Friday, 19 September 2025
Blue Red Green

ShareThis for Joomla!

क्या शिमला के भराड़ी में भी कसौली कांड घटने की तैयारी हो रही है लोक निर्माण विभाग के नोटिस से उभरी आशंका

शिमला/शैल। राजधानी शिमला के उपनगर भराड़ी के दुधली गांव क्षेत्र से देवीधार जाने वाली सड़क के किनारे करीब एक दशक पहले से बने आठ भवनों के मालिकों को लोक निर्माण विभाग के डिविजन न. 1 शिमला के कनिष्ठ अभियन्ता ने 15 दिन के भीतर अपने भवन तोड़ने के नोटिस जारी किये हैं। प्रदेश उच्च न्यायालय के महाधिवक्ता श्रवण डोगरा सहित उर्मिला ठाकुर, राजकुमार, सीमा सूद, रविन्द्र ठाकुर, राजेश चौहान, हीरा सिंह वर्मा और मोहन सिंह के खिलाफ आरोप है कि इन लोगों ने रोड़ साईड़ Control Width के तीन मीटर दायरे के भीतर मकान बनाकर एक्ट की उल्लंघना की है। स्मरणीय है कि प्रदेश उच्च न्यायलय ने एक समय यह निर्देश जारी किये थे कि इलेजियम/देवीधार सड़क की चौड़ाई वाहन चलाने योग्य होनी है। उच्च न्यायालय के इन निर्देशों पर कितना और क्या अमल हुआ है इसकी जानकारी एक आरटीआई के माध्यम से एक डॉ. बन्टा ने 11.5.18 को मांगी थी। इस आर टीआई के परिणाम स्वरूप अब एक साल बाद यह नोटिस भेजने की कारवाई की गयी है।
इन नोटिसों से जो सवाल खड़े हुए हैं वह महत्वपूर्ण हैं और पूरे तन्त्र की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाते हैं। स्मरणीय है कि यह मकान और यह सड़क उच्च न्यायालय के निर्देशों से बहुत पहले बने हैं और तभी रोडसाईड एक्ट का उल्लंघना हो चुकी थी। एक्ट में तो पहले दिन से ही यह मौजूद है कि कन्ट्रोल width के 3 मीटर के दायरे के भीतर बिना अनुमति के निर्माण नहीं हो सकता। ऐसे में यह सवाल उठना स्वभाविक है कि जब यह निर्माण शुरू हुए थे तब लोक निर्माण विभाग का संवांच्छित प्रशासन कहां था। उसने उस समय इन निर्माणों का संज्ञान लेकर तब ऐसा ही नोटिस भेजने की कारवाई क्यों नहीं की। फिर भराडी क्षेत्र टीसीपी और नगर निगम शिमला दोनों के दायरे में आता है। इसलिये स्वभाविक है कि इन भवनों के नक्शे भी संबद्ध अथारिटी से पास करवाये ही गये होंगे। यदि यह भवन नक्शा पास करवा कर बनाये गये हैं तो उस समय नक्शा पास करने से पहले इस एक्ट की अनुपालना सुनिश्चित क्यों नहीं की।  
यदि भवन निर्माण के समय लोकनिर्माण विभाग और टी सी पी या नगर निगम शिमला ने इस ओर ध्यान नही दिया है तो क्या आज भवन मालिकों के मकान गिराने से पहले संबद्ध विभागों के कर्मचारियों/ अधिकारियों के खिलाफ कारवाई नही  की जानी चाहिये। क्योंकि यह नोटिस देने से यह तो स्पष्ट हो ही जाता है कि  इसमें एक्ट की उल्लंघना तो हुई ही है। हो सकता है कि प्रदेश के अन्य स्थानों  पर भी ऐसी ही उल्लंघनाएं हुई हों और आज भी हो रही हों। आज जब भराड़ी क्षेत्र में इन मकानों को गिराने की कारवाई होगी तो क्या वहां भी एक और कसौली कांड घटने की सम्भावना नही बन जाती है।

Add comment


Security code
Refresh

Facebook



  Search