प्रशासन की चुप्पी सवालों में
शिमला/शैल। कसौलीे कांड का कड़ा संज्ञान लेते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार से शिमला, धर्मशाला, मकलोड़गंज , कुल्लु और मनाली में भी हुए अवैध निर्माणों पर सरकार से रिपोर्ट तलब की है। प्रदेश में सबसे अधिक अवैध निर्माण शिमला में हैं 2014 के बजट सत्र में विधानसभा में आये एक प्रश्न के उत्तर में नगर निगम शिमला ने 186 भवनों की सूचीे सदन में रखी थी जो पांच या इससे अधिक मंजिलों के हैं कुछ तो बारह मंजिलों तक के हैं । जबकि भवन निर्माण नियम इसकी अनुमति नही देते हैं। लेकिन इनमें कुछ सरकारी भवन भी ऐसे हैं जो आठ से दस मंजिल तक के हैं इसमें यह सवाल उठना स्वभाविक है कि क्या सरकार के भवनों से पर्यावरण और सुरक्षा को खतरा नही होता? यह खतरा सिर्फ प्राईवेट भवनों से ही है।
2014 में नगर निगम ने स्वयं इन 186 भवनों की सूचीे जारी की है जबकि अब जब एनजीटी के पास शिमला को लेकर भी एक याचिका योगेन्द्र मोहन सेन गुप्ता की ओए संख्या 121 of 2014 सुनवाई के लिये आयी थी तो उसमें आठ हज़ार से अधिक ऐसे निर्माण आये हैं जिनके कभी कोई नक्शे ही निगम के पास नही आये हैं । बल्कि यह अवैधता तब सामने आई है जब प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेशों पर अवैध निर्माणों का बिजली, पानी काटने के आदेश हुए थे। आज यह सारे मामले एक बार फिर जन चर्चा में आकर खड़े हो गये हैं। जिने 186 भवनों की सूची निगम ने स्वयं जारी की थी उनकी आज की स्थिति क्या है इसकी कोई जानकारी निगम के पास नही है।