Thursday, 18 September 2025
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मोदी ने मांगा 72 हजार करोड़ का हिसाब

शिमला/शैल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रदेश की तीन जलवि़द्युत परियोजनाओं के लोकार्पण अवसर पर आयोजित रैली एक सफल रैली रही है इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती है। यह रैली प्रदेश में सत्ता परिवर्तन का सफल संकेत मानी जा सकती है। क्योंकि इस रैली मे प्रधानमंत्री ने जो बुनियादी सवाल उछाले हैं वह आने वाले दिनों में निश्चित रूप से बहस का मुद्दा बनेगे? प्रधानमंत्री ने प्रदेश की जनता को बताया कि केन्द्र ने 15वें वित्तायोग की सिफारिशों के बाद हिमाचल को 72 हजार करोड़ रूपेय का आवंटन किया है। जबकि 14 वें वित्तायोग के तहत यह राशी केवल 21 हजार करोड़ थी। 14वां वित्त आयोग यूपीए सरकार के समय आया था और 15वां अब भाजपा सरकार के दौरान आया है। कांग्रेस के मुकाबले तीन गुणा से भी ज्यादा आंवटन प्रदेश को मिला है। मोदी ने स्पष्ट कहा है कि केन्द्र और प्रदेश की जनता राज्य सरकार से इस पैसे के खर्च का हिसाब मांगेगी। राज्य सरकार का खर्च कितना तर्क संगत होता है? उसमें कितनी फज़ूल खर्ची होती है? इन सवालों पर कभी बहस नही हुई है। क्योंकि जनता को इस तरह के तथ्यों की कभी सीधी जानकारी होती ही नहीं है। यह पहली बार है कि देश के प्रधान मंत्री ने जनता के सामने इतना बड़ा आंकड़ा रखा है। इस आंकड़े को झुठलाना या इस पर कोई और किन्तु/परन्तु उठाना राज्य सरकार के लिये संभव नही होगा।
केन्द्र ने राज्य को 61 राष्ट्रीय उच्च मार्ग दिये हैं इन उच्च मार्गों पर कार्य शुरू हो इसके लिये समय पर इनकी डीपीआर बनकर केन्द्र के पास पहुचनीं चाहिये। डीपीआर राज्य सरकार को बनानी है और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने पिछले दिनों यह कहा हैं कि डीपीआरज बनाने के लिये उन्हे पैसा नही दिया गया हैं अब मुख्यमंत्री का यह तर्क प्रधान मन्त्री के 72 हजार करोड़ के आंकड़े के नीचे इस कदर दब जायेगा कि
इससे उभरना राज्य सरकार के लिये संभव नहीं हि पायेगा क्योंकि प्रधानमन्त्री ने अपने संबोधन में जहां पूर्व मुख्यमन्त्रीयों शान्ता कुमार और प्रेम कुमार धूमल को विकास का पर्याय बताया वहीं वर वीरभद्र को नाम लिये बगैर ही भ्रष्टाचार का पर्याय करार दिया। प्रधान मन्त्री के इस संकेत से यह भी संदेश उभरता है कि केन्द्र के खिलाफ चल रही जांच के प्रति पूरी तरह गभीर है और सही समय पर उसके परिणाम सामने आयेंगें आज राज्य सरकार का कर्जभार लगातार बढ़ता जा रहा है। इस समय बहुत सारे विकास के कार्य पैसों के अभाव में बन्द हो चुके है। मुख्यमंत्री के अपने विधानसभा क्षेत्र में ठेकेदारों की पैमेन्टस रूकने के कारण ठेकेदारों ने काम बन्द कर दिये है। प्रदेश के पेयजल योजनाओं के लिये आये हजारों करोड़ के उपयोगिता प्रमाण पत्र समय पर न जाने के कारण केन्द्र ने इन योजनाओं के लिये अगले भुगतान के लिये शर्ते कड़ी कर दी है। पर्यटन में फर्जी उपयोगिता पर जांच प्रमाण पत्र सौंपे जाने को लेकर शिकायते केन्द्र के पास पहुंच चुकी हैं और इन शिकायतों पर जांच को रोक पाना संभव नही होगा क्योंकि आर टी आई के तहत इन शिकायतों पर हुई कारवाई की जानकारी भी मांग ली गयी है।

कैग रिपोर्टो में सरकार के खर्चो को लेकर एक लम्बे समय से सवाल उठते रहे हैं लेकिन यह सवाल कभी बहस का मुद्दा नही बन पाये है। आज प्रधान मन्त्री द्वारा एक खुले मंच से 72 हजार करोड़ के आंकड़े की जानकारी आम आदमी के बीच आने से स्वाभाविक रूप से इस पर बहस उठेगी ही। क्योंकि यह आम आदमी का पैसा है और उसे यह हक हासिल है कि वह इस खर्च का हिसाब मांगे। प्रधानमंत्री ने जनता से स्पष्ट कहा है कि वह इस खर्च का सरकार से हिसाब मांगे। मोदी के इस आंकडे़ के हथौड़े से राज्य सरकार का बचना अंसभव है।

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