Friday, 19 September 2025
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परिवहन निगम का कमाल-जांच रिपोर्ट में दोषी पाया लेकिन कारवाई की अनुशंसा नही

शिमला/शैल। भ्रष्टाचार के प्रति सरकार कितनी गंभीर है इसका प्रमाण अभी परिवहन निगम में हुई कंडक्टरों की भर्ती के प्रकरण में भी सामने आया है। कांग्रेस शासन में तत्कालीन परिवहन मन्त्री जीएस बाली को इसके लिये भाजपा ने खूब कोसा था। इस पर हर तरह के आरोप लगाये गये थे। भाजपा ने अपने आरोप पत्र में भी इसे एक बड़ा मुद्दा बनाया था। इसकी जांच करवाने की घोषणा की गयी थी। लेकिन भाजपा का यह आरोप कितना आधारहीन था इसका खुलासा स्वयं जयराम के अपने ही फैसले से हो जाता है। इस कंडक्टर भर्ती प्रकरण की जांच के मुद्दे को जब मंत्रीमण्डल की बैठक में अन्तिम फैसले के लिये रखा गया तब मन्त्रीमण्डल ने बाली के समय में ही हुए चयन को सही पाया और इसमें काई भी जांच करवाने से इन्कार कर दिया है।
अब इस भर्ती प्रकरण के बाद टायर और कुछ अन्य चीजों की खरीद घपला होने के आरोप लगे हैं। बजट सत्र में इस आशय का एक प्रश्न भी सदन में आया था। इस प्रश्न का उत्तर देते हुए सदन में इस मामले की जांच करवाये जाने का आश्वासन भी दिया गया था। अब इस आश्वासन के मुताबिक इसकी जांच करवाने की बात की जा रही है लेकिन कुछ जानकारो का मानना है कि जिन अधिकारियों के समय में यह घपले घटे हैं वह आज जयराम सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और उनके प्रभाव के चलते यह सरकार इस जांच को भी आगे नही बढ़ा पायेगी। क्योंकि परिवहन निगम में सारे महत्वपूर्ण फैसले तो एमडी के स्तर पर ही हो जाते हैं इसमें सचिवालय की भूमिका तो बड़ी नगण्य रह जाती है।
भ्रष्टाचार के मामले में परिवहन निगम का तो आलम ही अलग है। निगम में एक समय सारे कायदे कानूनों को नजरअन्दाज करके एक वरिष्ठ अधिकारी डी.एम शिमला अनिल सेन ने कई लोगों को लाखों रूपये का लाभ और निगम को नुकसान पहुंचाया है। जब सेन पर यह आरोप लगे तब परिवहन सचिव ने 30.8.2016 को एमडी को पत्र भेजकर इन आरोपों की जांच के निर्देश दिये थे। इन निर्देशों पर एमडी ने निगम के ईडी को इसकी जांच का जिम्मा सौंपा। ईडी ने इन आरोपों की जांच करने के लिये लायकराम ड्राईवर, गोपाल दास कंडक्टर, मदन लाल और कुन्दन सिंह कंडक्टर की फाईलें तलब की। फाईलों की जांच में ईडी ने पाया कि लायक राम को 16 वर्ष बाद नियमों के विरूद्ध अपने अधिकारों का अनुचित प्रयोग करते हुए लाभ दिया गया। इसी तरह गोपाल दास, मदन लाल और कुन्दन सिंह को लाभ दिया गया। इसके लिये डी.एम अनिल सेन अधिकृत नही था।
ईडी ने अपनी रिपोर्ट में साफ लिखा है कि "The DM, Shimla Shri Anil Sen was an Appellate Autrhority and not higher to appellate authority and thus exceeded his powers in all above cases. By reviewing such order he has caused financial loss to the HRTC." ईडी मस्त राम भारद्वाज ने 14.6.2017 को एमडी को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी लेकिन इस रिपोर्ट में यह प्रस्ताव नही किया कि इस डीएम के खिलाफ कोई कारवाई की जाये। एमडी ने भी रिपोर्ट आने के बाद अपनी ओर से इस पर कारवाई करने के निर्देश नही दिये। जब रिपोर्ट में यह साफ कहा गया कि डी एम अनिल सेन ने अपने अधिकारियों का दुरूपयोग करते हुए निगम को लाखों का नुकसान पहुंचाया है तो उसके खिलाफ कारवाई की अनुशंसा क्यों नही की गयी इसका किसी के पास कोई जवाब नही है।


 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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