कर दिया गया है और उसका काम भी लोक सेवा आयोग को दे दिया गया है। लोकसेवा आयोग की भर्तियों को लेकर जो स्पीड रही है उससे यह भर्तियां करने में तो कई वर्ष लग जायेंगे। ऐसे में सरकार को कर्मचारी चयन आयोग को बहाल कर के नये सिरे से क्रिर्याशील बनाना होगा। इसी के साथ आउटसोर्स के माध्यम से भर्तियां करने पर भी पुनःविचार करना होगा। क्योंकि अब तक जो कुछ सामने आ चुका है उसके मुताबिक यह कुछ लोगों के लिए मोटे कमीशन का सोर्स बनकर रह गया है।