शिमला/शैल। प्रदेश से राज्यसभा सांसद और केन्द्रिय स्वास्थ्य मन्त्री जगत प्रकाश नड्डा का कार्यकाल अप्रैल में समाप्त हो रहा है। इस तरह खाली हो रही इस सीट के लिये 23 मार्च को चुनाव होने जा रहा है। इस चुनाव की प्रक्रिया संबंधी कार्यक्रम भी अधिसूचित हो चुका है। प्रदेश में भाजपा की सरकार है इस नाते भाजपा का ही उम्मीदवार चुनकर जायेगा यह भी तय है। लेकिन इसके लिये भाजपा का उम्मीदवार कौन होगा? नड्डा ही फिर उम्मीदवार होंगे। इसको लेकर अभी तक संगठन की ओर से कोई अधिकारिक सूचना जारी नही हुई है। नड्डा प्रधानमन्त्री के विश्वस्तों में गिने जाते हैं। इस नाते उनका ही फिर से चुना जाना संभावित माना जा रहा है।
लेकिन पार्टी के भीतरी सूत्रों के मुताबिक इस फैसले को लेकर अभी कई पेंच फंसे हुए हैं। क्योंकि पार्टी ने एक समय जब यह निर्णय लिया था कि 75 वर्ष की आयु पूरा कर चुके नेताओ को चुनावी राजनीति और मन्त्री या मुख्यमन्त्री जैसे पदों की जिम्मेदारीयां नही दी जायेंगी, उसी के साथ यह भी फैसला लिया गया था कि राज्यसभा और लोकसभा के लिये एक व्यक्ति को दो से ज्यादा टर्म नही दिये जायेंगे। इस गणित में नड्डा और अनुराग ठाकुर दोनों ही आते है। नड्डा की यह दूसरी टर्म पूरी हो रही है। इसके अतिरिक्त अभी जब जयराम प्रदेश के मुख्यमन्त्री बने थे तो उस समय यह खुलकर सामने आ गया था कि चुने हुए विधायकों का बहुमत धूमल के साथ था। भले ही वह स्वयं हार गये थे लेकिन चुनावों में पार्टी ने उन्ही का चेहरा आगे किया था और पार्टी की इस जीत मे उनका बड़ा योगदान रहा है यह सब मानते हैं। दो लोगों ने तो उनके लिये अपनी सीटें खाली करने तक की पेशकश भी कर दी थी। मुख्यमन्त्री के चयन के समय में यह पूरी चर्चा में रहा है कि धूमल को रेस से हटाने के लिये उन्हे राज्यसभा में भेजने का आश्वासन दिया गया था। अब उस आश्वासन का कितना मान रखा जाता है इसे परखने का समय आ गया है।
इसी के साथ कांगड़ा क लोकसभा सांसद और पूर्व मुख्यमन्त्री शान्ता कुमार भी केन्द्र और प्रदेश की सरकारांेे को लेकर तल्ख टिप्पणी करने लग गये हैं। पंजाब नैशनल बैंक स्कैम के सामने आने पर यह शान्ता ने ही टिप्पणी की थी कि अब तो अपने भी लूटने वालों में शामिल हो गये हैं। इसके बाद शान्ता ने जयराम सरकार द्वारा दो माह में ही दो हज़ार करोड़ का कर्ज लेने पर भी करारी टिप्पणी की है। शान्ता कुमार ने यह चिन्ता व्यक्त की थी कि इस कर्जे से कैसे निजात पायी जायेगी। शान्ता कुमार की इन टिप्पणीयों का केन्द्रिय नेतृत्व पर कितना और क्या असर हुआ है इसका अन्दाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अभी जब जयराम पालमपुर गये थे तो उन्होने शान्ता से अकेले में बन्द कमरे में लम्बी बैठक की है। हालांकि शान्ता कुमार अगला चुनाव नही लड़ने की घोषणा कर चुके हैं लेकिन भाजपा और प्रदेश की राजनीति की समझ रखने वाले जानते है कि अभी धूमल और शान्ता को नज़र अन्दाज करने का जोखिम पार्टी नही उठा सकती है। इस परिदृश्य में यह माना जा रहा है कि यदि अभी नड्डा के लिये दो टर्म वाला फैसला लागू नही किया जाता है तो उसी गणित में अनुराग के लिये भी यह फैसला लागू नही होगा। जबकि कुछ हल्कों में तो यह चर्चा चली हुई है कि धूमल विरोधी धूमल परिवार को प्रदेश की राजनीति से बाहर करने के लिये दो टर्म के फैसले के तहत अनुराग को टिकट से वंचित करने की रणनीति बनाने में लगे हुए हैं। माना जा रहा है कि यह सारे तथ्य हाईकमान के संज्ञान में हैं। इस परिदृश्य में राज्य सभा उम्मीदवार का फैसला लेने से पहले हाईकमान इन पक्षों पर भी गंभीरता से विचार करेगा क्योंकि उसे प्रदेश की चारों लोकसभा सीटों पर जीत 2019 में भी चाहिये।