Friday, 19 September 2025
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क्या प्रदेश भाजपा में बिछने लगी है बड़े विस्फोट की विसात

शिमला/शैल। मुख्यमन्त्री जय राम पिछले दिनां जब राष्ट्रीय अध्यक्ष अभितशाह का प्रदेश दौरा स्थगित होने के बाद दिल्ली जाकर उनसे मुलाकात करके वापिस लौटे तब से अटकलों का यह दौरा शुरू हुआ कि वह विभिन्न निगमां/ बोर्डां में होने वाली संभावित ताजपोशीयों को अन्तिम रूप दे आये हैं। बल्कि यह अटकलें यहां तक पंहुच गयी कि ऐसे सभावित सत्राह नेताआें की एक सूची सोशल मीडिया से बाहर भी आ गयी। इस सूची में वाकायदा यह जिक्र है कि किस नेता को कहां ताजपोशी मिल रही है। इस सूची में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सत्तपाल सत्ती को बीस सूत्रीय कार्यक्रम का अध्यक्ष दिखाया गया है। सत्ती का ऐसा जिक्र आने के बाद ऊना के ही एक नेता भनोट ने सोशल मीडिया में यह स्पष्टकीकरण जारी किया कि पार्टी के नियमों के अनुसार अध्यक्ष रहते हुए सरकार में कोई पद स्वीकार नही कर सकते। भनोट ने सोशल मीडिया में आयी इस सूची को एकदम अफवाह करार देते हुए इस पर विश्वास नही करने को कहा है। लेकिन पार्टी अध्यक्ष सत्ती या सरकार की ओर से कोई स्पष्टीकरण नही आया है। मुख्यमन्त्री ने अपनी ऊना यात्रा के दौरान बंगाणा में एक ब्यान में यह कहा था कि वह ऐसी ताजपोशीयों के हक में नही है। लेकिन जो सूची वायरल हुई है उससे यह स्पष्ट हो जाता है कि यह सूची मीडिया की उपज नही है। बल्कि पार्टी के ही सूत्रों के माध्यम से बाहर आयी है इससे यह इंगित होता है कि इस सूची को एक विशेष मकसद से वायरल किया गया है।
इसी दौरान मुख्यमन्त्री की दिल्ली यात्रा से जोड़कर ही यह चर्चा भी बाहर आयी कि मन्त्रीयों के रिपोर्ट कार्ड के आधार पर मन्त्रीयों के विभागों में भी फेरबदल होने जा रहा है। लेकिन इसी फरेबदल की चर्चा के साथ ही मुख्यमन्त्री के दो विशेष कार्याधिकारियां शिशु धर्मा और मेहन्द्र धर्माणी को लेकर भी एक पत्र मीडिया तक पंहुच गया। यह पत्र किसी विनोद कुमार नाभा शिमला के नाम से लिखा गया है। पत्र में दोनों के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाये गये हैं। इस पत्र को लेकर जब शैल ने इनसे संपर्क करने का प्रयास किया तो इनके फोन पर घंटी तो जाती रही लेकिन किसी ने फोन उठाया नही। मन्त्रीमण्डल में फेरबदल की चर्चा के दौरान ही सोलन में महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रश्मिधर सूद के यहां कुछ नेताओं की बैठक हुई। इस बैठक में मुख्यमन्त्री और सरकार की कार्यप्रणाली पर चर्चा हुई। इस चर्चा की जो तर्ज रही उसको लेकर बैठक में ही शामिल एक नेता ने एतराज उठाया और बैठक से बाहर आ गये। सूत्रों के मूताबिक इस बैठक की सूचना मुख्यमन्त्री को देने के लिये उनके कार्यालय में इन नेता ने फोन किया लेकिन मुख्यमन्त्री से इस नेता की बात नही हो पायी। फिर इसकी जानकारी ओएसडी शिशु धर्मा और मन्त्री महेन्द्र सिंह को भी दी गयी।
दूसरी ओर कुछ मन्त्रीयों के ओएसडी और अन्य स्टाफ में तालमेल के अभाव की शिकायतें चर्चा में आनी शुरू हो गयी हैं। वीरभद्र सरकार के दौरान सभी मन्त्रीयों को भी अपने विश्वास के ओएसडी अपने कार्यालयों में लगाने की सुविधा दे दी गयी थी। भाजपा सरकार के दौरान भी यह सुविधा यथावत जारी है। लेकिन भाजपा में यह ओएसडी नियुक्त करते हुए यह ध्यान रखा गया है कि व्यक्ति संघ की वैचारिक पृष्ठिभूमि का ही हो ताकि संघ के लोगों को मन्त्रीयों के यहां अपने काम करवाने में सुविधा रहे। लेकिन जहां ओएसडी तो संघ की पृष्ठिभूमि के लग गये वहीं पर स्टाफ में कुछ ऐसे लोग भी आ गये जो पूर्व में काग्रेस के आदमी माने जाते थे। प्रदेश में कर्मचारियां की संख्या के आधार सबसे बड़ा विभाग शिक्षा का है। यहां पर शिक्षा मन्त्री के ओएसडी डा. पुण्डीर है जो