Friday, 19 September 2025
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मण्डी में जयराम के नेतृत्व के खिलाफ उठे सवाल

पूर्व विधायक जवाहर ठाकुर ने खोला मोर्चा

शिमला/शैल। कर्नाटक चुनाव में भाजपा को मिली चुनावी हार का ठीकरा जे.पी.नड्डा द्वारा गलत टिकट आवंटन पर फोड़ा जाने लगा है। इस हार के लिये सही में नड्डा कितने जिम्मेदार हैं और प्रधानमंत्री मोदी की नीतियां कितनी जिम्मेदार हैं यह खुलासा कभी सामने आयेगा या नही यह कहना कठिन है। लेकिन हिमाचल में भाजपा की हार के लिये बहुत हद तक जिम्मेदार माना जा रहा है। क्योंकि जब भी प्रदेश की जयराम सरकार पर सवाल उठे तो उन्हें नड्डा हर बार नजरअन्दाज करते चले गये। इस नजरअन्दाजी से नड्डा और जयराम के राजनीतिक रिश्तों की गहराई और गहरी होती चली गयी। लेकिन अब जिस तर्ज में जयराम के गृह जिला मंडी से जवाहर ठाकुर ने प्रदेश में हार का ठीकरा जयराम के सिर फोड़ना शुरू किया है उसे जयराम के माध्यम से नड्डा के खिलाफ आक्रोश का सामने आना माना जा रहा है। जयराम के गृह जिला से एक पूर्व पार्टी विधायक का उनके खिलाफ मुखर होना बहुत सारे संकेत दे जाता है।
हिमाचल में भाजपा को स्थापित करने में शान्ता कुमार और प्रेम कुमार धूमल के योगदान को नकार पाना संभव नहीं है। दोनों दो-दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। शान्ता तो परिस्थिति वश दोनों बार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये। परन्तु धूमल ने न केवल कार्यकाल ही पूरे किये बल्कि पहले कार्यकाल में तो गठबन्धन की सरकार चलाई। लेकिन जयराम की सरकार बनने पर शान्ता धूमल दोनों को ही मार्गदर्शक मण्डल में डाल कर उससे बाहर निकलकर मार्ग दर्शक बनने ही नहीं दिया गया। जयराम सरकार के तो शुरू में ही हालत यहां तक पहुंच गये कि धूमल को यहां तक कहना पड़ गया कि सरकार चाहे तो उनकी सीआईडी जांच करवा ले। मानव भारती विश्वविद्यालय प्रकरण में तो हालात और भी नाजुक दौर में जा पहुंचे थे। राजनीतिक पंडित जानते हैं कि जयराम यह सब नड्डा के सक्रिय सहयोग से ही कर पाये हैं। इसी सबके कारण पार्टी विधानसभा के चुनाव हारी है।
इस परिपेक्ष में अब अगले लोकसभा चुनावों के लिये अभी से विसात बिछना शुरू हो गयी है। क्योंकि पूर्व भाजपा विधायक के इस आरोप को झुठलाया नहीं जा सकता कि जयराम के नेतृत्व में पार्टी तीन चुनाव हार गयी है। ऐसे में यदि कर्नाटक चुनाव की हार का कोई भी नजला नड्डा पर गिरता है तो उसके कारण प्रदेश में जयराम के नेतृत्व के लिये भी संकट आ जायेगा। ऐसी स्थिति में लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा में कई नये समीकरणों के आकार लेने की संभावनाओं को नकारा नहीं जा सकता। 

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