Friday, 19 September 2025
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दस्तावेजों के आईने में प्रदेश का बजट 16 नयी योजनाओं के साथ आया 44384 करोड़ का बजट

शिमला/शैल। मुख्यमन्त्री जयराम ठाकुर का 2019-20 का कुल बजट 44384 करोड़ का होगा यह खुलासा मुख्यमन्त्री ने सदन में अपने बजट भाषण में रखा है। इस बजट में मुख्यमन्त्री ने अगले वित्त वर्ष के लिये 16 नयी योजनाओं की घोषणा की है। पिछले वित्त वर्ष में ऐसी ही 30 योजनाओं की घोषणा की गयी थी। अब यह पिछली ओर अगली दोनों योजनाएं एक साथ चलेंगीं। लेकिन पिछली 30 योजनाओं में से अधिकांश अभी तक अमली शक्ल नही ले पायी हैं। ऐसे में 31 मार्च को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष में यह बची हुई योजनाएं आकार ले पाती है या नही इसका पता आने वाले दिनों में लगेगा। इन सारी योजनाओं के लिये धन का प्रावधान कैसे हो पायेगा यह एक गंभीर सवाल है। प्रदेश का बजट योजना और गैर योजना दो भागों में बंटा रहता है। इसमें योजना के लिये 90ः की सहायता केन्द्र से मिलती है और 10% योगदान राज्य सरकार का होता है। यह योजना 2019-20 के लिये 7100 करोड़ की है। लेकिन गैर योजना का सारा खर्च राज्य को अपने ही संसाधनों से पूरा करना होता है चाहे उसके लिय कर्ज ही क्यों न लेना पड़े। वर्ष 2019-20 में प्रदेश का गैर योजना खर्च 36089.03 करोड़ होगा जबकि राजस्व आय केवल 33746.95 करोड़ रहने वाली है। इस तरह राजस्व आय से राजस्व व्यय 2342.08 करोड़ बढ़ जाता है। योजना और गैर योजना दोनों का मिलाकर राज्य की समेकित निधि बनती है।

राजस्व आय और व्यय के साथ ही बजट में पूंजीगत प्राप्तियों  का ब्योरा भी रहता है। इसके मुताबिक वर्ष 2019-20 में सरकार 8330.75 करोड़ ऋणों के माध्यम से जुटायेगी। ऐसे में सवाल उठता है कि जब राजस्व आय और व्यय में केवल 2342.08 करोड़ का घाटा है तब 8330.75 करोड़ का पूंजीगत ऋण क्यों? जब योजना का आकार 7100 करोड़ है और उसमें से 90% केन्द्र देगा फिर राजस्व व्यय में योजना के नाम पर 2822.24 करोड़़ का खर्च क्यों? फिर पूंजीगत प्राप्तियों में भी योजना के नाम पर केवल 3661.30 करोड़ का खर्च क्यों जबकि योजना तो 7100 करोड़ की है। बजट के आंकड़ो की इस जादूगरी से यह आंशका होना स्वभाविक है कि क्या योजना के तहत किये जा रहे कार्यों को पूरा होने के बाद भी गैर योजना में ट्रांसफर नही किया जा रहा है। क्या इसी कारण से कई कई वर्षों तक कार्यों के उपयोगिता प्रमाण पत्र जारी नहीं किये जाते हैं और हर वर्ष सीएजी की रिपोर्ट में समेकित निधि से अधिक खर्च होने का पैरा बनता है। इस आने वाले वित्त वर्ष में एफआरबीएम के तहत केवल 4524 करोड़ की ही ऋण लिया जा सकता है। ऐसे में कर्ज की सीमा 4524 करोड़ ही हो सकती है तो फिर पूंजीगत प्राप्तियों के तहत 8330.75 करोड़ का ऋण क्यों और कैसे?
प्रदेश का 2003 में कुल कर्ज 13209.47 करोड़ था जो कि बढ़कर 2017-18 में 4790.21 करोड़ हो गया है। मुख्यमन्त्री के बजट भाषण के अनुसार 2018-19 में 4546 करोड़ का ऋण लिया जायेगा। इस तरह 2018-19 में यह कर्जभार 52 हजार करोड़ से ऊपर चला जायेगा। ऐसे में यह सवाल उठना स्वभाविक है कि क्या वित्तिय प्रबन्धन केवल कर्ज का जुगाड़ करना ही रह गया है? यदि इसी तरह लोक लुभावन घोषणओं को पूरा करने के लिये कर्ज लिया जाता रहा तो मुख्यमन्त्री के इस कार्यकाल में ही यह कहां तक पहुंच जायेगा इसका अनुमान आंकड़ों और दस्तावेजों से लगाया जा सकता है।

































                                 मुख्यमन्त्री के भाषण के अंश

अध्यक्ष महोदय, अब मैं 2018-19 के संशोधित अनुमानों तथा 2019-20 के बजट अनुमानों पर आता हूँ।
वर्ष 2018-19 के संशोधित अनुमानों के अनुसार कुल राजस्व प्राप्तियां 31 हजार, 189 करोड़ रुपये हैं, जबकि 2018-19 के बजट में यह प्राप्तियां 30 हजार, 400 करोड़ रुपये अनुमानित थीं। इसी प्रकार 2018-19 के संशोधित अनुमानों के अनुसार कुल राजस्व व्यय 33 हजार, 408 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जबकि बजट में 33 हजार 568 करोड़ रुपये अनुमानित था। इस प्रकार संशोधित अनुमानों के अनुसार कुल राजस्व घाटा 2 हजार, 219 करोड़ रुपये रहेगा जो कि 2018-19 के बजट अनुमान से 949 करोड़ रुपये कम है। संशोधित अनुमानों के अनुसार वर्ष 2018-19 के दौरान कुल राजकोषीय घाटा 7 हजार, 786 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जो कि राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 5.14 प्रतिशत है। 2018-19 के बजट अनुमानों के अनुसार कुल राजकोषीय घाटा राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 5.16 प्रतिशत आँका गया था।
वित्तीय वर्ष 2018-19 में इस घाटे को पूरा करने के लिये 4 हजार, 546 करोड़ रुपये का शुद्ध ऋण लेने का अनुमान है, जो कि Fiscal Responsibility and Budget Management Act (FRBM) के प्रावधानों के अनुसार है।
वर्ष 2019-20 के दौरान कुल राजस्व प्राप्तियां 33 हजार, 747 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है तथा कुल राजस्व व्यय 36 हजार, 089 करोड़ रुपये अनुमानित है। इस प्रकार कुल राजस्व घाटा 2 हजार, 342 करोड़ रुपये अनुमानित है। राजकोषीय घाटा 7 हजार, 352 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो कि प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद का 4.35 प्रतिशत होगा। प्राप्तियों एवं व्यय के बीच के अन्तर को ऋण के माध्यम से पोषित किया जाएगा तथा यह शुद्ध ऋण 5 हजार, 068 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। यह ऋण FRBM अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप ही लिये जाएंगे।

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