Thursday, 18 September 2025
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14 को होगा महेश्वर सिंह की वापसी का ऐलान

शिमला/शैल। हिलोपा प्रमुख महेश्वर सिंह को लेकर पिछले कुछ अरसे से यह अटकलें चल रही है कि शीघ्र ही उनकी भाजपा में वापसी हो रही है। हिलोपा ने पार्टी के भाजपा में प्रस्तावित विलय के संद्धर्भ में कोई भी फैसला लेने के लिये अधिकृत कर दिया है। विलय का प्रस्ताव प्रदेश भाजपा में चर्चित होने के बाद हाईकमान के अन्तिम निणर्य के लिये भी भेज दिया गया है। शीघ्र ही इस दिशा में सकारात्मक फैसला आने की उम्मीद हैं। महेश्वर भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, सांसद और मन्त्राी रह चुके हैं। उन्होने धूमल के साथ तीव्र मतभेद उभरने के चलते भाजपा से बाहर जाने का फैसला लिया था। धूमल शासन में वह धूमल विरोधियों का नेतृत्व कर रहे थे। धूमल विरोधियों ने कई बार उनके नेतृत्व में तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी को धूमल के विरोध में आरोेप पत्र भी सौंपे थे। महेश्वर के विरोध को उस समय शान्ता का पूरा-पूरा समर्थन हासिल था। लेकिन समर्थन के वाबजूद शान्ता ने धूमल विरोधियों को लीड करके अपने विरोध को सीधे सामने नही आने दिया। हांलाकि इन विरोधियों की शान्ता के दिल्ली आवास पर लगातर बैठकंे भी होती रही। जब सारे प्रयासों के वाबजूद धूमल के विरोधी उन्हें हटाने में सफल नही हो पाये तो महेश्वर सिंह और उनके साथियों ने भाजपा से बाहर निकलने का फैसला लिया।
इन धमूल विरोधियों ने बाहर निकलकर महेश्वर सिंह के नेतृत्व में हिमाचल लोकहित पार्टी गठित का गठन किया और प्रदेश विधानसभा का चुनाव भी लड़ा। भले ही हिलोपा को चुनावों में महेश्वर की अपनी सीट पर ही विजय मिल पायी लेकिन हिलोपा के कारण भाजपा भी सत्ता से बाहर हो गयी। आज भी यह स्थिति बरकरार है कि यदि हिलोपा स्वतन्त्रा रूप से विधानसभा चुनावों में उतरती है तो भाजपा की सत्ता की राह फिर कठिन हो जाने की संभावना है। भविष्य की इन्ही संभावनाओं का आकलन करते हुए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने कांग्रेस विरोधी वोटों का बटंवारा रोकने के लिये अपने पुराने बागीयों की घर वापसी करवाने का फैसला लिया है। इसी रणनीति के तहत हिलोपा के विलय का प्रस्ताव प्रदेश भाजपा की बैठक में रखा गया। जिसे यथास्थिति हाईकमान को भेज दिया गया। सूत्रों के मुताबिक प्रदेश भाजपा की बैठक में तो विलय के प्रस्ताव पर तो कोई चर्चा ही नही हुई। हांलाकि हिलोपा में सोलन और कांगडा से ताल्लुक रखने वाले कुछ नेताओं ने शुरू में विलय का विरोध भी किया था।
इस समय पिछले कुछ अरसे से भाजपा में केन्द्रिय स्वास्थ्य मन्त्री जे.पी. नड्डा को प्रदेश का अगला मुख्यमन्त्री प्रोजैक्ट करने के संकेत उभरने लगे हैं। जब से यह संकेत उभरे हंै तभी से नड्डा ने प्रदेश में अपने दौरे भी बढ़ा दिये हंै। केन्द्र सरकार द्वारा प्रदेश में जो भी विकासात्मक सहयोग दिया जा रहा है उसका श्रेय भी नड्डा को दिया जाने लगा है। पिछले दिनों नितिन गडकरी द्वारा प्रदेश को दिये राष्ट्रीय उच्च मार्गो को लेकर भी नड्डा को श्रेय दिया जा रहा है। इस सं(र्भ में गडकरी द्वारा नड्डा को लिखे पत्र को भी इसी परिप्रेक्ष में देखा जा रहा है। भाजपा के बागीयों की घर वापसी का बड़ा पैरोकार नड्डा को ही माना जा रहा है। महेश्वर की वापसी के प्रयासों को भी नड्डा के साथ ही जोड़ा जा रहा है। इसमें यह भी उल्लेखनीय है कि महेश्वर और उनके साथियों ने शान्ता के ईशारेे पर धूमल के खिलाफ एक आरोप पत्रा नितिन गडकरी को सौंपा था। तब उन आरापों की पड़ताल का जिम्मा भी गडकरी ने नड्डा को ही सौंपा था। सूत्रों की माने तो नड्डा इस समय राजन सुशान्त की वापसी के लिये भूमिका तैयार कर रहे हैं।
लेकिन अभी पिछले दिनों संघ की ही एक पत्रिका यथावत में नड्डा को लेकर कवर स्टोरी छापी है। इसमें स्वास्थ्य मन्त्रालय में फैले भ्रष्टाचार को लेकर नड्डा पर तीखा हमला किया गया है। आरोप लगाया गया है कि नड्डा ने भ्रष्टाचारीयों को बचाने के लिये सारी सीमाएं लांघ दी है। यहां तक आरोप लगा है कि नड्डा मन्त्रालय से जुडी संसदीय समिति की सिफारिशों को भी नजर अन्दाज कर रहे है। माना जा रहा है कि नड्डा पर लगे यह आरोप आने वाले दिनांे में पार्टी पर भारी पड़ सकते हैं। ऐसे में नड्डा क्या बागीयों की घर वापसी करवा पाते हैं या नही इसको लेकर सवाल उठने लगे हैं।

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