शिमला/शैल। सरकार प्रदेश में एक लाख करोड़ का औद्यौगिक निवेश लाने का स्वप्न देख रही है। इसके लिये दस हजार बीघे का लैण्ड बैंक भी बना लिया गया है। इसी के साथ केन्द्र द्वारा एक समय घोषित 69 राष्ट्रीय राजमार्गों की डीपीआर भी शीघ्र ही तैयार कर लिये जाने का दावा भी सरकार ने किया है। स्वभाविक है कि यह डीपीआर तैयार होने के बाद इन राजमार्गों के निर्माण का काम भी शुरू हो जायेगा। सैंकड़ों उद्योगों के साथ एमओयू साईन होने के बाद इनका निर्माण कार्य भी शुरू होगा।
इस समय एनजीटी के फैसले के तहत प्रदेश में कहीं भी अढ़ाई मंजिल से अधिक निर्माण नही किया जा सकता। सरकार इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय गयी हुई है लेकिन वहां से अभी तक कोई राहत की खबर नही मिली है। पूरा प्रदेश भूकंप के जोन चार और पांच में है। इसी वर्ष प्रदेश के विभिन्न भागों से पांच बार भूकम्प के झटके आ चुके हैं। भूकम्प के इस खतरे को देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय से राहत मिलने की उम्मीद नहीं के बराबर है।
शिमला-कालका फोरेलन का निर्माण प्रदेश के विकास का एक बड़ा आईना है। हजारों करोड़ के इस प्रौजैक्ट का काम कब पूरा होगा यह कहना आज असंभव हो गया है। क्योंकि जिस तरह से इस मार्ग पर भूस्ख्लन से जगह- जगह खतरे पैदा हो गये हैं उससे सैंकड़ों करोड़ का नुकसान अबतक इसमें हो चुका है। कई -कई घन्टों तक इस पर यातायात बन्द रखना पड़ रहा है। इस फोरलेन को लेकर लोग उच्च न्यायालय का दरवाजा तक खटखटाने की सोच रहेे हैं लेकिन इस निर्माण ने एक गंभीर सवाल यह तो खड़ा कर ही दिया है कि क्या प्रदेश में विकास के लिये इस तरह की कीमत चुकाना पर्यावरण की दृष्टि से कितना जायज़ होगा।
(कैथलीघाट व वाकनाघाट के बीच) (जाबली के पास) (कुमारहट्टी के पास)
(डगशाई के पास) (धर्मपुर से सनवारा के बीच) (क्यारीघाट व कण्डाघाट के बीच मे)