1924 में स्थापित हुये इस अस्पताल में अभी भी नही है एक्स रे जैसी सुविधायें
शिमला/शैल। प्रदेश के सबसे बड़े कमला नेहरू महिला शिशु अस्पताल को आज तक एक्स रे सुविधा उपलब्ध नही हो पायी है। जबकि इसकी स्थापना 1924 में हुई थी और यह एक लेडी रिड़िंग के नाम से जाना जाता था। वर्तमान में प्रशासनिक दृष्टि से इसका संचालन इन्दिरा गांधी मैडिकल कॉलेज शिमला के अधीन है। इसमें प्रतिदिन सैंकड़ों के हिसाब सें महिला मरीज आतें हैं। क्योंकि प्रसव का यह सबसे बड़ा केंद्र है। स्वभाविक है कि जब ऐसी गर्भवती महिलायें यहां आती हैतो उनके परीक्षण के बाद उन्हें कई तरह के टैस्ट आदि करवाने की आवश्यकता पड़ जाती है। लेकिन इस तरह के सारे टैस्ट यहां नही हो पाते हैं और उनके लिये मरीजों को आईजीएमसी भेजा जाता है। आईजीएमसी का कमला नेहरू अस्पताल से पैदल एक घन्टे से अधिक का रास्ता है और बस या अपने वाहन से जाने में यह रास्ता 8 से 10 किलोमीटर पड़ जाता है। ऐसे में अन्दाजा लगाया जा सकता है कि मरीजों को इसके लिये कितनी परेशानी का सामना करना पड़ता होगा। खून की जांच से संबंधित भी अधिकांश टैस्ट मैडिकल कॉलिज की लैब में ही होते हैं। ऐसे में अन्दाजा लगाया जा सकता है कि यदि मरीज के साथ एक ही तामीरदार आया हो तो वह सैंपल लेकर मैडिकल कॉलेज जायेगा या मरीज की देखभाल के लिये उसके साथ रहेगा। एक्स-रे तक की सुविधा अभी तक यहां उपलब्ध नही है। एक्स- रे तो आस पास की प्राईवेट लैब में भी उपलब्ध नही है। ऐसें में यह सवाल उठना स्वभाविक है कि एक और तो
सरकार आयुषमान भारत और हिमकेया जैसी स्वस्थ्य योजनाएं चलाकर हर गरीब आदमी को निशुल्क चिकित्सा सुविधायें प्रदान करने का दावा कर रही है लेकिन मरीजों को व्यवहारिक रूप् से किस तरह की असंविधाओं का सामना करना पड़ रहा है इस ओर प्रशासन का कोई ध्यान ही नही है।
कमला नेहरू अस्पताल के पुराने भवन की हालत अत्यन्त दयनीय है इसे तोड़कर नये सिरे से बनाने की अवश्यकता है। इस संद्धर्भ में करीब बीस वर्ष पहले इसमें एक नया पांच मजिलां ब्लॉक जोड़ा गया था। और आज उसी में अस्पताल का मुख्य काम चल रहा है। इसी कड़ी में 2013 में इसमें एक और ब्लॉक जोड़ने के लिये शिलान्यास किया गथा। यह सात मंजिला ब्लॉक बनकर तैयार भी हो गया है परन्तु इसके भीतर का काफी काम होना बाकी है। लेकिन हमारे राजनेताओं को अधूरे भवनों का उदघाटन करने की जल्दबाजी रहती है और इसी सनक से इस ब्लॉक का उदघाटन फरवरी 2019 में कर दिया गया। क्योंकि उसके बाद लोक सभा चुनाव आने थे और उनमें इसका श्रेय लिया जाना था। जबकि उदघाटन का अर्थ होता है कि उसी दिन से भवन उपयोग में आ गया है। लेकिन यहां पर व्यवहारिक स्थिति यह है कि पूरे भवन को उपयोग में लाने के लिये अभी ऐ वर्ष से अधिक का समय लग सकता है। यही नही जिस पांच मजिला ब्लॉक में अस्पताल का मुख्यकाम चल रहा है उस तक पहुचनें वाले मार्ग पर काफी अरसा पहले भू सखलन हुआ था और उसके कारण बड़ी ऐंबुलैन्स भी वार्ड तक ले जाना कक्नि हो गया था। उससे अवरूद्ध हुये मार्ग को अभी तक पूरी तरह प्रशासन साफ नही कर पाया है। इससे स्वास्थ्य जैसे संस्थानों के प्रति भी प्रशासन की संवेदनशीलता का पता चल जाता है।
इसमें दिलचस्प तो यह है कि कमला नेहरू अस्पताल एकदम मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के आवास ओकओवर के साथ लगता है। मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी भी स्वंय डॉक्टर हैं और कई अवसरों पर यहां मरीजों को फल -मिठाईयां आदि बांटने के उद्देश्य ये यहां आती रहती हैं। बल्कि जब वह अस्पताल में आती हैं तो पूरा प्रबन्धन उनके स्वागत में शामिल रहता है। लेकिन अभी तक इस सच्च की ओर मुख्यमन्त्री की डॉक्टर पत्नी का भी ध्यान नही गया है कि इस अस्पताल में बहुत सारी चिकित्सीय सुविधाओं की कमी है और मुख्यमन्त्री से अधूरे ही भवन का उदघाटन करवा दिया गया है।