Friday, 19 September 2025
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क्या सनातन और भारत पर उठा विवाद हिन्दु राष्ट्र का संकेत है

संसद के विशेष सत्र में क्या होने जा रहा है इस पर पूरे देश की निगाहें लगी हुई है। क्योंकि इस सत्र का एजेंडा अभी तक देश और विपक्ष के सामने नहीं रखा गया है। इस सत्र में प्रश्न काल नहीं होगा। इससे रहस्य और भी गहरा जाता है। क्योंकि विपक्ष को भी यह बताया गया है की समय आने पर कार्य सूची जारी कर दी जाएगी। ऐसे में अटकलें का दौर बढ़ जाता है। इसलिए पिछले कुछ समय में जो कुछ घटा है उस पर नजर डालना आवश्यक हो जाता है। संसद के पिछले सत्र में सरकार ने जन विश्वास विधेयक पारित किया है। इसमें 42 अधिनियमों की 183 धाराओं को जेल की सजा के प्रावधान से बाहर कर दिया गया है इनमें अब जुर्माने का ही प्रावधान रह गया है। इनमें ई.डी, वन, पर्यावरण, बैंकिंग कर्ज, देशद्रोह आदि उन्नीस मंत्रालयों में संशोधन किया गया है। यह संशोधन जीवन यापन और व्यवसाय को सुगम बनाने के लिये किये गये हैं। समरणीय है कि पिछले नौ वर्षों में सरकार जिन कानून के सहारे विरोधियों को घेरती आयी है सरकारें तक गिरायी गयी उनमें अब यह संशोधन इस कार्यकाल के अन्त में क्यों किये गये?
अभी जब विपक्षी दलों ने इक्ठे होकर इंडिया नाम से एक गठबंधन खड़ा कर लिया और इसमें शामिल हर दल और नेता विपक्षी एकता के लिये कोई भी त्याग करने को तैयार हो गया तो इस गठबंधन की गंभीरता स्वतः ही स्पष्ट हो गयी। यह गठबंधन सामने आने के बाद जी-20 सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्षों के नाम राष्ट्रपति की ओर से जो निमंत्रण पत्र भोज के लिए गया उस पर प्रैजीडैण्ट ऑफ इंडिया की जगह प्रैजीडेण्ट ऑफ भारत लिखा गया। अन्य भी सारी संवद्ध सामग्री पर इंडिया के स्थान पर भारत लिखा गया। इस लिखने से इंडिया और भारत पर विवाद छिड़ गया। भारत लिखने की वकालत शुरू हो गयी। यह वकालत शुरू करने वाले यह भूल गये कि जब स्व.मुलायम सिंह यादव इस आश्य का प्रस्ताव उत्तर प्रदेश विधानसभा में लाये थे तब भाजपा ने ही इसका विरोध किया था। यही नहीं 2016 में सर्वाेच्च न्यायालय में आयी इस आश्य की याचिका का यह कह कर केंद्र सरकार विरोध कर चुकी है कि अभी ऐसे हालात नहीं पैदा हुये हैं की इण्डिया का नाम भारत कर दिया जाये। इस आश्य का संविधान संशोधन करने की अभी आवश्यकता नहीं है। ऐसे में अब ऐसा क्या हुआ है कि यही सरकार इण्डिया की जगह भारत लिखने पर आ गयी है। स्वभाविक है कि इस आश्य का संविधान संशोधन भी कर दिया जायेगा
जब इण्डिया बनाम भारत का विवाद शुरू हुआ तभी तमिलनाडु के मंत्री उदय निधि का सनातन को लेकर ब्यान आ गया। यह ब्यान किस संद्धर्भ में आया इसकी चर्चा किये बिना ही इसे सनातन धर्म पर हमला करार दे दिया गया। प्रधानमंत्री ने अपने मंत्रियों को निर्देश दिये हैं कि वह इस ब्यान का कड़ा विरोध करें। प्रधानमंत्री के इस निर्देश के बाद यह वाक्युद्ध और तेज हो गया है। संभव है कि जी-20 के सम्मेलन के बाद इस विवाद का उग्र रूप भी देखने को मिले। इसी विवाद के बीच एक देश एक चुनाव को लेकर भी पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित कर दी गयी है और यह चर्चा चल पड़ी है कि शायद चुनाव ही हो जायें। भारत नाम बदला जाये य सारे चुनाव एक साथ करवाये जायें दोनों ही स्थितियों में संविधान में संशोधन करना ही पड़ेगा। एक देश एक चुनाव की संभावनाएं बहुत कम है। क्योंकि जिस तरह से देश में तोड़फोड़ करके सरकारें गिरने की संस्कृति चल निकली है उसके चलते एक चुनाव की व्यवहारिकता बहुत कम रह जाती है। क्योंकि कल यदि कोई सरकार कार्यकाल पूरा किये बिना ही किसी कारण से गिर जाती है तब चुनाव कैसे होगा यह बड़ा सवाल होगा। ऐसे में यही संभावना रह जाती है कि इस विशेष सत्र में हिंदू राष्ट्र की ओर कोई कदम उठाया जाये। क्योंकि .आर.एस.एस. को लेकर एक मामला अदालत में चल ही रहा है और उसके परिणाम भी गंभीर हो सकते हैं। सनातन और भारत पर उठा विवाद इस ओर ज्यादा संकेत कर रहा है।

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