पूर्व में शिक्षा विभाग में ही कार्यरत थे। यहां शिक्षा मन्त्री के कार्यालय में शायद एक ऐसा कर्मचारी भी अपना स्थान पा गया है जो पूर्व में मुख्यमन्त्री के कार्यालय में रह चुका है और 2017 के एक विधानसभा उपचुनाव में टिकट की दावेदारी भी जता चुका है। इस तरह शिक्षा मन्त्री के कार्यालय में मन्त्री के ओएसडी और स्टाफ में बैठे ऐसे कर्मचारियों में तालमेल का ऐसा अभाव चल रहा है कि यदि कोई व्यक्ति शिक्षा मन्त्री के कार्यालय में आकर ओएसडी के बारे में पूछता है तो उसे यह जबाव मिलता है कि हम नही जानते। भुक्त भोगियों के अनुसार कई बार तो यह जवाब अभद्रता की सीमा तक पहुच जाते हैं। इस तरह वीरभद्र शासन में मन्त्रीयो के स्टाफ में या कुछ निकटस्थ अधिकारियों के स्टाफ में रह चुके कर्मचारी आज भी वनवास भोगने की बजाये फिर से सत्ता सुख भोग रहे हैं। ऐसे लोगों का संघ की पृष्ठिभूमि वाले ओएसडी से कतई तालमेल नही बैठ रहा है और इसका नुकसान आम आदमी को उठाना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति तीन चार मंत्रीयों के यहां चल रही है। अब यह स्थित बाहर सार्वजनिक चर्चा का विषय बनती जा रही है और सरकार पर यह आरोप लग रहा है कि उसे शासन की समझ ही नही आ रही है।
सरकार को बने हुए सात माह हो गये हैं इस अवधि में कर्मचारियों और अधिकारियों के तबादले बड़े पैमाने पर हो चुके हैं उसके बाद भी सरकार की प्रशासनिक समझ को लेकर अब तक अनुभवहीनता का आरोप लगना निश्चित रूप से सरकार की सियासी सेहत के लिये ठीक नही है जबकि अगले लोकसभा चुनावों की घोषणा कभी भी हो सकती है। ऐसे में सरकार की छवि को लेकर अब तक भी अनुभव हीनता का आरोप लगना चुनावी समझ पर एक सवालिया निशान खड़ा कर देता है। इस परिदृश्य में यदि सरकार की छवि का आकलन उसके अब तक के लिये गये फैसलों के आधार पर किया जाये तो कोई बहुत सन्तोशजनक स्थिति सामने नही आती है। क्योंकि बहुत सारे फैसले ऐसे हैं जो अन्त विरोधों से भरे हुए हैं उदाहरण के रूप में अभी जो विद्युत परियोजना एनएचपीसी को दी गयी हैं वह 70 वर्षों तक एनएचपीसी के पास रहेगी जबकि पहले ऐसी योजनाएं केवल चालीस वर्ष के लिये दी जाती थी। क्या इस फैसले से यह सन्देश नही जा रहा है कि अभी तक निजिक्षेत्र प्रदेश के विद्युत उत्पादन में निवेश के लिये आगे नही आ रहा है। इसी तरह ठेकेदारों को जहां निर्माण साम्रगी खुले बाज़ार से खरीदने का फैसला सुनाया गया है वहीं पर इन ठेकेदारों को अपने स्टोनक्रशर लगाने की सुविधा प्रदान कर दी गयी है। इस फैसले से खनन के क्षेत्र में जो आरोप अब तक लगते आये हैं क्या उन्हें अब एक बड़ा फलक नही मिल जायेगा।
इस सारी वस्तुस्थिति का यदि निष्पक्ष आकलन किया जाये तो पूरी तरह स्पष्ट हो जाता है कि यदि मुख्यमन्त्री समय रहते न संभल पाये तो कोई बड़ा विस्फोट कभी भी घट सकता है। स्थिति बन चुकी है और इसका पूरा नियन्त्रण प्रदेश के तीनों बडे़ ध्रुवों के हाथों में केन्द्रित है। जो मुख्यमन्त्री की सियासी सेहत के लिये कभी भी नुकसानदेह साबित हो सकता है। क्योंकि निकट भविष्य में लोकसभा चुनावों का सामना करना है। इन चुनावों के लिये अभी प्रत्याशियों कि सूची को अन्तिम रूप दिया जाना शेष है। जबकि सरकार की स्थिति यह हो गयी है कि कामगार बोर्ड में जो ताजपोशी की गयी थी वह अभी तक अमली शक्ल नहीं ले पायी है। चर्चा है कि संघ का ही एक बड़ा नेता इसके खिलाफ है। ऐसे में ताजपोशीयों की जो सूची वायरल की गई है उसके पीछे भी मंशा इन्हे रोकने की ही मानी जा रही है। इस परिदृश्य में यह स्वभाविक सवाल उठता है कि जो लोग अभी से खुला पत्र दागने, सूचियां वायरल करने और बैठकें आयोजित करने की रणनीति पर आ गये हैं उनके ईरादे यहीं तक रूकने के नही हो सकते।


वायरल हुआ खुला पत्र

 

  

वायरल हुई ताजपोशियो की सूची

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