शिमला/शैल। कसौली में एक महिला अधिकारी शैल बाला शर्मा की एक नारायणी गैस्ट हाऊस के मालिक विजय सिंह ने उस समय गोली मारकर हत्या कर दी जब यह अधिकारी सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की अनुपालना में यहां हुए अवैध निर्माण को गिरानेे जा रही थी। महिला अधिकारी ने मौके पर ही दम तोड़ दिया और हमलावर एक और आदमी को जख्मी करने के बाद मौके से भागने में कामयाब हो गया। सरकार ने इस घटना का कड़ा संज्ञान लेते हुए कसौली धर्मपुर के थानाध्यक्षों, डीएसपी परवाणु और एसपी सोलन को यहां से बदल भी दिया है।
इस घटना के बाद यह सवाल उठे हैं कि क्या महिला अधिकारीे को बचाया नही जा सकता था? क्या पुलिस और प्रशासन ने अदालत के फैसले पर अमल सुनिश्चित करने गयी टीम को उचित सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध करवाई थी? यह सवाल इसलिये उठे हैं क्योंकि जब इस घटना के बाद एफआईआर दर्ज की गयी और एक स्टे्टस रिपोर्ट सरकार को सौंपी गयी है उसमें यह कहा गया है कि यह महिला अधिकारी टीम लीडर को सूचित किये बिना ही दो अन्य लोगों के साथ गैस्ट हाऊस के अन्दर चली गयी थी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है वह टीम न. एक की सहायक समन्वयक थी। ऐसे में क्या उसे किसी से अनुमति लेने की आवश्यकता थी? रिपोर्ट से यह झलकता है कि इसमें पुलिस की ओर से चूक नही हुई है।
सर्वोच्च न्यायालय का आदेश 17.4.18 को आ गया था और 28.4.2018 को ही जिलाधीश सोलन के पत्र के अनुसार इस संद्धर्भ में चार टीमें गठित कर दी गयी थी। इसके मुताबिक चार अलग स्थानों के लिये पुलिस और होम गार्डस के कुल 37 लोग तैनात किये गये थे। यह मामला एनजीटी के फैसले की अपील में सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा था। करीब एक दशक तक यह मामला अदालतों में रहा है और बेहद संवदेनशील बन चुका था क्योंकि इन अवैध निर्माणों के मालिकों का इसमें करोड़ो रूपया निवेशित था। इस परिदृश्य में ही सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से उत्पन्न स्थिति का आकलन किया जाना चाहिये था और उसके अनुसार ही सुरक्षा उपलब्ध करवायी जानी चाहिये थी जो नही हो पायी।