शिमला/शैल। प्रदेश भाजपा के महिला मोर्चा ने चार दिन पहले शिमला में एक गायत्री महायज्ञ का आयोजन किया है इस आयोजन में करीब दो सौ कार्यकर्ताओं ने भाग लिया है। इसमें मुख्यमन्त्री जयराम ठाकुर और शिक्षा मन्त्री सुरेश भारद्वाज भी शामिल रहे हैं दोनों ने इसके हवन में आहूतियां डालकर कोरोना के कहर से निजात दिलाने के लिये दैवीशक्तियों का आह्वान किया है। मोर्चा की प्रदेश अध्यक्षा रश्मिधर सूद ने इसे कोरोना के संद्धर्भ में प्रदेश की जनता को जागरूक करने की दिशा में एक बडा योगदान करार दिया है। राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमन्त्री के आह्वान पर देश कोरोना को भगाने के लिये ताली-थाली बजाने से लेकर दीपक जलाने तक के सारे प्रयोग कर चुका है। लेकिन इन सारे प्रयासों के बाद भी कोरोना का कहर थमा नही है और आज इससे प्रभावितों में भारत दुनिया का तीसरा बड़ा देश बन गया है। हिमाचल में भी इस यज्ञ से कोई लाभ नही मिला है बल्कि इसके मामलों में और अधिक वृद्धि हुई है। इस वृद्धि से यह समझ आता है कि यह महामारी इन उपायों से कम होने वाली नहीं है और इसके लिये कोई अलग ही कदम उठाने होंगे। गायत्री यज्ञ के आयोजन में उन सारे निर्देशों की अवेहलना हुई है जो कोरोना को लेकर प्रधानमन्त्री देश के नाम जारी कर चुके हैं। बल्कि पूर्व मुख्यमन्त्री वीरभद्र सिंह के आवास पर उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य पर रखें आयोजन को लेकर कोरोना निर्देशों के उल्लंघन के जो आरोप भाजपा ने लगाये थे आज स्वयं उन्हीं आरोपों के साये में घिर गयी है। प्रदेश कांग्रेस ने राज्य सरकार के पर्यटकों को लेकर किये गये फैसले के विरोध में सचिवालय तक एक रोष रैली का आयोजन किया था। इस आयोजन में कोरोना निर्देशों के उल्लंघन के आरोपो के तहत प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सहित कई कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामले बनाये गये हैं। लेकिन महिला मोर्चा के आयोजन में भी उन सारे निर्देशों का उल्लंघन हुआ है लेकिन इस पर प्रशासन कोई भी कारवाई करने का साहस नही कर पाया है। लाहौल स्पिति मे जब वहां की महिलाओं ने कृषि मन्त्री डा. मारकण्डेय पर कोरोना निर्देशों का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए उनका रास्ता रोका था तब उन पर आपराधिक मामले बना दिये गये। इन प्रकरणों में भी यही प्रमाणित होता है कि भाजपा सरकार इस महामारी में भी राजनीति कर रही है और महामारी को इस राजनीति का एक अवसर मानकर आचरण कर रही है। पिछले चार दिनों से प्रदेश में हर रोज़ कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। अब जो मामले बढ़ रहे है वह सोलन, मण्डी, सिरमौर, शिमला, कुल्लु, किन्नौर ज़िलों में बढ़ रहे हैं। आज सोलन, कांगड़ा के बराबर पहुंच गया है जबकि ऊना इनसे बहुत पीछे चल रहा है जिसे एक समय तबलीगी समाज का केन्द्र बता दिया गया था। लेकिन आज जो स्थिति देश/प्रदेश की बन गयी है वो किसी हिन्दु-मुस्लिम के कारण नहीं बल्कि सरकार के गलत आकलन और उसके प्रभाव में बनी नीतियों के कारण हुई प्रदेश में जो मामले अब बढ़ रहे हैं वह सेब क्षेत्रों और औद्यौगिक क्षेत्रों में बढ़ रहे हैं। यहां इसलिये बढ़ रहे है क्योंकि जो श्रमिक निति इन क्षेत्रों के लिये बनाई गयी उसमें कोरोना के लिये पहले बनाये गये बहुत सारे निर्देशों में ढील दे दी गयी। श्रमिक नीति के साथ ही पर्यटक नीति में भी वैसी ही कमीयां रहने दी गयी। बल्कि पर्यटकों के लिये अलग और प्रदेश के बाहर से आने वाले हिमाचलियों के लिये अलग नीति बन गयी। इस नीति को लेकर कई वरिष्ठ पूर्व नौकरशाहों ने प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर रोष भी व्यक्त किया है।
कोरोना आई एम ए के मुताबिक सामुदायिक संक्रमण और प्रसार की स्टेज पर पहुंच गया है। ऐसे में यदि इसका संक्रमण शहरी क्षेत्रों से निलकर ग्रामीण क्षेत्रों में फैल गया तो उससे स्थिति बहुत जटिल हो जायेगी। क्योंकि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का स्तर बहुत ही कमजा़ेर है। प्रदेश में जो 400 के करीब डाक्टरों के पद खाली हैं वह अधिकांश में ग्रामीण क्षेत्रों में ही हैं। इसलिये कोरोना को लेकर नये सिरे से आकलन करके नीति बनानी होगी यह स्पष्ट होना होगा कि सही में सरकार कोरोना को कितना घातक मानती है क्योंकि इसमें डाक्टरों की राय अलग-अलग रही है। ऐसे में यदि सरकार अपने आकलन में कोरोना को गंभीर मानती है तब इसके निर्देश सबके ऊपर एक समान लागू करने होंगे। यह नहीं हो सकता कि पर्यटकों, उद्योग श्रमिकों, बागवानी श्रमिकों और प्रदेश के स्थायी निवासियों सभी के लिये अलग अलग नियम बनाये जायें। अब तक सरकार अपने नियमों को एक ही दिन में दो दो बार बदलने का खेल कर चुकी है। जब सरकार अपने ही नियमों के बारे में स्थिर और स्पष्ट नही होगी तब उसकी गायत्री यज्ञ जैसी ही फजीहत होगी कि भगवान से ऊपर नेताओं के चित्रों को स्थान मिल जाये। इस समय एक स्पष्ट नीति के साथ प्रदेश की जनता को आयूष का काढ़ा उपलब्ध करवाना होगा जो कि पहले वरिष्ठ नेताओं और वरिष्ठ अधिकारियों तक ही उपलब्ध करवाया गया है।