एक पखवाडे में ईडी की दो बार दस्तक
30 सितम्बर के बाद खुले बैंक खातों की जानकारी में जुटा आयकर
वीरभद्र के विरोधी फिर हुए सक्रिय चण्डीगढ में की बैठक
शिमला/शैल। वीरभद्र के खिलाफ चल रही सीबीआई जांच का मामला दिल्ली उच्च न्यायालय में अब फैसले के दौर में पहुंच गया है। पिछली पेशी में हिमाचल सरकार का पक्ष रख रहे प्रदेश के महाधिवक्ता को अपना पक्ष संक्षेप में लिखित में 2 दिसम्बर को अदालत के सामने रखने को कहा है। उसी दिन सीबीआई इस याचिका से जुडे़ सारे वादीयों के दावों का जबाव देगी। इस जबाव में सीबीआई को जितना भी समय लगेगा उसके बाद इस मामले का फैसला आना है। यदि वीरभद्र सिंह की याचिका स्वीकार हो जाती है तो पूरा प्रकरण वहीं समाप्त हो जायेगा और यदि यह याचिका अस्वीकार हो जाती है तो फिर इसमें चालान ट्रायल कोर्ट में दायर हो जायेगा। हिमाचल सरकार, वीरभद्र और अन्य याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि इस मामले में सीबीआई का प्रदेश सरकार की अनुमति के बिना या किसी अदालत के निर्देशों के बिना जांच का क्षेत्राधिकार ही नही बनता है और ऐसे में सीबीआई की सारी कारवाई गैर कानूनी हो जाती है। लेकिन उच्च न्यायालय ने प्रदेश के महाधिवक्ता को यह भी स्पष्ट कर दिया था कि जांच अवधि के काल में वीरभद्र केन्द्र में मन्त्री थे और इस कारण दिल्ली क्षेत्राधिकार बन जाता है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि इस मामले में चालान दायर होना तय है।
जैसे जैसे यह मामला फैसले की ओर बढ़ रहा है उसी अनुपात में ईडी ने भी इस प्रकरण में अपनी शेष बची जांच तेज कर दी है। पिछले एक पखवाडे़ में ईडी की टीम दो बार रामपुर और शिमला का दौरा कर चुकी है। ईडी ने रामपुर के एक ऐडवोकेट राम आसरा से भी कुछ जानकारी हासिल की है। राम आसरा भी वीरभद्र के सेब बागीचे के प्रबन्धन से अप्रत्यक्षतः जुड़े रहे हैं। यह भी माना जा रहा है कि वीरभद्र ने जो पुश्तैनी संपति विक्रमादित्य और अन्य के नाम ट्रांसफर की है उसका रिकार्ड भी ऐजैन्सी ने हासिल कर लिया है। सूत्रों के मुताबिक ईडी टीम का दूसरा दौरा सरकार के नोटबंदी फैसले के बाद हुआ है और इसमें आयकर विभाग के लोग भी शामिल थे। चर्चा के मुताबिक कालाधन और बेनामी संपति की घोषणा योजना की 30 सितम्बर को अवधि समाप्त होने के बाद अचानक कई बैंक खाते खुलने की सूचना ईडी और आयकर विभाग को मिली थी। उसी की प्रमाणिकता जांचने के लिये ईडी टीम ने दस्तक दी थी। माना जा रहा है कि इन खातों की जानकारी के लिये आरटीआई का भी सहारा लिया गया है। क्योंकि आरटीआई के तहत खाता धारक की जानकारी तो नही मिल सकती है। लेकिन बैंक के पास अमुक अवधि में खुली खातों की संख्या की जानकारी को नहीं रोका जा सकता है । आयकर और ईडी सूत्रों के मुताबिक नोटबंदी फैसले के बाद तीन बडे़ बैंको के बडे़ अधिकारियों की सरकार के एक बडे़ अधिकारी और एक राजनेता के साथ हुई बैठक की जानकारी मिलने के बाद यह ऐजैन्सीयां हरकत में आयी है और अब बराबर निगरानी बनाये हुए हैं। इस सद्धर्भ में ईडी ने राज्य सहकारी बैंक को पत्र लिखकर जानकारी मांगी है।
दूसरी ओर अदालत में मामला फैसले के कगार पर पहुंचने और ईडी द्वारा अपनी जांच तेज कर दिये जाने के साथ ही वीरभद्र विरोधीयों ने भी अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं। माना जा रहा है यदि वीरभद्र सिंह के खिलाफ चालान अदालत में दायर हो जाता है तो उन पर पार्टी के भीतर भी त्याग पत्र देने का दबाव आ सकता है। ऐसे में एक वर्ग का मानना है कि वीरभद्र पद त्यागने की बजाये विधानसभा भंग करवाकर चुनाव में जाने की रणनीति पर चलेंगे। लेकिन दूसरा वर्ग चुनाव की बजाये नया नेता लाने की वकालत कर रहा है। इस संद्धर्भ में पार्टी के कुछ विधायकों की चण्डीगढ में बैठक हुई है। इस बैठक की जानकारी प्रदेश प्रभारी अंबिका सोनी को भी रही है। बल्कि सूत्रों का दावा तो यहां तक है कि इस बैठक में सोनी का एक विश्वस्त भी शामिल रहा है। इस बैठक की जानकारी पंजाब की प्रभारी आशा कुमारी को भी रही है। बैठक में शामिल रहे एक विधायक ने दावा किया है कि पार्टी हाईकमान को विधायकों की चिन्ता और उनके फैसले से सूचित करवा दिया गया है। बैठक में पार्टी की एक जुटता बनाये रखने के लिये कौल सिंह को मुख्यमंत्री और जी एस बाली को उपमुख्यमन्त्री बनाने पर सहमति बनी है। इस फैसले से कांगडा और मंडी क्षेत्रों में राजनीतिक सन्तुलन बन जाता है। यह माना जा रहा है कि विधायक वीरभद्र को विधान सभा भंग करने का फैसला नही लेने देंगे। क्योंकि अभी उनके पास एक साल का कार्यकाल बचा हुआ है। जिसे वह खोना नही चाहेंगे। ऐसे में हाईकमान को भी पार्टी के बहुमत के फैसले को अधिमान देना होगा अन्यथा पार्टी के अन्दर बगावत हो जायेगी यह माना जा रहा है।