2024 का चुनाव घोषित हो गया है। इस चुनाव के लिये भाजपा और कांग्रेस ने अपने-अपने चुनावी घोषणा पत्र भी सांकेतिक रूप से जारी कर दिये हैं। क्या भाजपा के घोषणा पत्र को ही एन.डी.ए. यथारूप स्वीकार कर लेता है या नहीं यह आने वाले दिनों में स्पष्ट हो जायेगा। यही स्थिति कांग्रेस की है क्या इंडिया के घटक दल कांग्रेस के एजैण्डे पर मोहर लगा देंगे। यह सवाल इसलिये प्रसांगिक है क्योंकि भाजपा और कांग्रेस जो भी वायदे लोगों से करेंगे इसका असर राज्यों की सरकारों पर पड़ेगा। इस समय केंद्र और राज्य सरकारों पर जितना कर्ज है उसे सामने रखते हुये इस चुनाव के चुनावी वायदों पर स्वतः ही कई प्रश्न चिन्ह लग जाते हैं। भाजपा एन.डी.ए. ने पिछले चुनाव में जितने रोजगार प्रतिवर्ष उपलब्ध करवाने का वायदा किया था वह कितना पूरा हुआ है? किसानों की आय दोगुना करने का जो वायदा किया था क्या उसके तहत सही में आय बढ़ पायी है? इस दौरान शिक्षा और स्वास्थ्य कितने महंगे हुये हैं? क्या सभी को सस्ता न्याय मिल पाया? क्या संसद और विधानसभायें अपराधियों से मुक्त हो पायी है? ऐसे दर्जनों सवाल हैं जो इस चुनाव में पूछे जाने चाहिए? लेकिन कौन यह सवाल पूछने कहा साहस दिखाएगा?
अभी सर्वाेच्च न्यायालय चुनावी बांड योजना को गैरकानूनी घोषित करके इसके तहत चन्दा देने वालों की सूची स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से तलब की है। अभी तक जो सूची आयी है इसकी पड़ताल पर यह सामने आया है कि ऐसा चुनावी चन्दा देने वाली अधिकांश कंपनीयां वह है जिन पर ई.डी, आईटी और सीबीआई की छापेमारी हो चुकी थी। चुनावी चन्दा देने के बाद यह कारवाइयां बन्द हुई है। चुनावी चन्दा देने वाली कंपनियों में एक कंपनी पाकिस्तान की भी सामने आयी है। जिसने पुलवामा घटने के बाद चन्दा दिया है। उन्नीस लाख ईवीएम मशीने गायब होने और अस्सी हजार करोड़ के नोट गायब हो जाने के मामले इस दौरान घट चुके हैं। इन मामलों में जांच एजेंसियों से लेकर शीर्ष न्यायपालिका तक खामोश रहे हैं। क्या इस चुनावी पर्व में कोई नेता या दल सवाल उठायेगा। इन्हीं बड़े कारनामों का परिणाम है कि देश में महंगाई और बेरोजगारी लगातार बढ़ती जा रही है। सस्ते राशन के डिपो में मिलने वाले अनाज की मात्रा लगातार कम होती जा रही है। क्यों?
सर्वाेच्च न्यायालय और आर.बी.आई. तक ने चुनावों में मुफ्ती की घोषणाएं किये जाने पर तलख टिप्पणी की है। क्या इन चुनावों में ऐसे चुनावी प्रलोभन का संज्ञान लेकर ऐसा करने वालों को दण्डित किये जाने का कोई प्रावधान किया जायेगा? भाजपा इस चुनाव को राम मन्दिर के रथ पर बिठाने का पूरा प्रयास करेगी? उसका हर कदम इस दिशा में लगातार बढ़ रहा है। यह भाजपा की चुनावी आवश्यकता है क्योंकि चुनाव में उठने वाले हर सवाल का जवाब केंद्र में दस वर्ष से सता में होने के नाते उसी को देना है। और वह इन सवालों से बचना चाहती है। आज यह सवाल कांग्रेस को उठाने होंगे। लेकिन यह सवाल उठाते हुये उसे प्रदेशों में कांग्रेस की सरकारों पर उठने वाले सवालों का भी जवाब देना होगा।