शिमला/शैल। पांच लाख की रिश्वत लेते सीबीआई द्वारा रंगे हाथों पकड़े गये उद्योग विभाग के संयुक्त निदेशक तिलकराज शर्मा और उनके सहयोगी बद्दी के ही एक उद्योगपत्ति अशोक राणा की न्यायिक हिरासत फिर बढ़ गयी है। दोनों इस समय चण्डीगढ़ में सीबीआई अदालत की हिरासत में है। सीबीआई ने इन्हे 30 मई को चण्डीगढ़ में पकड़ा था और चार दिन के पुलिस रिमांड के बाद से अब तक न्यायिक हिरासत में चल रहे हैं। इस मामले में तिलक राज ने तो अभी तक जमानत के लिये आवेदन ही नहीं किया है लेकिन इस बार अशोक राणा ने जमानत के लिये आग्रह किया था जिसे अस्वीकार कर दिया गया है। अशोक राणा के जमानत आवदेन के अस्वीकार होने के बाद इस मामले की गंभीरता और बढ़ गयी है।
सीबीआई ने एक फार्मा उद्योग
तिलक राज की इसी पृष्ठभूमि के कारण लम्बे अरसे से वह कई ऐजैन्सीयों के राडार पर चल रहा था। जब मुख्यमन्त्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ सीबीआई और ईडी ने अपनी जांच बढाई थी उस दौरान बद्दी-नालागढ़ क्षेत्र के 26 स्टोनक्रशरों के खिलाफ ईडी ने एक मामला दर्ज करके जांच शुरू की थी। उस जांच में भी कई ऐसे सवाल उठे थे जो उद्योग और प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड के बद्दी स्थित अधिकारियों तक पहुंचे थे। ऐसे में अब जब सीबी आई ने तिलक राज और अशोक राणा को रंगे हाथों गिरफ्तार किया तब चार दिन के रिमांड में इन लोगों से वह सारी जानकारियां बाहर आ गयी हैं जिन पर केन्द्र की यह ऐजैन्सीयां लम्बे समय से अपनी नजर बनाये हुए थी। सूत्रों की माने तो रिमांड के दौरान करीब एक दर्जन लोगों के नाम सामने आये है। इन नामों में मन्त्री, अधिकारी और पत्रकार तक शामिल हैं। इन सब लोगों पर केन्द्र की ऐजैन्सीयों की नजर बनी हुई है। सीबीआई के साथ ही यह मामला ईडी में भी पहुंच गया है। दोनों ऐजैन्सीयों ने अपनी जांच बढ़ा दी है और बहुत लोगों की प्रदेश और प्रदेश से बाहर की संपत्तियों की शिनाख्त कर ली गयी है। रघुवंशी और उनके एक सहयोगी सुरेश पठानिया से सीबीआई और ईडी प्रारम्भिक जांच कर चुकी है। माना जा रहा है कि ईडी इस प्रकरण में कभी भी विधिवत रूप से मामला दर्ज करके अगली कारवाई को अन्जाम दे सकती है। सूत्रों की माने तो ईडी शिमला स्थित कार्यालय ने काफी अरसा पहले वीरभद्र के दो मन्त्रीयों, दो बडे़ अधिकारियों को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट अपनी मुख्यालय को भेज रखी है। इस रिपोर्ट पर भी अब कारवाई हो रही है। सूत्रों की माने तो अभी वीरभद्र के मन्त्री और एक चेयरमैन चण्डीगढ़ में सीबीआई अधिकारियों से संर्पक बनाने का प्रयास कर रहे थे। यह लोग आईबी की नजर में भी थे बल्कि अब जब मुख्यमन्त्री वीरभद्र सिंह के राष्ट्रपति भवन के एक कार्यक्रम के संद्धर्भ में दिल्ली जाने की सूचना चर्चा में आयी उसी के साथ आईबी के अधिकारी भी एकदम सक्रिय हो गये और मुख्यमन्त्री की इस प्रस्तावित यात्रा के संबध में जानकारी जुटाने में लग गये। संभवतः आईबी की यह सक्रियता सीबीआई और ईडी के सुझाव पर बढ़ी थी। माना जा रहा है कि सीबीआई तो 90 दिन के भीतर इस मामले में अपना चालान अदालत में डाल दे लेकिन सीबीआई के चालान से पहले ही इस मामलें में भी दो एक लोगों की ईडी से गिरफ्तारी हो सकती है।