Thursday, 18 September 2025
Blue Red Green
Home सम्पादकीय सह प्रभारी का पलायन प्रदेश के लिए बड़ा संकेत

ShareThis for Joomla!

सह प्रभारी का पलायन प्रदेश के लिए बड़ा संकेत

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव और हिमाचल के सह प्रभारी तेजिन्द्र बिट्टू कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गये हैं। वैसे तो इन चुनावों से कई राज्यों में कई नेता कांग्रेस छोड़कर भाजपा या अन्य दलों में शामिल हो गये हैं। नेताओं का इस तरह दल बदलना अपने में कई सवाल खड़े कर जाता है। एक समय यह निश्चित रूप से दलों के लिये कई बौद्धिक सवाल खड़े करेगा। इस समय इन लोकसभा चुनावों में भाजपा ने दूसरे दलों से सेन्ध लगाकर करीब एक लाख लोगों को भाजपा में शामिल करने का लक्ष्य रखा है। कांग्रेस मुक्त भारत का नारा तो बहुत अच्छे से भाजपा में चल रहा है। एक देश एक चुनाव का जो वायदा इस बार भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में कर रखा है उसे अब आने वाले दिनों में एक दल और एक नेता की ओर बढ़ने का पहला कदम माना जा रहा है। भाजपा की इस नीति का कालान्तर में देश पर क्या प्रभाव पड़ेगा यह तो आने वाला समय ही बतायेगा। लेकिन इस सम्भावित परिदृश्य में आज क्या कदम उठाये जाने चाहिए यह विचार करना महत्वपूर्ण हो जाता है। दूसरे दलों में सेन्ध लगाने का जो घोषित लक्ष्य रखा गया है उसे पूरा करने के लिये दूसरे दलों की सरकारें गिराना भी इस नीति का एक चरण हो सकता है। क्योंकि जब दूसरे दल स्थिर सरकारें ही नहीं दे पायेंगे तो लोगों का उनसे मोह भंग होना स्वभाविक है।
भारत एक बहुधर्मी, बहुभाषी और बहुजातीय देश है। इतने बड़े देश में एक ही दल की एक ही नेता के तहत सरकार की कल्पना तक करना भयावह लगता है। क्योंकि एक ही नेता सर्वज्ञ नहीं हो सकता और जब एक नेता को ईश्वरीय संज्ञाओं से अलंकृत करने का चलन शुरू हो जाये तो वह अनिष्ट का पहला संकेत माना जाता है। इस समय प्रधानमंत्री मोदी को बहुत लोग ईश्वरीय संबोधन से संबोधित करने लग पड़े हैं। स्वभाविक है कि जब एक नेता को ऐसे संबोधित किया जाने लग जायेगा तब दूसरे दलों में पलायन का मार्ग प्रशस्त होना शुरू हो जायेगा। चुनावों के बीच हो रहा पलायन कुछ इसी तरह के संकेत दे रहा है। ऐसे पलायन को रोकना दलों के शीर्ष नेतृत्व का दायित्व हो जाता है। इस समय भाजपा और कांग्रेस ही देश में दो सबसे बड़े दल हैं और यह इनके शीर्ष नेतृत्व की जिम्मेदारी हो जाती है कि यह अपने यहां हो रहे पलायन को रोकें।
यह पलायन रोकने के लिए पलायन करने आने वाले नेताओं द्वारा अपने-अपने दलों के नेतृत्व पर लगाये जा रहे आरोपों को जानना और समझना आवश्यक हो जाता है। इसके लिये यदि कांग्रेस छोड़कर गये नेताओं के आरोपों को सामने रखा जाये तो स्थिति कुछ सरलता से सामने आ सकती है। अभी तेजिन्द्र बिट्टू ने कांग्रेस छोड़ी है और उसने आरोप लगाया है कि संगठन में चार-पांच सत्ता केंद्र हो गये हैं और उनमें आपसी तालमेल का अभाव है। हिमाचल में भी छः विधायक कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गये हैं। यह लोग लम्बे अरसे से संगठन के भीतर अपने सवाल रख रहे थे। जब संगठन में उनकी बात नहीं सुनी गयी तब मीडिया मंचों के माध्यम से भी इन्होंने अपनी बात सार्वजनिक की। लेकिन तब भी दिल्ली से लेकर शिमला तक किसी ने उनकी बात नहीं सुनी और परिणाम सामने आ गया। यहां भी समानांतर सत्ता केंद्र स्थापित होने तथा उनमें तालमेल का अभाव रहने का आरोप था। यह सत्ता केंद्र अभी भी यथास्थिति कायम हैं। यदि समय रहते स्थितियों में सुधार न हुआ तो परिणाम भयानक हो सकते हैं। तेजिन्द्र बिट्टू का पलायन प्रदेश के लिये एक बड़ा संकेत है।
See insights and ads
Create ad
 
 
Like
 
 
 
Comment
 
 
Share
 
 

Add comment


Security code
Refresh

Facebook



  Search