सीबीआई और ईडी में मामले झेल रहे मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने दिल्ली उच्च न्यायालय के जज की निष्ठा पर सवाल उठाने के बाद आयकर विभाग के चण्डीगढ़ स्थित अपील न्यायाधिकरण पर रोष प्रकट करते हुए उसे वित्त मन्त्री अरूण जेटली का कंगारू कोर्ट करार दिया है। स्मरणीय है कि दिल्ली उच्च न्यायालय में चल रहे सीबीआई मामले में फैसला सुरक्षित चल रहा है और आयकर न्यायाधिकरण में वीरभद्र सिंह के खिलाफ फैसला आ गया है। सीबीआई में वीरभद्र सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज है। इस मामले का आधार वीरभद्र सिंह द्वारा मार्च 2012 में तीन वर्षो की संशोधित आयकर रिटर्नज दायर करते हुए पहले दिखायी गयी 47.35 लाख की मूल आय को संशोधन में 6.10 करोड़ दिखाना बना है। बढ़ी हुई आय को सेब बागीचे की आय कहा गया लेकिन जांच में यह दावा सही नही पाया गया इसलिये यह आय से अधिक संपत्ति का मामला माना गया। इस अघोषित आय को बागीचे की आय बताकर वैध बनाने का प्रयास ईडी में मनीलाॅडंरिग बन गया और ईडी में भीे सीबीआई के बाद मामला दर्ज कर लिया गया। ईडी इसमें करीब आठ करोड़ की संपत्ति अटैच कर चुकी है और इसमें एलआईसी एजैन्ट आनन्द चौहान इस समय जेल में है। क्योंकि आनन्द चौहान ने बागीचे का प्रबन्धक बनकर इस अघोषित आय को एलआईसी की पालिसियों के माध्यम से वैध बनाने में केन्द्रिय भूमिका निभायी है।