Friday, 19 September 2025
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क्या आयकर विभाग राज्य सरकार से बेनामी संपति जांच आयोगों की रिपोर्ट हासिल करेगा

शिमला/शैल। भारत सरकार ने ने काले धन की सदस्यता से निपटने के लिये The Income Declaration Scheme 2016 घोषित की है। एक जून से लेकर 30 सितम्बर तक यह योजना लागू रहेगी। इसके तहत किसी भी तरह की अघोषित आय को घोषित करने पर उसका केवल 45% सरकार को देकर उसे वैध बनाया जा सकता है। इस योजना को अमल में लाने की जिम्मेदारी आयकर विभाग को सौंपी गयी है। इस संद्धर्भ में हिमाचल के प्रमुख आयकर आयुक्त प्रतीम सिंह ने एक प्रैस वार्ता में दावा किया है कि प्रदेश में कई लोग इस योजना का लाभ उठाने के लिये आगे आये हैं और उनकी जानकारी को हर प्रकार से गुप्त रखा गया है। अघोषित आय में वह सभी निवेश आ जातें है जिनके माध्यम से कहीं पर संपत्तियां अर्जित की गयी हैं । अघोषित संपत्तियां निशिचत तौर पर बेनामी संपत्तियां होती हैं क्योंकि जो संपति सीधे आपके नाम पर होगी वह पूरी तरह वैध और रिकार्ड पर होगी।
हिमाचल प्रदेश में इस संद्धर्भ में स्थिति पूरी तरह भिन्न है। क्योंकि हिमाचल में कोई भी गैर हिमाचली गैर कृषक प्रदेश में सरकार की अनुमति के बिना संपति नही खरीद सकता है। प्रदेश के भू-राजस्व अधिनियम की धारा 118 के तहत ऐसी अनुमति लेकर ही संपत्ति खरीदी जा सकती है। प्रदेश में भू राजस्व अधिनियम की धारा 118 की अनदेखी करके गैर हिमाचलीयों और गैर कृषकों ने भारी संपतियां खरीद रखी हैं । पिछले तीन दशकों से भी अधिक समय से इस संद्धर्भ में राज्य सरकार के पास ऐसी शिकायतें आ रही हैं बल्कि हर बार विपक्ष सत्ता पर ऐसे आरोप लगाता आया है। ऐसे आरोपों पर राज्य सरकार तीन बार बेनामी संपति जांच आयोग गठित करके इसकी जांच भी करवा चुकी है।
पहली बार वित्तायुक्त एस एस सिद्धु की अध्यक्षता में बेनामी संपत्तियों की जांच की गयी थी। इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट में सैकडों मामले बेनामी के चिहिन्त किये हैं। लेकिन इन मामलों में से कितनों पर सराकर ने कारवाई की है इसका अधिकारिक जवाब देने के लिये कोई तैयार नही है। इसके बाद प्रदेश उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायमूर्ति जस्टिस ठाकुर की अध्यक्षता में एक और आयोग का गठन हुआ है इस आयोग ने भी सैंकड़ो मामले अपनी रिपोर्ट में समाने लाये हैं । लेकिन इसकी रिपोर्ट पर भी कोई प्रभावी कारवाई सामने नही आयी है। तीसरी बार धूमल के दूसरे शासन काल में सेवानिवृत जस्टिस डीपीसूद की अध्यक्षता में बेनामी भू सौदों की जांच के लिये आयोग गठित हुआ। इस आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में सैंकड़ो मामले चिहिन्त किये हैं । इस आयोग की रिपोर्ट आने के बाद धूमल सरकार बदल गयी। वीरभद्र के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार आ गयी। लेकिन इस सरकार ने इस रिपोर्ट पर कारवाई करने की बजाये इस रिपोर्ट को ही खारिज कर दिया।
आज जब केन्द्र सरकार आयकर विभाग के माध्यम से ऐसी बेनामी संपत्तियों का संज्ञान लेने जा रही है और इसके लिये बाकायदा एक अधिनियम लाया गया है तब इन मामलों पर कारवाई करना और भी आसान हो जाता है। हिमाचल प्रदेश में बेनामी खरीद के हजारों मामले इन आयोगों की जांच के माध्यम से सामने आ चुके हैं । सरकार की ओर से इन पर कोई कारवाई की नही गयी है बेनामी खरीद करने वालों ने स्वेच्छा से अब तक इन संपत्तियों को घोषित किया नही है। ऐसे में सवाल उठता है कि यदि यह लोग अब भी केन्द्र की इस इस योजना का लाभ उठाते हुए ऐसी संपत्तियों की घोषणा नहीं करते है तो क्या आयकर विभाग राज्य सरकार से इन तीनों जांच आयोगों की रिपोर्ट हासिल करके इस संद्धर्भ में प्रभावी कारवाई कर पायेगा। क्योंकि आयकर विभाग ने पिछले दिनों कुछ जिलाधीशों से धारा 118 के तहत हुई खरीद के मामलों की जानकारी हासिल करने का प्रयास किया था।

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