महेंद्र सिंह हुए अधिकारियों से खफा- मुख्य सचिव को भेजी फाइल
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Created on Tuesday, 11 January 2022 10:46
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Written by Shail Samachar
शिमला/शैल। कोरोना महामारी से निपटने के सारे उपाय आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत किये जा रहे हैं महामारी अधिनियम के तहत नहीं। आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत बनी राज्य कार्यकारी कमेटी के मुखिया प्रदेश के मुख्य सचिव हैं इस नाते जो भी उपाय किये जाते हैं और उसमें जो भी खर्च होता है उसके आदेश स्वभाविक रूप से यह कार्यकारी कमेटी करती हैं। महामारी के लिए प्रदेश के कर्मचारियों अधिकारियों ने अपना दो दिन का वेतन योगदान के रूप में दिया है। आम आदमी आदमी ने भी अपनी सामर्थ्य के अनुसार योगदान दिया है। इस योगदान के रूप में 80 करोड से अधिक का धन सरकार के पास आया है। राज्य सरकार और केंद्र ने जो दिया है वह अलग है। इस तरह सरकार के पास जो भी आया और खर्च किया गया उसको लेकर अकसर सवाल भी उठते रहे हैं। कई मामले भी दर्ज हुये हैं। स्वास्थ्य निदेशक तक की गिरफ्तारी हुई है। महामारी के आकार के बराबर ही इसमें हुये खर्च पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगते आ रहे हैं।
क्योंकि सारा खर्च आपदा प्रबंधन के तहत हो रहा है और आपदा का प्रशासनिक नियंत्रण राजस्व विभाग के पास है इस नाते इसके ऊपर उठने वाले सारे सवालों का जवाब राजस्व मंत्री को देना होता है। सरकार के रूल्स ऑफ बिजनेस के तहत विभाग का मुख्य राजस्व मंत्री है। लेकिन आपदा अधिनियम के तहत इन खर्चों में राजस्व मंत्री की कोई भूमिका नहीं है। जबकि कार्यकारी कमेटी के आदेशों की अनुपालना राजस्व सचिव और उनके अधिकारियों को करनी होती है। इनके ऑडिट की जिम्मेदारी थी इन्हीं अधिकारियों की रहती है। पिछले दिनों जब लोकल ऑडिट ने विभाग से इन खर्चों से जुड़े दस्तावेज तलब किये तब स्वास्थ्य विभाग के जिलाधिकारी इन्हें उपलब्ध नहीं करवा पाये। सूत्रों के मुताबिक राजस्व सचिव और उनके अधिकारियों ने इसका कड़ा संज्ञान लेकर इसको रिकॉर्ड पर भी ले आये थे शायद बडे़ दबाव के बाद स्थिति को टाला गया है।
अब चर्चा है कि राजस्व मंत्री ने रूल्स ऑफ बिजनेस के तहत इस पर कड़ी आपत्ति उठाई है कि विभाग का वैधानिक मुखिया होने के नाते उन्हें इसकी न केवल जानकारी ही रहनी चाहिये बल्कि इसकी अनुमति भी उनसे ली जानी चाहिये। चर्चा है कि उन्होंने अपनी आपत्तियां रिकॉर्ड पर लाकर फाइल मुख्य सचिव को भेज दी है। निश्चित है कि यह मामला अब मुख्यमंत्री के पास भी जायेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि रूल्स ऑफ बिजनेस और आपदा प्रबंधन अधिनियम में कैसे तालमेल बिठाया जाता है।
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