Thursday, 18 December 2025
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क्या सुक्खू सरकार सक्सेना की नियुक्ति रद्द करेगी अतुल शर्मा के पत्र से उठी चर्चा

शिमला/शैल। क्या सुक्खू सरकार पूर्व मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को दी गयी पुनर्नियुक्ति को रद्द कर पायेगी? यह सवाल अतुल शर्मा के प्रदेश के ऊर्जा सचिव को इस आशय के लिखे पत्र के बाद चर्चा में आया है। अतुल शर्मा ने सरकारी कर्मचारीयों/अधिकारियों को सेवानिवृत्ति के बाद पुनर्नियुक्ति दिये जाने के मामले में handbook of personnel matters के चैप्टर बाईस में दिए गये दिशा-निर्देशों का अपने पत्र में जिक्र उठाया है। क्योंकि चैप्टर बाईस के प्रावधानों को प्रदेश उच्च न्यायालय में उन्नीस दिसम्बर 2017 को निपटाई गयी CWPIL No 201 of 2017 में भी अनुमोदन प्राप्त है। इस याचिका के फैसले में चैप्टर बाईस पर विस्तार से चर्चा करते हुये उच्च न्यायालय ने स्पष्ट कहा है कि किसी भी सेवा विस्तार और पुनर्नियुक्ति में इन दिशा-निर्देशों की अनुपालन किया जाना आवश्यक है।
स्मरणीय है की अतुल शर्मा ने प्रबोेध सक्सेना को बतौर मुख्य सचिव सेवानिवृत्ति के बाद दिये गये सेवा विस्तार को केंद्र सरकार के क्रामिक विभाग द्वारा 9-10-2024 को अधिसूचित दिशा-निर्देशों की सीधी अवहेलना करार देते हुये प्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। लेकिन संयोगवश इस चुनौती पर उच्च न्यायालय का फैसला अभी तक नहीं आ पाया है। लेकिन प्रदेश सरकार ने इस विस्तार के समाप्त होते ही प्रबोेध सक्सेना को बिजली बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति दे दी है। बल्कि इस नियुक्ति की अधिसूचना जारी होने और सक्सेना द्वारा नया पदभार संभालने के बाद इंटीग्रिटी प्रमाण पत्र मांगा गया। इससे स्पष्ट हो जाता है कि सक्सेना की सेवायें सुक्खू सरकार के लिए क्या अहमियत रखती हैं।
इस वस्तु स्थिति के परिदृश्य में यह देखना रोचक हो गया है की अतुल शर्मा के इस प्रतिवेदन पर सरकार क्या रुख अपनाती हैं। क्योंकि जिस आई एन एक्स मीडिया मामले में सक्सेना पूर्व वित्त मंत्री पी चिदम्बरम के साथ सहअभियुक्त हैं वह दिल्ली में सीबीआई अदालत में अभी तक लंबित चल रहा है। यह मामला प्रदेश सरकार के संज्ञान में लम्बे अरसे से चला आ रहा है। सरकार ने भ्रष्टाचार के प्रति जिस प्रतिबद्धता के साथ जीरो टॉलरैन्स का दावा कर रखा है उसके संद्धर्भ में इस मामले के राजनीतिक मायने पूरी कांग्रेस पार्टी के लिये एक बड़ा मुद्दा बन जाएंगे यह तय है। इसीलिये पूरे प्रदेश की निगाहें इस मामले पर लग गयी है।
यह है अतुल शर्मा का पत्र
 
यह है चैप्टर के प्रावधान

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