शिमला/शैल। वीरभद्र मनीलॅाडंरिग प्रकरण में गिरफ्तार एल आई सी ऐजैन्ट आनन्द चौहान को फिर जमानत नही मिली है। वह आठ जुलाई से ईडी की हिरासत में हैं। शनिवार को विशेष अदालत में आनन्द चौहान की जमानत का विरोध करते हुए ऐजैन्सी के वकील एन के मत्ता ने विषेश अदालत को बताया कि मामले की जांच एक गभीर मोड पर है तथा इसमें कुछ और लोगों को पूछताछ के लिये बुलाया गया है। ऐसे में आनन्द चैहान को जमानत देना जांच को प्रभावित कर सकता है। जबकि आनन्द चौहान की वकील रिवेका जाहन ने अदालत से आग्रह किया कि सारा मामला दस्तावेजी प्रमाणों पर आधारित है और वह तो इसमें एक छोटी सी कडी है। विशेष अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसमें 16 अगस्त की अगली तारीख तय कर दी है।
स्मरणीय है कि आनन्द चौहान ने बतौर एल आई सी ऐजैन्ट 2010 में वीरभद्र सिंह, प्रतिभा सिंह और विक्रमादित्य सिंह के नाम करीब छः करोड़ रूपये की पाॅलिसीयां बनाई। लेकिन इनके लिये जो प्रीमियम अदा हुआ उसकी अदायगी चौहान ने अपने खातों से की और इसके लिये इसी अवधि 2009-10 और 2011 में उनके खातांे में करोड़ांे का कैश जमा हुआ जिसे दिसम्बर 2011 में आयकर के सामने पेश होकर वीरभद्र के बागीचे की आय बताया तथा खुद को बागीचे का प्रबन्धक/ प्रबन्धक के तौर पर वीरभद्र के साथ 15-6-08 को हस्ताक्षरित एक एग्रीमैन्ट भी पेश कर दिया। आनन्द चौहान के इस स्टैण्ड के बाद मार्च 2012 में वीरभद्र ने पिछले तीन वर्षो की आयकर रिटर्नज संशोधित कर दी। आकर रिटर्नज संशोधित करने के साथ ही छः करोड के सेब की सेल का खाका तैयार किया गया जिसमें चुन्नी लाल का भी सहायोग लिया गया। लेकिन बागीचे से छः करोड का सेब तीन वर्षों में हो पाना किसी भी जांच में प्रमाणित नही हो पाया है। इसलिये अब आनन्द चौहान, वीरभद्र सिंह, प्रतिभा सिंह और अन्य को इस छः करोड का मूल स्त्रोत ऐजैन्सी को बताना है। इस मामले में ईडी कीरब आठ करोड़ की चल अचल संपति 23-3-16 को अटैच कर चुका है। विक्रमादित्य और अपराजिता को इसमें ईडी लाभार्थी करार दे चुका है।
इसी तरह वक्कामुल्ला चन्द्र शेखर से भी प्रतिभा सिंह ने अपने चुनाव शपथ पत्रा में अपने और वीरभद्र के नाम पर चार करोड़ का ब्याज मुक्त कर्ज लिया दिखाया है। इसी वक्कामुल्ला चन्द्रशेखर से विक्रमामदित्य की कंपनी के नाम भी कर्ज लिया गया है। वक्कामुल्ला की एक कंपनी से प्रतिभा सिंह, अपराजिता और अमित पाल ने एक करोड़ के शेयर खरीदे हैं। इस तरह सेब बागीचे से छः और वक्कामुल्ला चन्द्र शेखर से परिवार के पास बारह करोड़ से अधिक पैसा आना वीरभद्र और प्रतिभा सिंह स्वयं स्वीकार चुके हैं और ईडी को आशंका है कि यह पैसा मनीलाॅडंरिग है जिसे वैध बनाने के लिये लोगों का सहयोग लिया गया है। इसलिये लाॅडरिंग में जितने लोगों का सहयोग रहा है उनसे पूछताछ होना स्वाभाविक है। इसके अतिरिक्त इस पैसे का मूल स्त्रोत क्या है और उसमें किसका क्या सहयोग रहा है इस संद्धर्भ में सीबीआई द्वारा पूछताछ की जानी है। सीबीआई के कस्टोडियल जांच के आग्रह को सर्वोच्च न्यायालय से भी एक प्रकार से हरी झण्डी मिल चुकी है। माना जा रहा है कि इस ट्रेल का हिस्सा बने कुछ लोगों की शीघ्र ही गिरफ्तारी हो सकती है और इसमें सीबीआई तथा ईडी दोनों ऐजैन्सीयां पूरे तालमेल से काम कर रही हैं। सूत्रो की माने तो केन्द्रिय मन्त्री के रूप में रहे वीरभद्र का सारा कार्यकाल लगभग जांच की आशंका में आ चुका है।