Friday, 19 September 2025
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2541.43 करोड़ के मुद्रा ऋण का सच क्या है

शिमला/शैल। मोदी सरकार ने 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले फरवरी 2018 में एक मुद्रा ऋ.ण योजना शुरू की थी। केन्द्र के अनुसार यह योजना उन सभी सुक्ष्म उद्यमों को विकसित करने और पुर्निवित्त करने के लिये जिम्मेदार है जो वित्त संस्थानों का समर्थन करते हैं और मुख्य रूप से विनिर्माण व्यापार, सेवा और गैर कृषि क्षेत्रों में कार्यरत हैं। इस श्रेणी के अन्तर्गत आने वाले सभी अग्रिम जो 8-4-2015 को या इसके बाद इस योजना के अधीन आये हों को मुद्रा ऋण के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इस योजना के तहत देशभर में करीब 11 लाख करोड़ के ऋण दिये गये हैं।
हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2019-20 में इस  योजना के तहत 17562 नये लघु उद्यमियों को 425.19 करोड़ के ऋण प्रदेश के बैंको द्वारा उपलब्ध करवाये गये हैं। सितम्बर 2019 तक प्रधानमन्त्री मुद्रा योजना के तहत 1,45,838 उद्यमियों को 2541.43 करोड़ के ऋण वितरीत किये गये हैं। वर्ष 2019-20 के विधानसभा में रखें गये आर्थिक सर्वेक्षण में इसे सरकार की बड़ी उपलब्धि के रूप में दिखाया गया है।
हिमाचल प्रदेश में पंजीकृत छोटी-बड़ी औद्योगिक ईकाईयों की संख्या अभी 60 हज़ार से कम है। इनमें कार्यरत कामगारों की संख्या भी 1.50 लाख के करीब है। वैसे कामगार बोर्ड के पास तो पंजीकृत कामगारों की संख्या 56000 के करीब है। लेकिन प्रधानमन्त्री मुद्रा ऋण योजना के तहत 1,45,838 उद्यमियों को 2541.43 करोड़ के ऋण दे दिये गये हैं। इसके मुताबिक प्रदेश में इतने उद्योग स्थापित हो गये हैं। लेकिन सरकार के उद्योग विभाग, श्रम एवम् रोज़गार विभाग तथा कामगार बोर्ड के आंकड़ों में भिन्नता होने के कारण इस पर सन्देह बन जाता है। विभिन्न बैंकों से जब ऐसे ऋण लाभार्थियों की सूची लेने का प्रयास किया गया तो उनके पास ऐसी सूची उपलब्ध ही नही थी। किसी भी बैंक ने ऐसे लाभार्थियों के उद्यमों का अपने स्तर पर कोई निरीक्षण किया हो इसका भी कोई रिकार्ड उपलब्ध नही था। इस ऋण से कितने लाभार्थी इस ऋण की वासपी की किश्तें नियमित रूप से अदा कर रहे हैं इसका भी कोई उचित रिकार्ड बैंकों के पास उपलब्ध नहीं था। बैंकों के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक ऐसे लाभार्थीयों का कोई ठोस रिकार्ड ऋण देते हुए लिया ही नही गया है।
आज जब देश और प्रदेश कोरोना संकट से जुझते हुए मन्त्रीयों, विधायकों के वेत्तनभत्तों में कटौती करने के कगार पर पहुंच गया है तक यह आवश्यक हो जाता है कि इस तरह के खर्चों की पूरी जांच करके तथ्य जनता के सामने लाये जायें क्योंकि यह पैसा प्रदेश के आम आदमी का पैसा हैं।

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