लेकिन जब सरकार ने मंत्रिमण्डल विस्तार से पहले ही छः मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्तियां कर दी तब आम आदमी सरकार की कार्यप्रणाली पर नजर रखने लगा। मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्तियों के बाद जब सरकार में नियुक्त हुये सलाहकारों और विशेष कार्यधिकारियों की संख्या करीब दो दर्जन के पास पहुंच गयी तब पार्टी के भीतर बैठे नेताओं और दूसरे लोगों ने भी इसका संज्ञान लेना शुरू कर दिया। पार्टी अध्यक्षा और दूसरे कुछ विधायकों ने इस पर चिन्ता व्यक्त करना शुरू कर दी। पार्टी के कार्यकर्ताओं को उचित मान सम्मान नहीं मिलने के आरोप हार्हकमान तक जा पहुंचे। हाईकमान ने सरकार और संगठन में तालमेल के लिये कमेटी तक का गठन कर दिया। लेकिन यह कमेटी भी पूरी तरह निष्क्रिय होकर रह गयी। आम आदमी को राहत के नाम पर केवल व्यवस्था परिवर्तन का जुमला सुनने को मिला। बेरोजगार युवा रोजगार के लिये धरने प्रदर्शनों तक आ गये। विधानसभा में इस आशय के आये हर सवाल का एक ही जवाब आया की सूचना एकत्रित की जा रही है।
जिस वित्तीय स्थिति पर प्रदेश को चेतावनी तक दी गयी उसमें विपक्ष ने आरटीआई के माध्यम से आंकड़े जुटा कर यह आरोप लगा दिया कि यह सरकार पन्द्रह माह में 25000 करोड़ का कर्ज ले चुकी है। सरकार इस आरोप का कोई जवाब नहीं दे पायी है। पूर्व की भाजपा सरकार पर वित्तीय कुप्रबंधन का आरोप लगाकर उसके खिलाफ श्वेत पत्र भी लायी लेकिन इस पर आज तक कोई सार्वजनिक बहस नहीं हो पायी है। 25 हजार करोड़ का कर्ज़ करके भी कर्मचारियों को उनके देय वितिय लाभों का भुगतान नहीं हो पाया है। ओ पी एस लागू करने के लिये बिजली बोर्ड जैसे अदारे अरसे से मांग करते-करते अब चनावों का बहिष्कार करने की चेतावनी देने पर आ गये हैं। इस पूरी वस्तुस्थिति में यह सवाल खड़ा होता जा रहा है कि जब सरकार अपने खर्चों पर लगाम लगाने के लिये तैयार नहीं है तो फिर आम आदमी पर बोझ क्यों डाला जा रहा है। विभिन्न सेवाओं और वस्तुओं के दामों में वृद्धि करके सरकार दो हजार करोड़ से अधिक का राजस्व अर्जित कर चुकी है। राजस्व बढ़ाने के लिये जल उपकर लगाने जैसे सारे उपाय अदालती परीक्षा में सफल नहीं हो पाये हैं। लेकिन सरकार किसी भी मुद्दे पर सार्वजनिक बहस के लिये तैयार नहीं हो रही है।
ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या सरकार इसी सहारे चुनावी वैतरणी पार कर लेगी कि उसकी सरकार धन बल के सहारे गिराने का प्रयास हो रहा है। क्या इस आरोप की आड़ में अन्य मुद्दे गौण हो जायेंगे।