Friday, 19 September 2025
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क्या व्यवहारिक हैं बी पी एल के मानक

प्रदेश में 261423 हैं गरीब परिवार

शिमला/शैल। हिमाचल प्रदेश में कई संपन्न राजपत्रित व्यक्ति भी बी पी एल कोटे में शामिल मिले हैं और इसकी योजनाओं का लाभ उठाते हुये सस्ता राशन तक लेते रहे हैं। जैसे ही यह जानकारी सामने आई तब सारे संबद्ध विभाग इस बारे में सजग और सक्रीय हुये। ऐसे लोगों की सूची जारी हुई और इन लोगो के खिलाफ कारवाई शुरू हुई। लेकिन बी पी एल योजना के इस दुरूपयोग से पूरी व्यवस्था पर कई गंभीर सवाल भी खड़े हो गये हैं। क्योंकि ऐसे भी कई मामले सामने आये हैं जहां सही में गरीब लोगों को बी पी एल में आने के लिये लम्बा संघर्ष भी करना पड़ा है। पिछले दिनों सरकार ने दावा किया था कि उसने एक लाख लोगों को बी पी एल से संपन्न लोगों की लाईन में लाने मे सफलता हासिल की है। इस संद्धर्भ में बी पी एल की पूरी चयन प्रक्रिया पर नजर डालना और इसके लिये तय मानकोे का आकलन करना आवश्यक हो जाता है।
बी पी एल चयन के लिये तेरह मानक तय किये गये हैं। इन सामान्य आर्थिक मानको के आधार पर परिवारों का सरक्षण किया जाता है और प्रत्येक मानक के लिये चार अंक दिये जाते हैं। यह तेरह मानक हैः
1. Size  group  of  operational  holding  of  land  (क्रियाशील जोत की भूमि का आकार समूह)
2. Type of house (मकान का प्रकार)
3. Average availability of     normal wear clothing (सामान्यतःपहनने के कपड़ों की उपलब्धता)
4. Food security (भोजन की सुनिश्चितता)
5. Sanitation (स्वच्छता)
6. Ownership  of  consumer  durables (उपभोक्ता चिरस्थायी सामान का स्वामित्व) 
7. Literacy  status  of  the    highest  literate  adult (उच्चतम साक्षर व्यस्क की साक्षरता की स्थिति) 
8. Status  of  the  household  labour  force (परिवार मजदूर बल की स्थिति)
9. Means of livelihood (आजीविका का साधन)
10. Status of Children (बच्चोें की स्थिति)
11. Type of indebtedness (ऋण की किस्म)
12. Reason  for  migration  from  household (परिवार में प्रवास का कारण)
13.Preference of assistance (सहायता की प्राथमिकता)
विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देश में यह भी स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि निम्न श्रेणी के परिवारों को (Exclusion  Criteria) बी0पी0एल0 सूची में शामिल न किया जाएः- ऐसे परिवार जिनके पास 2 हैक्टेयर से ज्यादा असिंचित भूमि या 1 हैक्टेयर से ज्यादा सिंचित भूमि हो। ऐसे परिवार जिनके पास बडे़ आकार का पक्का घर हो। ऐसे परिवार जो आयकर देते हों। ऐसे परिवार जिनके पास चार पहिया वाहन जैसे कि कार, मोटर, जीप, टैªैैैक्टर, ट्रक और बस इत्यादि हों। ऐसे परिवार जिनकी वेतन, पैंशन, मानदेय, मजदूरी, व्यवसाय इत्यादि से नियमित मासिक आय मु0 2500/- रू0 से अधिक हो। परिवार से कोई सदस्य सरकारी नौकरी अथवा गैर सरकारी नौकरी में नियमित तौर पर या अनुबन्ध पर कार्यरत हो। विभाग द्वारा जारी अधिसूचना 13-07-2018 के संदर्भ में प्रत्येक बी0पी0एल0 परिवार के मुखिया से सादे कागज पर स्वयंसत्यापित करके उपरोक्त Exclusion Criteria पर ग्राम पंचायत में घोषणा पत्र दिये जाने का प्रावधान किया गया है। इसके अतिरिक्त हर वर्ष अप्रैल माह में होने वाली ग्राम सभा की प्रथम बैठक में ग्राम पंचायत की बी0पी0एल0 सूची की समीक्षा करने का निर्णय लिया गया है । बी0पी0एल0 में परिवारों का चयन हेतु ग्राम सभा स्वयं सक्षम है और चयन में मापदण्ड की अवहेलना के संदर्भ में विभाग के दिशा-निर्देशों में यह भी स्पष्ट किया गया है किःग्राम सभा द्वारा किये गये बी0पी0एल0 परिवारों के चयन बारे यदि कोई शिकायत अथवा आपत्ति हो तो एक माह के भीतर सम्बन्धित उपमण्डलाधिकारी (नागरिक) के पास अपील दायर की जा सकती है । उपमण्डलाधिकारी (नागरिक) के निर्णय से असंतुष्ट होने पर एक मास के भीतर उपायुक्त के पास आगामी अपील दायर की जा सकती है। गलत चयन से सम्बन्धित शिकायत मामलों में भी उपमण्डलाधिकारी (नागरिक) जांच उपरान्त ऐसे परिवारों के नाम बी0पी0एल0 सूची से काटने के आदेश जारी कर सकते हैं। यदि किसी मामले में जारी किया गया बी0पी0एल0 प्रमाण पत्र झूठा/गलत पाया जाता है तो उस स्थिति में सम्बन्धित पंचायत सचिव/पंचायत सहायक/ पंचायत प्रधान के विरूद्ध दण्डनीय कार्रवाई की जायेगी तथा जो व्यक्ति ऐसे प्रमाण पत्र का लाभ प्राप्त करेगा उसे सेवा से बर्खास्त किया जाएगा तथा उसके विरूद्व नियमानुसार आपराधिक मामला दर्ज किया जायेगा। सरकार के यह बी पी एल के मानक लम्बे समय से चलन में हैं लेकिन इस योजना के साथ मनरेगा योजना भी चलन में है और अब इसे शहर क्षेत्रों के लिये भी बढ़ा दिया गया है। इस योजना के तहत प्रत्येक व्यक्ति के वर्ष में 120 दिन का रोजगार सुनिश्चित है। इसमें दो सौ रूपये प्रति मजदूरी मिलता है। इस तरह मनरेगा में काम करने वाले मजदूर 1000 रूपये महीने के कमा लेते हैं और हजार कमाने वाला बी पी एल मानको में नही आता। फिर हा भूमिहीन का कम से कम दस कनाल(एक एकड़) जमीन बहुत पहले ही सरकारी योजना के तहत दी जा चुकी है। इस तरह मनरेगा में काम करने मासिक आय और एक एकड़ भूमि का मालिक होने के नाते क्या बी पी एल मानको में बाहर नही हो जाते हैं। जबकि व्यवहार में वह सही में ही बहुत गरीब है। यदि दो हैक्टेयर और एक हैक्टेयर के मानक पर चला जाये तो एक हैक्टेयर 25 कनाल का होता है। हिमाचल में बहुत कम परिवार होंगे जिनके पास 25 कनाल में सिंचाई होती होगी या वह 50 कनाल भूमि के मालिक होंगे। भूमि के इन मानक के आधार पर तो प्रदेश के आधे से भी ज्यादा लोग बी पी एल परिवार में आ जायेंगे। ऐसे में इन मानकों की नये सिरे से समीक्षा की जानी चाहिये।

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