शिमला/शैल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रदेश की तीन जलवि़द्युत परियोजनाओं के लोकार्पण अवसर पर आयोजित रैली एक सफल रैली रही है इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती है। यह रैली प्रदेश में सत्ता परिवर्तन का सफल संकेत मानी जा सकती है। क्योंकि इस रैली मे प्रधानमंत्री ने जो बुनियादी सवाल उछाले हैं वह आने वाले दिनों में निश्चित रूप से बहस का मुद्दा बनेगे? प्रधानमंत्री ने प्रदेश की जनता को बताया कि केन्द्र ने 15वें वित्तायोग
केन्द्र ने राज्य को 61 राष्ट्रीय उच्च मार्ग दिये हैं इन उच्च मार्गों पर कार्य शुरू हो इसके लिये समय पर इनकी डीपीआर बनकर केन्द्र के पास पहुचनीं चाहिये। डीपीआर राज्य सरकार को बनानी है और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने पिछले दिनों यह कहा हैं कि डीपीआरज बनाने के लिये उन्हे पैसा नही दिया गया हैं अब मुख्यमंत्री का यह तर्क प्रधान मन्त्री के 72 हजार करोड़ के आंकड़े के नीचे इस कदर दब जायेगा कि
कैग रिपोर्टो में सरकार के खर्चो को लेकर एक लम्बे समय से सवाल उठते रहे हैं लेकिन यह सवाल कभी बहस का मुद्दा नही बन पाये है। आज प्रधान मन्त्री द्वारा एक खुले मंच से 72 हजार करोड़ के आंकड़े की जानकारी आम आदमी के बीच आने से स्वाभाविक रूप से इस पर बहस उठेगी ही। क्योंकि यह आम आदमी का पैसा है और उसे यह हक हासिल है कि वह इस खर्च का हिसाब मांगे। प्रधानमंत्री ने जनता से स्पष्ट कहा है कि वह इस खर्च का सरकार से हिसाब मांगे। मोदी के इस आंकडे़ के हथौड़े से राज्य सरकार का बचना अंसभव है।