शिमला/शैल। जयराम सरकार का स्वास्थ्य विभाग पहले दिन से ही विवादों में चल रहा है। जब किसी बेनाम कार्यकर्ता ने पूर्व मुख्यमंत्री शान्ता कुमार के नाम एक खुला पत्र लिखा था। यही पत्र आगे चलकर पूर्व मन्त्री रविन्द्र रवि के खिलाफ मामला दर्ज करने का कारण बना। इसी प्रकरण में विपिन परमार को स्वास्थ्य मंत्री से हटाकर विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया। राजीव बिन्दल विधानसभा अध्यक्ष पद से हटाकर पार्टी अध्यक्ष बनाये गये। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के विवादों ने बिन्दल की पार्टी अध्यक्षता भी छीन ली और तत्कालीन स्वास्थ्य निदेशक को जेल तक पहुंचा दिया। स्वास्थ्य विभाग की सप्लाईयों को लेकर भी कुछ मामले बने हैं सचिवालय की ब्रांच तक इस लपेट में आ चुकी है। जिस विभाग को लेकर इतना कुछ पूर्व में घट चुका हो उसके बारे में हवा में भी अगर कहीं कोई कानाफूसी चल रही हो तो उसे भी बहुत गंभीरता से लिया जायेगा यह स्वभाविक है। हिमाचल देश का एक बड़ा फार्मा उद्योग केन्द्र है। यहां पर बनने वाली दवाइयों की सप्लाई भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों तक में होती है दवाइयों के निर्माण और उसकी गुणवत्ता की सुनिश्चितता बनाये रखने की जिम्मेदारी सरकार के दवा नियंत्रक की होती है।
लेकिन हिमाचल में बनने वाली दवाइयों के सैंपल फेल होते रहते है। विधानसभा पटल तक यह मामले गूंज चुके हैं। सरकार ऐसी दवा निर्माता कंपनियों की सूची तक सदन में रख चुकी है। लेकिन इन कंपनियों के खिलाफ शो कॉज नोटिस जारी होने से ज्यादा कारवाई नहीं हो पायी है। विपक्ष भी सदन में प्रश्न पूछने तक ही अपनी भूमिका केन्द्रित रखने से आगे नहीं बढ़ा है। इससे जनता में स्वभाविक रूप से यह सवाल उठ रहे हैं कि प्रदेश का फार्मा उद्योग राजनीतिक दलों के लिये चुनावी चन्दे का कोई बड़ा साधन तो नहीं है। क्योंकि प्रदेश के दवा नियंत्रक मरवाह के खिलाफ 500 करोड़ की संपत्ति होने के आरोप एक एम.सी. जैन लम्बे अरसे से लगाते आ रहे हैं। मरवाह के खिलाफ जांच की मांग प्रधानमंत्री से भी कर चुके हैं। जैन के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय भी सरकार को जांच के निर्देश दे चुका है। लेकिन मुख्यमंत्री का सचिवालय प्रधानमन्त्री के निर्देशों के बावजूद इस पर कारवाई करने में क्यों असमर्थ हो रहा है यह लगातार रहस्य बनता जा रहा है। अब 14-08-2022 को पुनः जैन ने प्रधानमंत्री को शिकायत भेजी है जो पाठकों के सामने यथास्थिति रखी जा रही है ताकि पाठक स्वयं इसकी गंभीरता का अनुमान लगा सकें।