Friday, 19 September 2025
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जो सरकार तीन लाख का आफिस टेबल खरीद सकती है क्या उसे मंहगाई भत्ता रोकने का नैतिक अधिकार है

                              तकनीकी विश्वविद्यालय का कारनामा
शिमला/शैल।  हिमाचल प्रदेश का हमीरपुर स्थित तकनीकी विश्वविद्यालय अपने कार्यालय के लिये 1.14 करोड़ का फर्नीचर खरीदने जा रहा है। इस खरीद के लिये 5 मई को आनलाईन टैण्डर किये गये। यह विश्वविद्यालय हिमाचल सरकार का संस्थान है और प्रशासनिक स्तर पर तकनीकी शिक्षा विभाग के तहत आता है। इसलिये इसका हर कार्य राज्य सरकार के संज्ञान में रहता है क्योंकि ऐसे बड़े खर्चोें को लेकर प्रशासनिक और वित्तिय अनुमतियां सरकार के ही संवद्ध विभागों से जाती हैं। यह स्वभाविक सामान्य प्रक्रिया रहती है। लेकिन इस फर्नीचर खरीद का कार्य केन्द्र के सीपीडब्लूडी विभाग को सौंपा गया। इसके लिये सीपीडब्लू डी की ओर से टैण्डर जारी किया गया उसमें यह कह दिया गया कि खरीदा जाने वाला फर्नीचर गोदरेज स्ट्रीलकेस हैवर्य या इनके समकक्ष कंपनी का ही होना चाहिये। इसी के साथ वांच्छित फर्नीचर का विवरण जारी करने के साथ ही उसकी अनुमानित कीमत का ब्यौरा भी टैण्डर दस्तावेज में जारी कर दिया गया।
इस तरह जो विवरण सामने आया उसके मुताबिक वाईसचांसलर के कार्यालय के लिये एक 12ग4 फीट का आफिस टेबल लिया जाना है जिसकी अनुमानित कीमत 3.12 लाख होगी। इसी तरह कुछ कुर्सीयां ली जा रही हैं जिनकी कीमत 65000/- , 45000/- और 32000/- प्रति कुर्सी होगी। एक सोफा की कीमत 1,35097/- होगी। इस तरह फर्नीचर के नाम पर जो कुछ भी खरीदा जा रहा है उसकी कीमतें इतनी ज्यादा है कि शायद ही सरकार का कोई भी विभाग इतना मंहगा सामान कार्यालय के लिये खरीदने को समझदारी कहेगा फिर खरीद उस समय की जा रही है जब देश की ही अर्थव्यस्था एक गंभीर संकट के दौर से गुजर रही है। इसमें केन्द्र से लेकर राज्य सरकारों तक ने अपने खर्चों में कटौती करने के फैसले लिये हैं। सूत्रों के मुताबिक इस टैण्डर में दिल्ली की तीन पार्टीयां योगेश सिक्का, आर.के.फर्नीचर और सीएमसी इन्टिरियर ने हिस्सा लिया था। सारी औपचारिकताएं पूरी की थी। लेकिन एक पार्टी सीएमसी का तो शायद टैण्डर खोला तक नही गया और इस तरह के संकेत सामने आये हैं कि केवल गोदरेज का ही सामान लेना है।
इस टैण्डर में किस कंपनी का  सामान लिया जाता है और किसका टैण्डर अप्रूव होता है इससे ज्यादा महत्वपूर्ण यह हो गया है कि जब प्रदेश वित्तिय संकट से गुजर रहा है और सरकार को वित्तिय वर्ष के पहले दिन से ही कर्ज लेने की बाध्यता खडी हो गयी हो तब भी यदि सरकार का कोई संस्थान इतना मंहगा फर्नीचर खरीदने का साहस करे तो उससे सरकार की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े हो जाते हैं। क्योंकि शायद तीन लाख का आफिस टेबल तो मुख्यमन्त्राी, मुख्य सचिव, और सचिव तकनीकी शिक्षा के कार्यालयों में भी न हो। फिर यह भी सवाल उठता है कि जो सरकार इस संकट के दौरान भी तीन लाख का आफिस टेबल खरीद सकती है उसे कर्मचारियों और पैन्शनरों का मंहगाई भत्ता रोकने का कोई नैकित साहस नही रह जाता है। ऐसी सरकार को महामारी के नाम पर जनता से धन सहयोग मांगने का भी अधिकार नही रह जाता है। वैसे तो सरकार के तकनीकी शिक्षा विभाग में फजूल खर्ची और भष्ट्राचार का यह पहला मामला नही है। तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा बिलासपुर में बनवाये जा रहे हाईड्रो इन्जिनियरिंग कालिज में भी ऐसा ही कुछ घट चुका है। वहां पर इसके निर्माण का कार्य भारत सरकार के एक उपक्रम को दिया गया है। इसके लिये भारत सरकार की ओर से प्रदेश को सौ करोड़ रूपया दिया गया है। यह पैसा प्रदेश सरकार द्वारा खर्च किया जाना है इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की है काम चाहे जो मर्जी एैजेन्सी करे। इस कालिज के निर्माण के लिये जब भारत सरकार के उपक्रम ने ठेकेदारों से निविदाएं आमन्त्रिात की तब उनमें एक कंपनी ने यह काम 92 करोड़ रूपये में करने की निविदा दी। लेकिन भारत सरकार के इस उपक्रम ने 92 करोड़ की आॅफर को छोड़कर यह काम 100 करोड़ के रेट देने वाले को दे दिया। प्रदेश विधानसभा मे विधायक रामलाल ठाकुर ने इस बारे में दो बार सवाल भी पूछा जिसका केवल लिखित में ही जवाब आया है उसमें भी यह नही बताया गया है कि इसमें आठ करोड़ का प्रदेश का नुकसान क्यों किया गया है। यह निर्माण एक वर्ष पहले ही पूरा हो जाना चाहिये था लेकिन ऐसा हुआ नही है और न ही आज तक विभाग की ओर से इसमें कोई जांच आदेशित की गयी है। वैसे मुख्यमन्त्री के प्रधान सचिव संजय कुंडु एक समय इस केन्द्रिय उपक्रम के प्रमुख रह चुके हैं और आज ऐसे कार्यो की जांच पड़ताल करना उन्ही की जिम्मेदारी है परन्तु वह भी शायद राजनीतिक कारणों से ऐसा नही कर पा रहे हैं। वैसे तो कोरोना संकट के चलते सरकार ने नयी भर्तियों पर रोक लगा दी है। सारे गैर जरूरी खर्चेे कम करने का सुझाव भी पार्टी ने सरकार को दिया है। बल्कि पिछले दिनों केन्द्र की ओर से जो करीब 140 करोड़ रूपया कोविड के लिये आया है उसके तहत कुछ सामान मास्क आदि की आपूर्ति के लिये टैण्डर किया गया था। टैण्डर की सारी प्रक्रियाएं पूरी करके कम दर वाले सपलाई आर्डर अभी तक नहीे दिया गया है। क्योंकि अब शायद सरकार कुछ लोगों को नकद सहायता देने पर विचार कर रही है।




 

















 

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