Friday, 19 September 2025
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अगली विधानसभा में भी होंगे दागी विधायक

शिमला/शैल। दागी जन प्रतिनिधियों के आपराधिक मामलों को एक वर्ष के भीतर निपटाने के लिये सर्वोच्च न्यायालय ने 12 विशेष अदालतें गठित किये जाने के आदेश किये हैं। केन्द्र सरकार ने इन आदेशों की अनुपालना में अदालत को सूचित किया है कि यह अदालतें गठित किये जाने की प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है और इसके लिये वित्त मन्त्रालय ने वांच्छित धन का भी प्रावधान कर दिया है। राज्यों की विधानसभाओं से लेकर संसद तक में आपराधिक छवि के लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इस समय लोकसभा में 184 और राज्यसभा में 44 सांसद ऐसे हैं जिनके खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले लंबित हैं। ऐसे लोगों के मामलों को एक वर्ष के भीतर निपटाने के आदेश सर्वोच्च न्यायालय पहले भी पारित कर चुका है और यहां तक कहा है कि ऐसे मामलों को एक वर्ष के भीतर निपटाने के लिये इनकी सुनवाई दैनिक आधार पर की जाये। यदि किन्हीं कारणों से कोई मामला एक वर्ष के भीतर नहीं निपटाया जा सकता है तो इसके लिये लगने वाले और समय की स्वीकृति संबन्धित उच्च न्यायालय से लिखित में कारण बताकर लेनी होगी। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के इन निर्देशों के बावजूद विधायकों/सांसदों के मामले लंबित चले आ रहे हैं और इसी स्थिति को सामने रखकर अब 12 विशेष अदालतें गठित की जा रही हैं।
अब इन विशेष अदालतों के गठन की चर्चा सामने आने से राजनीतिक हल्कों में काफी हलचल मच गयी है। क्योंकि 2012 के विधानसभा चुनावों में जो लोग जीत कर आये हैं उनमें से 14 विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलें दर्ज थे। इनमें से पांच के खिलाफ गंभीर मामले थे। आपराधिक मामलों में कांग्रेस के दस, भाजपा के तीन और एक निर्दलीय विधायक लिप्त रहे हैं। इनमें से सात लोगों के खिलाफ तो अदालत में आरोप भी तय हो चुके हैं। विधायकों में विनय कुमार, रविन्द्र रवि, अनिरूद्ध के नाम प्रमुख रहे हैं। वीरभद्र के खिलाफ आय से अधिक संपति का मामला भी तभी से लंबित चला आ रहा है। भाजपा के राजीव बिन्दल का मामला तो दो बार इस दौरान जजों का तबदला हो जाने के कारण आगे नही बढ़ पाया अन्यथा इस मामले में तो फैसला भी आ चुका होता। 2012 के बाद 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में आये शपथ पत्रों के मुताबिक सांसद वीरेन्द्र कश्यप और अनुराग ठाकुर के खिलाफ भी आपराधिक मामलें चल रहे हैं। इन विधायकों ने अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी 2012 के अपने चुनाव शपथ पत्रों में दी हुई है। लेकिन इनके खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों का निपटारा इन बीते पांच वर्षो में नही हो पाया हैै। अब इनका कार्यकाल भी समाप्त होने जा रहा है।
लेकिन अब जो चुनाव हो रहे हैं जिनका परिणाम 18 दिसम्बर को आयेगा उनमें भी आपराधिक छवि के कितने लोग जीत कर आते हैं और उनके मामलों का आने वाला एक वर्ष में क्या परिणाम रहता है यह तो आने वाला समय ही बतायेगा। इस बार 338 लोगों ने चुनाव लड़ा है और इनमें से 61 लोगों ने उनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होने की जानकारी अपने शपथ पत्रों में दी हुई है। इनमें सबसे अधिक 23 लोग भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। 10 को कांग्रेस ने टिकट दिये हैं। 16 निर्दलीयों के खिलाफ भी मामलें हैं। 12 लोग अन्य दलों से संबधित हैं। इन आंकड़ो से यह स्पष्ट हो जाता है कि आने वाली विधानसभा में भी आपराधिक छवि के लोग चुनकर आनेे वाले हैं। अब जब इन लोगों के मामलों को निपटाने के लिये विशेष अदालतें गठित की जा रही हैं और एक वर्ष के भीतर इन मामलों का फैसला होना है तो ऐसे में यदि इनमें से कुछ को सज़ा हो जाती है तो निश्चित है कि एक वर्ष के बाद कुछ विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने की स्थिति आ जायेगी।

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