शिमला/शैल। मुख्यमन्त्री वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी तथा अन्य के खिलाफ ईडी में चल रहे मनीलाॅंड्रिंग मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस प्रकरण में वीरभद्र सिंह, प्रतिभा सिंह, चुन्नी लाल, विक्रमादित्य सिंह और पिचेश्वर गड्डे द्वारा दायर याचिकाओं को तीन जुलाई को सुनाये फैसले में अस्वीकार कर दिया है। इन लोगों ने ईडी की कारवाई को "Without jurisdiction and authority of law "कह कर चुनौती देते हुए इस संद्धर्भ में दर्ज मामले को निरस्त करने तथा ईडी की अब तक की कारवाई को रद्द करने का आग्रह किया था इन याचिकाओं को अस्वीकार करते हुए न्यायालय ने कहा है कि It is clear from the above discussion that the Prevention of Money-Laundering Act,
इस प्रकरण में ईडी ने 31.3.17 को दूसरा अटैचमैन्ट आदेश जारी करके विक्रमादित्य की कंपनी मैप्प्ल डैस्टीनेशन और ड्रीम बिल्ड द्वारा डेेरा मण्डी महरौली में एक पिचेश्वर गड्डे परिवार से खरीदे गये फार्म हाऊस को अटैच किया है, इसमें यह आरोप है कि इस फार्म हाऊस की खरीद में वक्कामुल्ला द्वारा वीरभद्र को दिये गये 2.4 करोड़ के ऋण में से ही 90 लाख रूपया वीरभद्र ने विक्रमादित्य को दिया है इस फार्म हाऊस की रजिस्ट्री 1.20 करोड़ की है और 90 लाख के बाद शेष बचा 30 लाख 15-15 लाख के दो चैकों के माध्यम से एक जय दुर्गा कंपनी द्वारा विक्रमादित्य को दिया गया है। इस प्रकरण में वक्कामुल्ला चन्द्रशेखर, राम प्रकाश भाटिया, विनित मिश्रा और गड्डे परिवार की भूमिका विशेष रही है। फार्म हाऊस को लेकर जारी हुए अटैचमैन्ट आदेश के अनुसार वक्कामुल्ला 19.11.2011, 22.11.2011 और 25.11.2011 को 2 करोड़ विक्रमादित्य के खाते में जमा करवाता है। उसके बाद 10.1.2012 को विक्रमादित्य की कपंनी 1.50 करोड़ तारिणी और 50 लाख वक्कामुल्ला के खाते में जामा करवाते हैं। ईडी ने इस लेन देन पर अभी तक विक्रमादित्य से उनका पक्ष नहीं पूछा है। प्रतिभा सिंह ने इस पर ईडी को यही कहा है कि इसकी जानकारी विक्रमादित्य ही दे सकते है।
ऐसे में अब उच्च न्यायालय के फैसले के बाद ईडी इस मामले में सीधे चालान ही दायर करती है या इसमें फिर से सम्मन जारी करके इस प्रकरण में सामने आये लोगों से पूछताछ करती है या नही। इस अटैचमैन्ट आदेश के बाद किसी की गिरफ्तारी होती है या नही इस पर सबकी निगाहें लगी हुई है। यदि इस मामलें में सीधे चालान ही अदालत में जाता है (जो कि चार सितम्बर तक दायर करना ही होगा) तो इस प्रकरण का प्रदेश की राजनीति पर कांग्रेस के संद्धर्भ में कोई ज्यादा नकारात्मक प्रभाव नही पडे़गा क्योंकि उस स्थिति में कई वर्षों तक यह मामला अदालत में ही उलझा रहेगा।