Thursday, 18 September 2025
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ईडी मामले में नहीं मिल पायी वीरभद्र को अन्तरिम राहत और आनन्द चौहान को जमानत

शिमला/शैल। मुख्यमन्त्री वीरभद्र सिंह को मनीलाॅडरिंग मामले में अब तक अदालत से कोई राहत नही मिल पायी है और इसी मामलें में गिरफ्तार उनके एलआईसी ऐजैन्ट आनन्द चौहान को जमानत नही मिल पायी है। इस मामले में ईडी का जो रूख अब तक सामने आया है उससे लगता है कि अभी निकट भविष्य में किसी को भी राहत मिलना कठिन है। स्मरणीय है कि वीरभद्र सिंह, प्रतिभा सिंह, आनन्द चौहान और चुन्नी लाल के खिलाफ 23.9.15 को सीबीआई ने आय से अधिक संपति का मामला दर्ज किया था। इसी मामले के तथ्यों के आधार पर ईडी ने 27.10.15 को मनीलाॅडरिंग का मामला दर्ज कर लिया था। सीबीआई ने मामला दर्ज करने के साथ ही वीरभद्र के आवास और कुछ अन्य स्थानों पर छापेमारी की। इस छापामारी से आहत होकर वीरभद्र ने हिमाचल उच्च न्यायालय में सीबीआई द्वारा दर्ज मामले को रद्द किये जाने की गुहार लगायी। इस याचिका पर सीबीआई को नोटिस जारी करते हुए उच्च न्यायालय ने वीरभद्र से पूछताछ करने गिरफ्तार करने और मामले का चालान अदालत में ले जाने से पूर्व अदालत से पूर्व अनुमति लेने की शर्त लगा दी। जो सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस मामले को दिल्ली उच्च न्यायालय में ट्रांसफर कर दिये जाने के बाद भी गिरफ्रतारी के लिये अनुमति लेने की शर्त अब भी जारी है। इस शर्त को हटाने के लिये सीबीआई की याचिका दिल्ली उच्चन्यायालय में लंबित है। वीरभद्र की तर्ज पर ही आनन्द चौहान और चुन्नी लाल ने भी हिमाचल उच्च न्यायालय से ऐसी ही राहत मांगी थी जो उन्हें नही मिली क्योंकि यह मामला दिल्ली उच्च न्यायालय में ट्रांसफर हो चुका है। आनन्द चौहान और चुन्नी लाल की गिरफ्तारी पर अदालत से कोई रोक न होने से ही इनकी गिरफ्तारी हुई है।
दूसरी ओर जब ईडी ने मामला दर्ज करने के बाद छापामारी की तब वीरभद्र सिंह ने इसे दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए ईडी की कारवाई का आधार बने दस्तावेजों की कापी मांगी तथा दर्ज मामले को रद्द करने की गुहार लगायी। यह याचिका भी अभी तक न्यायालय में लंबित चल रही है ईडी द्वारा किसी की भी गिरफ्तारी पर कोई रोक नहीं है। इसी आधार पर ईडी ने आनन्द चौहान को गिरफ्तार कर लिया है। आनन्द चौहान की गिरफ्तारी से संकट में आये वीरभद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय से अपनी गिरफ्तारी की संभावित आंशका पर न्यायालय से सुरक्षा की गुहार लगायी है जो नही मिलने पायी है। ईडी से अभी तक इस मामले के किसी भी अभियुक्त को कोई राहत नहीं मिल पायी है। जानकारो का मानना है कि इसमें अब राहत मिलने की सारी संभावनाएं नही के बराबर रह गयी है क्योंकि ईडी में 27.10.15 को दर्ज हुए मामले में वीरभद्र को 16.11.15 को ऐजैन्सी में पेश होने के सम्मन जारी किये गये थे। जिस पर वीरभद्र ने ईडी को 10.1.16 को पत्र भेजकर सूचित किया कि 15 फरवरी तक व्यस्त है इसलिये नही आ सकते। इसके बाद 11.1.16 को वीरभद्र