शिमला/शैल। कांग्रेस नेता रहे पूर्व मंत्री हर्ष महाजन अब भाजपा ने आकर स्टार प्रचारकों की सूची में भी शामिल हो गये हैं। हर्ष महाजन लम्बे समय से चुनावी राजनीति को अलविदा कह चुके हैं और भाजपा में आकर भी चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। ऐसे में राजनीतिक हलकों में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या हर्ष महाजन को संघ भाजपा की विचारधारा की अब समझ आ गयी है और कांग्रेस भाजपा में आकलन करते हुये उन्हें भाजपा बेहतर लगी है। लेकिन भाजपा में शामिल होने पर उन्होंने वैचारिकता को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की है। केवल कांग्रेस के प्रदेश और केन्द्रिय नेतृत्व पर किसी दूसरे की बात न सुनने का आरोप लगाया है। लेकिन यह आरोप लगाते हुये उनका ध्यान इस तथ्य की ओर नहीं गया है की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो पिछले आठ वर्ष से देश को केवल अपने ही मन की बात सुनाते आये हैं। आठ वर्षों में कोई पत्रकार वार्ता तक संबोधित नहीं की है इसलिये भाजपा-कांग्रेस दोनों के शीर्ष नेतृत्व की तुलना करते हुये हर्ष महाजन का आरोप जमीन पर नहीं ठहर पाता है और इसलिये गले नहीं उतरता है।
क्योंकि कांग्रेस में आज हर्ष महाजन कार्यकारी अध्यक्ष थे और पूर्व में राज्य सहकारी बैंक के चेयरमैन रह चुके हैं। स्मरणीय है कि जब वह बैंक के अध्यक्ष थे तब बैंक में कर्मचारियों की भर्ती को लेकर एक बड़ा विवाद उठा था। भाजपा ने इसको अपने आरोपपत्र में प्रमुखता से उठाया था। जयराम की सरकार बनने के बाद विभागीय स्तर पर इसकी प्रारंभिक जांच करने के बाद इसमें बाकायदा एफ आई आर दर्ज करके मामले की जांच करने के आदेश जुलाई 2018 को विजिलैन्स को दिये गये थे। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की संस्तुति के बाद यह मामला विजिलैन्स को भेजा गया था। लेकिन आज तक इस पर कोई कारवाई नहीं हो पायी है। चर्चा है कि जब मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक रूप से यह कहा था कि कांग्रेस चुनाव लड़ने लायक ही नहीं रहेगी तो उस दौरान यह पड़ताल की जा रही थी कि कांग्रेस के किस-किस नेता को विजिलैन्स के माध्यम से साधा जा सकता है। उस पड़ताल में हर्ष महाजन का नाम सामने आने के बाद हर्ष भाजपा के हो गये यह सामने है।
यही नहीं हर्ष महाजन ने नवंबर 2016 में नोट बन्दी लागू होने के बाद 16 मई 2017 को एक गाड़ी खरीदी थी। लेकिन मई 2017 में खरीदी गई इस गाड़ी का पंजीकरण 16 मार्च को गाड़ी खरीदने से पहले ही हो गया। यूनाइटेड इन्श्योरेंस कंपनी से इसका इन्श्योरस 2 मार्च को ही हो गया। अभी मार्च 2023 तक इसका इन्श्योरेंस है यह दस्तावेज भाजपा के कई हलकों में इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। स्वभाविक है कि नोटबंदी के बाद बड़ी गाड़ी खरीदना और खरीद से पहले ही उसका पंजीकरण और इन्श्योरेंस करवा लेना हर किसी के बस की बात नहीं है। भाजपा ने शायद इन्हीं अनुभवों का लाभ लेने के लिये उन्हें अपने यहां सम्मानित किया है और वह भी साम दाम की नीति अपनाकर कांग्रेसियों को भाजपा में लाने का प्रयास कर रहे हैं।