Friday, 19 September 2025
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क्या जयराम सरकार के मन्त्री भी आऊट सोर्सिंग के कारोबार में शामिल हैं

शिमला/शैल। अभी कुछ दिन पहले प्रदेश विश्वविद्यालय के समीप पाॅटर हिल में आरएसएस की शाखा लगाने और क्रिकेट खेलने को लेकर उठे विवाद में आरएसएस के स्यवंसेवकों, विद्यार्थी परिषद के छात्रों और एसएफआई के बीच खूनी झड़प हो गयी जिसमें इन तीनों संगठनों के करीब डेढ़ दर्जन लोग घायल हुए हैं। घायलों को आईजीएमसी और रिपन अस्पताल में भर्ती करना पड़ा है। यह पहला मामला है जहां इस तरह के संघर्ष में आरएसएस का नाम आया है। इस झगड़े के बाद दोनो पक्षों की ओर से पुलिस में मामले दर्ज करवाये गये हैं। मामले दर्ज होने के बाद पुलिस आरोपियों को पकड़ने के लिये कारवाई में जुट गयी है। इस संघर्ष में कुछ लोग गंभीर रूप से घायल हैं और उन्हें डाक्टरों की निगरानी में रखा गया है। इस मामले पर मुख्यमन्त्री जयराम ठाकुर से लेकर शिक्षा मन्त्री सुरेश भारद्वाज और एसएफआई तथा नौजवान सभा के नेता आमने-सामने आ गये हैं। प्रदेश सीपीएम के शीर्ष नेतृत्व ने इस संबंध में एक पत्रकार वार्ता करके सरकार और मुख्यमन्त्री की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाये हैं। आरोप लगाया गया है कि विश्वविद्यालय का भगवाकरण किया जा रहा है। आरएसएस के कार्यकर्ताओं की गतिविधियों को लेकर चुनाव आयोग तक से शिकायत की गयी है।
नौजवान सभा के संयोजक चन्द्रकांत वर्मा ने आरोप लगाया है कि इस खूनी झड़प का मूल कारण विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा आऊट सोर्स पर की गयी भर्तियां हैं। उसके मुताबिक आऊट सोर्स पर भर्तीयां करने के लिये टैण्डर मंगवाये गये थे और भर्ती का ठेका किसी काॅरपोरेट नामक कंपनी को दे भी दिया गया था। लेकिन इस ठेेके को बाद में शिक्षा मंत्री के हस्तक्षेप से रद्द कर दिया गया। बाद में फिर टैण्डर मांगे गये और इस बार सिंगल टैण्डर पर ही एक उत्तम हिमाचल नामक कंपनी को यह ठेका दे दिया गया। यह उत्तम हिमाचल कंपनी शिक्षा मंत्री के किसी करीबी की बताई जा रही है। आऊट सोर्स के माध्यम से विश्वविद्यालय की परिणाम शाखा में 18 प्रोग्रामर भर्ती किये गये हैं। आरोप है कि यह सारे लोग भाजपा और आरएसएस से संवद्ध लोग हैं। इन लोगों के भर्तीे होने से परिणामों की निष्पक्षता प्रभावित होने का सन्देह व्यक्त किया जा रहा है।
विश्वविद्यालय की परिणाम शाखा एक गोपनीय प्रभाग मानी जाती है जिसमें गोपनीयता का विशेष ध्यान रखा जाता है। ऐसे में यह पहला सवाल उठता है कि क्या इस शाखा में गोपनीयता का काम आऊट सोर्स पर तैनात किये गये कर्मचारियों को सौंपा जा सकता है। आऊटसोर्स पर सेवा उपलब्ध करवाने वाली कंपनी शिक्षा मन्त्री के करीबी की कही गयी है। इसका कोई खण्डन नही आया है। यह सरकार भी अपने विभिन्न अदारों में आऊट सोर्स पर भर्तीयां कर रही है। विश्वविद्यालय के इस विवाद से पहले राज्य बिजली बोर्ड में आऊट सोर्स के टैण्डर को लेकर विवाद खड़ा हो चुका है। अभी आऊट सोर्स कर्मीे कालीबाडी़ में एक सम्मेलन करके आन्दोलन की रूप रेखा तैयार कर चुके हैं। जयराम के एक मन्त्री के तो इस संबंध में पत्र भी छप चुके हैं। इससे स्पष्ट हो जाता है कि सरकार के कुछ मन्त्री इस आऊट सोर्स नीति को अपना समर्थन दे रहे हैं। लेकिन इस संद्धर्भ में सरकार की नीयत और नीति पर उस समय शक हो जाता है जब सरकार आऊट सोर्स को लेकर विधानसभा में पूछे गये सवालों को यह कहकर लंबित कर देती है कि सूचना एकत्रित की जा रही है। जब सरकार आऊट सोर्स पर भर्तीयां कर ही रही है फिर इसमें पूरी सूचना सार्वजनिक रूप से सामने न रखना सवाल तो खड़े करेगा ही। क्योंकि इन भर्तीयों में शैक्षणिक मैरिट और आरक्षण के तहत रोस्टर आदि की अनुपालना करने की कोई बंदिश नही रहती है। और ठेकेदार को बिना किसी काम के मोटा कमीशन मिलता रहता है। यह कंपनी अपने दफ्तर का काम भी केवल एक बोर्ड टांगकर ही चला लेती है। न्यू शिमला में इस तरह की एक कंपनी का बोर्ड काफी चर्चा में रहा है।
इस परिदृश्य में आज यह एक बड़ा सवाल बनता जा रहा है कि जो लाखों लोग रोज़गार कार्यालयों के माध्यम से नाम पंजीकृत करवाकर रोजगार की प्रतीक्षा में बैठे हैं उनका क्या होगा। इस समय प्रदेश के रोजगार कार्यालयों में 8,34084 लोग पंजीकृत हैं। जिनमें 73077 पोस्ट ग्रैजुएट, 1,32,186 ग्रैजुएट, 5,86,453 मैट्रिक, 40819 अन्य पढ़े लिखे और 1549 अनपढ़ है। लेकिन पिछले पन्द्रह वर्षों में प्रतिवर्ष कितने लोगों को सरकार और प्राईवेट क्षेत्र में रोजगार मिल सका है यह सरकार के अर्थ एवम् संख्या विभाग के इन आंकड़ो से स्पष्ट हो जाता है।
इसी के साथ यह आंकड़ा भी महत्वपूर्ण है कि इस सरकार में कुल 1,77,338 कर्मचारी नियमित रूप से कार्य कर रहे हैं जबकि 42,877 कर्मचारी नियमित नही हैं। इन आंकड़ो में वाॅलंटियर, तदर्थ, विद्याउपासक, टैन्योर और कान्ट्रैक्ट आदि सब शामिल है इसमें आऊट सोर्स का आंकड़ा शामिल नही है क्योंकि आऊट सोर्स को सरकारी कर्मचारी की संज्ञा नही दी जा सकती। आज आऊट सोर्स कर्मचारियों की संख्या भी करीब पचास हजार का आंकड़ा छूने वाली है क्योंकि जब वीरभद्र सरकार के दौरान इन्हें नियमित करने की नीति बनाने की चर्चा उठी थी तब इनकी संख्या 35000 कही गयी थी। उसके बाद आजतक इसमें 15000 से अधिक और भर्ती होने की चर्चा है। ऐसे में आने वाले दिनों में विश्वविद्यालय की तरह और कहां-कहां क्या घट सकता है इसका अनुमान लगाया जा सकता है। इन आंकड़ो से सरकार के इन दावों का सच भी सामने आ जाता है कि कब कितना रोजगार मिला है।

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