शिमला/शैल। अवैध भवन निर्माणों को नियमित करने के लिये सरकार फिर रिटैन्शन पाॅलिसी लेकर आयी है। इसके लिये अध्यादेश जारी किया गया है प्रदेश पहली बार 1997 में रिटैन्शन पाॅलिसी लायी गयी थी तब वीरभद्र की सरकार ही थी। इसके बाद 1999, 2000, 2002, 2004, 2006 और 2009 में रिटैन्शन के नाम पर भवन निर्माण नियमों में संशोधन किये गये हैं। 2006 में जून और नवम्बर में दो बार यह पाॅलिसी लायी गयी। रिटैन्शन के नाम पर अब तक प्रदेश में 8198 अवैध भवनों को नियमित किया जा चुका है। इस अवधि में प्रदेश में वीरभद्र और प्रेम कुमार धूमल दोनो की ही सरकारें रही है और दोनो के शासन कालों में बडे पैमाने पर अवैध भवन निमार्ण हुए है।
प्रदेश में नौवी बार यह संशोधन होने जा रहा है। 1997 में जब पहली बार यह रिटैन्शन पाॅलिसी लायी गयी थी तब यह दावा किया गया था कि इसके बाद होने वाले अवैध निर्माणों के साथ सख्ती से निपटा जायेगा। लेकिन बाद में हुआ सब कुछ इस दावे के ठीक उल्ट। सख्ती के नाम पर दलाली की फीस अवश्य बढ़ गयी है और यह दलाली बहुत लोगों का रोजगार बन गयी है। 1997 में रिटैन्शन जब पहली बार रिटैन्शन पाॅलिसी लायी गयी थी तो उसके बाद फिर अवैध निर्माण कैसे हो गये? इस अवैधता के लिये उस सरकारी तन्त्रा के खिलाफ क्या कारवाई की गयी जिसे यह सुनिश्चित करना था। कि उसके क्षेत्रा में भवन निर्माण नियमों की अनुपालना ठीक से हो रही या नही। लेकिन जिस तरह से बार-बार रिटैन्शन के नाम पर भवन निर्माण नियमों में संशोधन हुए है। उससे यह संदेश जाता है कि सारी अवैधता एक सुनियोजित तरीके से होती आ रही है। इसक पीछे ऐसे लोग रहे है जा पूरी तरह आश्वस्त रहे है जो यह जानते थे कि निर्माण के दौरान सरकारी तन्त्रा उनका काम रोकने नही आयेगा और बाद मे वह इसे रिटैन्शन के नाम पर नियमित करवा लेगें।
आज अगर शिमला में ही नजर दौड़ायी जाये तो सबसे ज्यादा अवैध निर्माण यहां पर हुए है। यहा पर नगर निगम केे जिम्मे भवन निर्माणों पर निगरानी रखने का काम था। लेकिन यहां पर होटल बिलो बैंक में जिस तरह से अवैध निर्माण ठीक मालरोड़ पर होता रहा और जैसे उसे नियमित किया गया है उसमें सरकार से लेकर नगर निगम तक पूरा संवद्ध तन्त्र की सवालों के घेरे में आ जाता है। सही पर प्रदेश उच्च न्यायालय का अपना भवन अवैध निर्माणों की सूची में शामिल है जब नगर निगम शिमला के क्षेत्रा में अवैध निर्माणों को लेकर विधान सभा में स्थानीय विधायक सुरेश भारद्वाज का प्रश्न आया था तो उसके उतर मे जो सूची में शामिल रखी गयी थी उसे कई सरकारी भवन भी शामिल रहे है। जबकि नियमो के मुताबिक सरकारी भवनों को भवन निर्माण नियमों की अनुपालना न करने की छूट नहीं हैं। आज कोर्ट रोड़ पर जिस तरह के विधायक बलवीर शर्मा का होटल बना है उस पर अवैधता का सबसे बड़ा आरोप है। आज हर व्यक्ति यह कहता सूना जा सकता है कि इस बार रिटैन्शन पोलिसी इन लोगो के लिए लाई जा रही है। बार- बार भवन निर्माण नियमों में संशोधन से स्पष्ट हो जाता है कि प्रदेश में बिल्डर लाॅबी कितनी प्रभावशाली हो चुकी है नगर निगम शिमला और प्रदेश विधान सभा चुनावों से पूर्व हर बार बिल्डर लाॅबी को खुश करने के लिए भू अधिनियम की धारा 118 और भवन निर्माण नियमों में सरकारें संशोधन लाती रही है। हर बार लायी गई रिटैन्शन को आखिरी बार कहा जाता रहा है लेकिन हुआ ठीक उससे उल्टा है। इसलिए बार - बार नियमों में संशोधन लाने की बजाये इन नियमों को ही समाप्त कर दिया जाना चाहिये और एक तय सीमा के बाद हर अवैधता की एक फीस का प्रावधान कर दिया जाना चाहिये।