शिमला/शैल। सुक्खु सरकार ने अधीनस्थ सेवाचयन बोर्ड को पेपर लीक होने की शिकायते आने के बाद बोर्ड के संबंद्ध अधिकारियों/कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने के बाद विस्तृत जांच के लिये एक एस.आई.टी. का गठन कर दिया था। एस.आई.टी की जांच जैसे ही आगे बढ़े तो कई और परीक्षाओं में भी पेपर लीक होने के मामले सामने आये। करीब एक दर्जन मामले इस बोर्ड के खिलाफ दर्ज हो चुके हैं। इतने सारे मामले बन जाने के बाद सरकार ने इस बोर्ड को ही भंग कर दिया और इसका काम भी लोकसेवा आयोग को दे दिया। यह मामले बनने के बाद हजारों अभ्यार्थियों का भविष्य लटक गया। क्योंकि जिन परीक्षाओं में पेपर लीक होने के आरोप लगे थे उनके परिणाम घोषित होने से लटक गये। इस पर अभ्यार्थियों में रोष पनपना शुरू हो गया। अभ्यार्थी आन्दोलन करने के लिये विवश हो गये। मुख्यमंत्री से मिलने पर भी आश्वासनों से अधिक कुछ नहीं मिल पाया। विधानसभा तक भी यह प्रकरण पहुंच गया। सरकार ने जल्द ही नई व्यवस्था बनाने का आश्वासन दिया। इस आश्वासन के बाद अब एक नये राज्य चयन आयोग का गठन कर दिया गया है। इसकी अधिसूचना के साथ ही अधिकारियों की भी तैनाती कर दी गयी है। लेकिन इस अधिसूचना के जारी होने से भी उन अभ्यार्थियों का मसला तो हल नहीं हो सकता जिनके परिणाम मामले बनने से लटके हुये हैं। क्योंकि जिन परीक्षाओं को लेकर मामले बन चुके हैं उनके परिणाम तो जांच पूरी होने के बाद ही घोषित हो पायेंगे। जांच पूरी होने के बाद चालान अदालत में जायेंगे और फिर अदालत का फैसला आने के बाद अगली प्रक्रिया शुरू होगी। इस तरह लम्बे समय तक इन अभ्यार्थियों को इन्तजार करना पड़ेगा। क्योंकि अभी तो मामला फॉरेंसिक परीक्षण के लिए एसएफएसएल जुन्गा के डॉक्यूमेंट फोटोग्राफी विभाग में लंबित पड़ा है। क्योंकि वहां पर जांच के लिये कोई रिपोर्टिंग अधिकारी ही तैनात नहीं है। जबकि सरकार यह जांच तेजी से चल रही होने का दावा कर रही है। विजिलैन्स जांच में जिन परीक्षाओं के परिणाम फंसे हुये हैं उनमें करीब 10000 अभ्यार्थी और उनके परिवार प्रभावित हो रहे हैं। 3 अक्तूबर 2023 को आरटीआई के माध्यम से मिली जानकारी के जब तक रिपोर्टिंग अधिकारी की तनाती नहीं हो जाती तब तक यह मामला आगे नहीं बढ़ेगा। अभी तक रिपोर्टिंग अधिकारी की तैनाती न किये जाने से यह आशंका बढ़ती जा रही है की क्या यह सरकार जानबूझकर इस मामले को लम्बा बढ़ाना चाहती है। आरटीआई की इस जानकारी से अभ्यार्थियों और उनके अभिभावकों में रोष बढ़ने की संभावना है।