शिमला/शैल। कोरोना के कारण पूरे प्रदेश में सरकार ने कर्फ्यू लगा रखा है जो तीन मई तक चलेगा। कर्फ्यू के कारण प्रदेशभर में सारी आर्थिक गतिविधियों पर विराम लग गया है। सारे छोटे-बड़े उद्योगों और अन्य दुकानदारी तक बन्द है। इन सारी गतिविधियों के बन्द होने से जो सरकार को करों और गैर करों के रूप में राजस्व की प्राप्ति होती थी वह भी रूक गयी है। 24 मार्च से शुरू हुए इस कर्फ्यू के कारण सरकार को अब तक करीब चार सौ करोड़ का नुकसान हो चुका है। यह मुख्यमन्त्री ने कर्फ्यू लगने के बाद आयोजित हुए पत्रकार सम्मेलन में माना है। अभी कर्फ्यू को लगे लगभग एक माह ही हुआ है और इसी दौरान सरकार ने करीब पांच सौ करोड़ का ऋण भी ले लिया है। ऋण के अतिरिक्त भारत सरकार ने भी कोरोना के लिये सरकार को 223 करोड़ की सहायता उपलब्ध करवाई है। इसी सहायता के बाद सरकार ने विधायकों-मन्त्रीयों के वेत्तन भत्तों में कटौती तथा विधायकों को मिलने वाली क्षेत्र विकास निधि भी दो वर्ष के लिये बन्द कर दी है। प्रदेश के कर्मचारियों के वेत्तन में भी एक दिन की कटौती कर दी है।
कर्फ्यू के एक माह के भीतर ही सरकार को वित्तिय स्तर पर यह सारे कदम उठाने पड़ गये हैं। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि यदि यह कर्फ्यू की अवधि लम्बे समय तक चलानी पड़ी तो शायद सरकार का वित्तिय संकट और बढ़ सकता है। इससे यह भी अन्दाजा लगाया जा सकता है कि उन कामगारों और छोटे उद्योगपतियों तथा दुकानदारों की हालत क्या होगी जिनका कामकाज़ पूरी तरह बन्द पड़ा हुआ है। इस समय प्रदेश में कर्फ्यू के कारण लाखों मज़दूर और उनके परिवार प्रभावित हुए हैं। इन प्रभावितों को खाने तक का संकट खड़ा हो गया है। हालांकि सरकार यह प्रयास और दावा भी कर रही है कि हर आदमी को आवश्यक राशन उपलब्ध करवाया जा रहा है। राशन पहुंचाने के काम में एनजीओज से भी मद्द ली जा रही है। लेकिन राजधानी में ही ज़िलाधीश कार्यालय के बाहर धरने पर बैठे विधायक राकेश सिंघा ने सरकारी दावों पर गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है। सिंघा ने शिमला की जामा मस्जिद में रह रहे 129 मज़दूरों की स्थिति जब प्रशासन के सामने रखी तो प्रशासन ने यह जवाब दिया कि वह 1200 लोगों को एनजीओ के माध्यम से खाना उपलब्ध करवा रहे हैं। वैसे ज़िलाधीश ने गैर सरकारी संगठनों पर प्रशासन के आदमी के बिना यह राशन आदि बांटने को मना कर रखा है। क्योंकि बहुत सारी जगहों से यह शिकायतें आ रही थी कि दो किलो राशन चार-पांच आदमीयों को पकड़ा कर केवल फोटो खिंचवाने का ही सोशल वर्क हो रहा था। छोटा शिमला क्षेत्र से भी इस तरह की शिकायत रही है।
सिंघा ने प्रशासन को ऐसे मज़दूरों की सूचीयां उपलब्ध करवाई हैं जिनके पास राशन नही है। प्रशासन जब सिंघा के दावों को खारिज कर रहा था उसी समय मण्डी से 34 मज़दूरों का यह सन्देश आने से सरकार की और फजीहत हो गयी जब उन्होने यह शिकायत की न तो उनके पास खाने को है और न ही ठहरने की व्यवस्था। वह एक तंबू में समय काट रहे हैं जबकि उन्हे एक स्कूल में ठहराने का आश्वासन दिया गया था। कुल्लु में मज़दूरों को खाना न मिलने का तो एक लाईव विडियो तक जारी हो चुका है। हमीरपुर,पंडोह और बरोट में तो मज़दूरों से मार पीट तक हो चुकी है।