का वकील पेश हुआ जिसने कुछ आंशिक जानकारीयां ईडी को दी। यह आंशिक जानकारियां पर्याप्त और संतोषजनक न होने पर ईडी ने वीरभद्र को 5.1.16,12.1.16, 21.1.16, 28.1.16, 11.3.16, 17.3.16 और 21.3.16 को पेश होने के सम्मन भेजे लेकिन वह एक बार भी ऐजैन्सी के सामने पेश नही हुए। वीरभद्र के पेश होने पर ईडी ने 23.8.16 को करीब आठ करोड़ की चल-अचल संपति की अटैचमैन्ट के आदेश जारी कर दिये। बल्कि इसी बीच 9.2.16 को बागवानी निदेशक डी पी भंगालिया का ब्यान ईडी ने दर्ज किया जिसमे श्रीखण्ड बागीचे से 2008-09 में 5500, 2009-10 में 2700 तथा 2010-11 में 9300 वाक्स सेब उत्पादन की संभावना बतायी गयी है। 8.2.16 को ए.पी.एम.सी. सोलन के सचिव भानू शर्मा ने ईडी को परवाणु सेब मण्डी के कार्यशील होने तथा सेब के ढुलान में प्रयुक्त होने वाले फार्मो आर तथा क्यू की जानकारी दी तथा आनन्द चौहान द्वारा ऐसा कोई भी दस्तावेज जांच में न मिलने की भी जानकारी दी। 8.2.16 को निदेशक परिवहन के कार्यालय से इस सेब के ढुलान में प्रयुक्त हुए कथित वाहन नम्बरों की जानकारी ली गयी जिसमे यह वाहन मौजूदा ही नहीं होने की जानकारी सामने आयी।
इस तरह जो घटनाक्रम पूरे मामले में घटा है उससेे यह तथ्य उभरता है कि ईडी ने वीरभद्र को अपना पक्ष रखने के बहुत अवसर दिये लेकिन वह एक बार भी ऐजैन्सी के सामने पेश नही हुए। वीरभद्र के इस असहयोग के बाद ईडी के पास संपति अटैचमैन्ट का आदेश जारी करने के अतिरिक्त और कोई विकल्प नही रह जाता था। अब एलआईसी पाॅलिसीयों और कुछ एफडीआर में निवेश हुए धन का वैध स्त्रोत बताने की जिम्मेदारी केवल वीरभद्र परिवार की ही रह जाती है क्योंकि इन पाॅलिसीयों को कैश करवाकर ग्रेटर कैलाश में लिया गया मकान प्रतिभा सिंह के नाम पर है पालिसीयों में हुए निवेश के रिकार्ड पर लाभार्थी यही परिवार है। इसी तरह वक्कामुल्ला चन्द्रशेखर से करीब 6.5 करोड़ का ट्टण लेना तो प्रतिभा सिंह ने अपने चुनावी शपथ पत्र में दिखाया हैं लेकिन सीबीआई और ईडी की जांच में यह सामने आया है कि वक्कामुल्ला के पास इतना धन है ही नही। ईडी वक्कामुल्ला से लिये गये करीब 6.5 करोड के ट्टण को भी मनीलाॅडरिंग मान रही है। सूत्रों के मुताबिक वक्कामुल्ला को लेकर ईडी की जांच पूरी हो गयी है और अब उसको सारे संबंधित लोगों से पूछताछ का दौर शुरू होगा। यदि वक्कामुल्ला के पास वैध स्त्रोत नहीं पाया गया तो यह पैसा भी मनीलाॅडरिग का हिस्सा बनेगा और इसमें कुछ और संपतियां अटैच होने की स्थिति आ जायेगी। यह भी माना रहा है कि ईडी ने इसी मामले में जो देश के विभिन्न शहरो में छापामरी की है उसकी कड़ीयांे में भी कई और लोग जुड़ने स्वाभाविक हैं। चर्चा है कि इसमें कुछ मन्त्रियों, चेयरमैनो, पत्रकारो तथा अधिकारियों के नाम भी चिन्हित हो चुके हैं जो इस मनीलाॅडरिंग ट्रेल का हिस्सा माने जा रहे हैं। इस परिदृश्य में ईडी प्रकरण में निकट भविष्य में कोई राहत मिल पाने की संभावना नहीं है। माना जा रहा है कि वीरभद्र के सलाहकार इस मामलें में उन्हे सही राय नही दे पाये हैं।

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