हाईड्रोकाॅलेज निर्माण में 8 करोड़़ के घपले पर चुप्पी क्यों
राजकुमार राजेन्द्र सिंह बनाम एसजेवीएनएल में आये सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर अमल कब
शिमला/शैल। प्रदेश की जनता को इन्वैस्टर मीट के माध्यम से 85000 करोड़ के निवेश का सपना दिखाने वाली जयराम सरकार ने दिवाली के बाद पैट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दाम बढ़ा कर आम आदमी से इस सपने की पूरी- पूरी कीमत वसूल ली है। मजे की बात तो यह है कि चुनावों से पहले इन्हीं की कीमतों में राहत देकर वोट हासिल कर लिया और अब इन्हीं राहतों को न केवल वापिस लिया बल्कि इनके दाम और ज्यादा बढ़ाकर सरकार बनाने का ईनाम भी जनता को दे दिया है। इसमें भी मज़ाक तो यह है कि जहां खुले आम भ्रष्टाचार हो रहा है उस पर तो यह सरकार कोई कारवाई करने का साहस ही नहीं जुटा पा रही है क्योंकि शायद उसमें कुछ अपनों पर भी आंच आने का डर हो। भ्रष्टाचार का आलम यह है कि प्रदेश में बन रहे हाईड्रो कालिज के निर्माण में न्यूनतम दर 92 करोड़ को नजरअन्दाज कर 100 करोड़ वाले को काम दे दिया। यदि कार्य आवंटन के स्तर पर ही आठ करोड़ का चूना लगाया जा सकता है तो आगे चलकर और क्या होगा इसका अनुमान लगाया जा सकता है। इसी तरह राज कुमार, राजेन्द्र सिंह बनाम एसजेवीएनएल मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की अनुपालना अभी तक नही हो पायी है। जबकि सितम्बर 2018 में आये इस फैसले पर दो माह के भीतर अमल किया जाना था। इस मामले में फैलसे के अनुसार करीब छः करोड़ रूपये की 12ः ब्याज सहित वसूली की जानी है और यह रकम 30 करोड़ से अधिक की बनती है। लेकिन सरकार और प्रशासन की प्राथमिकता में यह मामले नहीं आते। क्योंकि एक आदेश से पैट्रोल -डीजल और रसोई गैस की कीमतें बढ़ाना आसान है। 85000 करोड़ के निवेश के सपने की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिये प्रधानमन्त्री तक को इस मीट के लिये आमन्त्रित किया गया है।
इन्वैस्टर मीट में प्रधानमन्त्री, गृहमन्त्री एवम् अन्य कुछ मंत्रीयों का आना ही अपने में कई सवाल खड़े करता है। कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि क्या प्रधानमंत्री इस अवसर पर प्रदेश को कोई विशेष आर्थिक पैकेज दे कर जायेंगे। प्रधानमंत्री और अन्य मन्त्रीयों के आने की संभावनाओं से ही यह सवाल एक बार फिर उछल गये हैं कि 2014 में जब डा0 मनमोहन सिंह ने सत्ता छोड़ी थी तब बेरोज़गारी की दर 3.4% थी जो आज बढ़कर 8.1% हो गयी है। ब्डप्म् की जनवरी 2019 की रिपोर्ट के अनुसार नोटबंदी के बाद करीब 90 लाख लोगों का रोज़गार समाप्त हुआ है। यूपीए दो के शासनकाल में देश की जीडीपी 7.4% थी जो 2018 -19 में 5% से भी कम रह गयी है। 2014 में डालर की कीमत 58 रूपये थी जो आज बढ़कर 75 रूपये हो गयी है। जनधन के नाम पर बैंकों में जीरो बैलेन्स सुविधा के आश्वासन पर खाते खुलावाये गये थे उनमें अब न्यूनतम बैलेन्स की शर्त लगाकर जुर्माना लगाया जा रहा है। एक समय गृहणी सुविधा योजना के नाम पर गरीबों को मुफ्त में गैस कनैक्शन देकर सरकार ने जो वाहवाही और वोट आम आदमी से ले लिया था आज गैस सिलैण्डर के दाम एक मुश्त 77 रूपये बढ़ाकर उस सबकी कीमत वसूल कर प्रदेश के 17 लाख से कुछ अधिक के गैस उपभोक्ताओं को सरकार ने झटका दिया है। यह सबकुछ इन्वैस्टर मीट की पूर्व संध्या पर घटा है। इसलिये इस समय इसकी चर्चा एक अनिवार्यता बन गयी है।
इसी सब कुछ को सामने रखते हुए यह सवाल उछलने लग पड़ा है कि जब ग्लोबल मंदी है तो फिर यह निवेश का सपना कब और कैसे साकार हो पायेगा या फिर यह वर्तमान परिस्थितियों से ध्यान हटाने का एक सुनियोजित प्रयास है।