Thursday, 18 September 2025
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व्यवस्था परिवर्तन से कहां पहुंचा प्रदेश

हिमाचल विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस ने प्रदेश की जनता को दस गारंटीयां दी थी और इन पर भरोसा करने के लिए कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने गवाही दी थी। इस गवाही पर भरोसा करके प्रदेश की जनता ने सत्ता की बागडोर कांग्रेस को सौंप दी। लेकिन सत्ता संभालते ही यह घोषणा कर दी गयी की सुक्खू सरकार व्यवस्था परिवर्तन के लिये काम करेगी। परन्तु इस व्यवस्था परिवर्तन को कभी परिभाषित नहीं किया गया। आज कांग्रेस के आम कार्यकर्ता से लेकर शीर्ष नेताओं तक कोई भी इस व्यवस्था परिवर्तन की व्याख्या कर पाने की स्थिति में नहीं है। इसलिये व्यवस्था परिवर्तन के इस सूत्र को समझने के लिये सरकार द्वारा अब तक लिये गये महत्वपूर्ण फैसलों पर नजर डालना आवश्यक हो जाता है। इस कड़ी में सबसे पहले प्रदेश की जनता को यह बताया गया कि प्रदेश के हालात कभी भी श्रीलंका जैसे हो सकते हैं और पिछली सरकार द्वारा अन्तिम छः माह में लिये गये फैसलों को पलटते हुये सैकड़ो नये खोले गये संस्थान बन्द कर दिये गये। मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों के आवासों में रिपेयर का दौर शुरू हुआ और मुख्यमंत्री को लम्बे समय तक पीटरहॉप में रहना पड़ा। हिमाचल बेरोजगारी में देश के पहले छः राज्यों में शामिल है इसलिये कांग्रेस ने प्रतिवर्ष एक लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाने की गारंटी दी थी। लेकिन इस गारंटी पर काम करने से पहले ही उस संस्थान को भ्रष्टाचार के आरोपों की आड़ में भंग कर दिया जिसके जिम्मे रोजगार देने की प्रक्रिया संबंधी जिम्मेदारी थी। इसीलिये रोजगार उपलब्ध करवाने की जानकारी मांगने वाले हर सवाल का विधानसभा में एक ही जवाब आता है कि सूचना एकत्रित की जा रही है।
वित्तीय संकट के मामले में बीस माह के कार्यकाल में 27,000 करोड़ का कर्ज लेने का आंकड़ा पूर्व केंद्रीय मंत्री और हमीरपुर के सांसद अनुराग ठाकुर ने जारी किया है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि केन्द्र के सहयोग के बिना यह सरकार एक दिन नहीं चल सकती। केन्द्र द्वारा दी गयी आपदा राहत में घपले किये जाने का आरोप कंगना रनौत से लेकर नड्डा तक लगा चुके हैं। अब तो कांग्रेस के नेता भी इस पर मुखर होने लग गये हैं। वित्तीय संकट के नाम पर इतना वित्तीय बोझ आम आदमी पर डाल दिया गया है कि आम आदमी इस डर में जी रहा है कि सरकार कब कौन सा टैक्स किस कारण से लगा दे इसका अन्दाजा लगाना ही असंभव हो गया है। लेकिन जनता पर इतना वित्तीय बोझ डालने और हर माह एक हजार करोड़ से अधिक का कर्ज लेने के बाद भी यह सरकार समय पर वेतन और पैन्शन का भुगतान क्यों नहीं कर पा रही है। आज हिमाचल सरकार की परफॉरमैन्स हरियाणा विधानसभा के चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री और अन्य भाजपा नेताओं के हाथ में कांग्रेस के खिलाफ एक बड़ा हथियार आ गया है। इस हथियार से कांग्रेस का नुकसान होना तय है। परफॉरमैन्स के लिहाज से हिमाचल में कांग्रेस बीस वर्ष तक पिछड़ गयी है।
ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि कांग्रेस हाईकमान हिमाचल के हालात का संज्ञान लेकर कोई सुधारात्मक कदम क्यों नहीं उठा पा रही है। आज हिमाचल से लोकसभा और राज्यसभा में कोई भी सांसद न होना एक बड़ा कारण बन गया है। क्योंकि हर पार्टी का हाईकमान किसी भी राज्य की जानकारी के लिये उस प्रदेश से आये सांसदों और मंत्रियों यदि केंद्र में उस पार्टी की सरकार हो तो उनकी राय पर बहुत निर्भर रहता है। लेकिन प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद संसद में प्रदेश से कोई कांग्रेस सांसद नहीं है। सांसदों के बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की राय को अधिमान दिया जाता है। यहां पर पार्टी अध्यक्ष को पहले ही विवादित बना दिया गया है। पार्टी अध्यक्ष के बाद प्रैस की सूचनाओं पर निर्भरता की बात आती है। इस दिशा में इस सरकार ने प्रैस का गला ऐसे घोंट कर रखा है कि कहीं कोई आवाज बची ही नहीं है। इस सरकार ने 1971 से लागू हुये लैण्ड सीलिंग एक्ट को 2023 में संशोधित करके उन संशोधनों को 1971 से ही लागू करने की सिफारिश की है। आज पचास वर्ष बाद ऐसे संशोधन की आवश्यकता क्यों आ खड़ी हुई? क्या आज भी प्रदेश में ऐसे लोग हैं जिनके पास लैण्ड सीलिंग सीमा से अधिक जमीन है? इस मुद्दे पर न तो विपक्षी दल भाजपा ने कोई सवाल उठाया है और न ही मीडिया ने। जहां इस तरह की स्थितियां हो वहां पर अन्दाजा लगाया जा सकता है की सरकार के व्यवस्था परिवर्तन सूत्र ने क्या कुछ बदल दिया होगा। ऐसे हालात का प्रदेश की जनता पर क्या प्रभाव पड़ेगा और सत्तारूढ़ दल उससे कितना मजबूत होगा यह सामान्य समझ का विषय है।

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