शिमला/शैल। वीरभद्र ने पिछले दिनों रोहडू के एक आयोजन में जिस कदर ठेकेदारों पर अपने गुस्से को सर्वाजनिक किया था उसके बाद यह उम्मीद जगी थी कि जल्द ही इस ठेकेदारी संस्कृति में कुछ सुधार होगा। मुख्यमन्त्री ने ठेकेदारों को लुटेरा की संज्ञा दी थी। माना जा रहा था कि जब वीरभद्र को ठेकेदारों के बारे में इस कदर जानकारी है तो निश्चित रूप से वह कुछ लोगों के खिलाफ तो कड़ी कारवाई करेंगे ही। क्योंकि मुख्यमन्त्री के अपने पास ही लोक निर्माण विभाग है। लेकिन आज तक किसी ठेकेदार के खिलाफ कोई कारवाई सामने नही आयी है। जबकि कुल्लु के बंजार में जब डीसी के खिलाफ अपना गुस्सा सार्वजनिक मंच से निकालते हुए मंच से ही डी सी को बदलने के आदेश जारी कर दिये तो उन पर अमल भी हो गया और डी सी साहिब बदल भी दिये गये।
ठेकेदार किस तरह काम कर रहें है। कैसे उनके लिये हजार काम एक लाख में और एक लाख का काम एक करोड़ में सपन्न होता है। इसका उदाहरण तो शिमला के हो रहे सौंदर्यकरण में साफ देखा जा सकता है। जहां पर दो चर्चो की रिपेयर के लिये ही 17.50 करोड का प्रावधान किया गया है चर्च कमेटी और पर्यटन विभाग में इसका बाकायदा अनुबन्ध भी हो चुका है। मालरोड़ और आस -पास साढ़े तीन करोड़ में सात रेनशैलटर बन रहे है। आम आदमी इन कीमतों को देखकर एकदम स्तब्ध है। मजे की बात है कि लोक निमार्ण की तरह पर्यटन विभाग भी स्वयं मुख्यमन्त्री के पास है इसलिये यह जो कुछ हो रहा है यह सीधे मुख्यमन्त्री की जानकारी में होगा ही। लेकिन इसके बावजूद मुख्यमन्त्राी इन ठेकेदारों पर कोई नियन्त्रण नहीं कर पा रहे है। मुख्यमन्त्री ऐसा ही गुस्सा सोलन में भी ठेकेदारों ओर लोक निमार्ण विभाग के अधिकारियों के खिलाफ उगल चुके है।
जब मुख्यमन्त्री का गुस्सा सार्वजनिक तौर पर सामने आने के बाद भी किसी के खिलाफ कोई कारवाई न हो पाये तो निश्चित रूप से यह चर्चा उठेगी ही कि सरकार और प्रशासन पर ठेकेदार कैसे भारी पड़ रहें है । यह सवाल सचिवालय के गलियारों से लेकर स्कैण्डल तक चर्चा में है। इस में सबसे ज्यादा चर्चा स्वयं ठेकेदार कर रहें है। चर्चा है कि ठेकेदारों से इस समय कुछ लोग मुख्यमन्त्री के नाम पर ही उगाही करने लग गये है इसके लिये मुख्यमन्त्री के कठिन समय की दुहाई दी जा रही है। कहते है कि इसकी जानकारी रोहडू से ही मुख्यमन्त्री को मिली है और उसके बाद वह बहुत ज्यादा गुस्से में है और हर कहीं उनका क्रोध फूट पड़ रहा है। क्योंकि ऐसा करने वालों को तो वह रोक नही पा रहे है। कहते है कि रोहडू में इसको लेकर कुछ समर्थकों में अच्छी खासी बहसबाजी भी हो गयी है।